Sunday - 7 January 2024 - 1:08 PM

विधान परिषद चुनाव की तैयारियों में जुटे दल, कौन बनेगा सभापति ?

जुबिली न्‍यूज डेस्‍क

उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति रमेश यादव, उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह समेत 12 लोगों का विधान परिषद का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है। ऐसे में खाली हो रहीं 12 सीटों के लिए राजनीतिक बिसात बिछने लगी है।

मौजूदा समीकरणों को देखा जाए तो बीजेपी की 10 सीटें पक्की मानी जा रही हैं, जबकि एक सीट का सपा के खाते में जाना तय है। ऐसे में 12वीं सीट को साधने के लिए बीजेपी और अन्‍य दल अपनी गोटियां सेट करने में जुटे हैं।

समाजवादी पार्टी 28 जनवरी को होने वाले उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव के मतदान से पहले जोरदार तैयारी में है। समाजवादी पार्टी के दोनों प्रत्याशी वरिष्ठ नेता अहमद हसन और राजेंद्र चौधरी शुक्रवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया।

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अहमद हसन को सपा ने पांचवीं बार मैदान में उतारा है। पूर्व आईपीएस अधिकारी रहे 88 वर्षीय अहमद हसन चार बार विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं। मुलायम यादव और अखिलेश यादव की सरकार में वह कबीना मंत्री भी रहे हैं। वहीं, राजेंद्र चौधरी भी अखिलेश यादव सरकार में एमएलसी और कबीना मंत्री रहे हैं। वह सपा के संस्थापक सदस्यों में भी शामिल रहे हैं।

वहीं बीजेपी ने चार उम्मीदवारों की नाम की घोषणा कर दी है। सूबे के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को पार्टी ने मैदान में उतारा है। इसके अलावा पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति ने लक्ष्मण प्रसाद आचार्य और गुजरात काडर के पू्र्व आईएएस अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा को भी मैदान में उतारने का फैसला किया है।

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बता दें कि उत्तर प्रदेश की 12 विधान परिषद सीटों के लिए 28 जनवरी को वोटिंग होनी है और नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तारीख 18 जनवरी है।

सपा से नाराजगी के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा से बदला लेने के लिए बीजेपी के भी साथ जाने की बात कही थी। इसके बाद बीजेपी ने 12वीं सीट को अपनी झोली में डालने के लिए कोशिश शुरू कर दी है। बीजेपी के साथ अगर बसपा के वोट जुड़ गए और सपा बाकी विपक्षी दलों को साधने में असफल रही तो 12वीं सीट बीजेपी के खाते में आसानी से जा सकती है।

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हालांकि, सूत्र बताते हैं कि 12वीं सीट से ज्यादा फिक्र सपा को विधान परिषद के सभापति को लेकर है। सपा एमएलसी सुनील सिंह साजन कहते हैं कि सभापति का कार्यकाल खत्म होने के बाद जाहिर है कि सपा नए सभापति के लिए चुनाव की मांग करेगी और अपना प्रत्याशी खड़ा करेगी।

राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि विधान परिषद के इस चुनाव में बीजेपी नहीं चाहती की वोटिंग हो। बीजेपी नेताओं का मानना है कि अगर वोटिंग होती है तो कई ऐसे विधायक जो नाराज है वो क्रास वोटिंग कर पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

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यूं तो सपा विधायक नितिन अग्रवाल पार्टी से बगावत कर चुके हैं। दूसरे दलों में भी कई बागी हैं लेकिन इस चुनाव में नजरें शिवपाल सिंह यादव पर रहेंगी। वह सपा विधायक हैं और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष भी हैं। विधान परिषद चुनाव में वह सपा उम्मीदवारों को वोट देंगे या नहीं, इसे लेकर सभी की उत्सुकता बनी हुई है। इसी से उनकी भावी राजनीति का संकेत भी मिलेगा।

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100-सदस्यीय उत्तर प्रदेश विधान परिषद में सपा के 55, भाजपा के 25, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के आठ, कांग्रेस और ‘निर्दलीय समूह’ के दो-दो और अपना दल (सोनेलाल) और ‘शिक्षक दल’ के एक-एक सदस्य हैं। इनके अलावा विधान परिषद में तीन निर्दलीय सदस्य भी हैं।

इनकी खत्म होगी सदस्यता

बीजेपी : दिनेश शर्मा, स्वतंत्र देव सिंह, लक्ष्मण आचार्य
सपा : अहमद हसन, आशू मलिक, रमेश यादव, रामजतन राजभर, वीरेंद्र सिंह, साहब सिंह सैनी
बसपा : धर्मवीर सिंह अशोक, प्रदीप कुमार जाटव, नसीमुद्दीन सिद्दीकी (अब कांग्रेस में। दलबदल कानून में सदस्यता रद)

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गौरतलब है कि उत्‍तर प्रदेश की 403 सदस्‍यों वाली विधानसभा में वर्तमान में 402 सदस्‍य हैं जिनमें भाजपा के 310, सपा के 49, बसपा के 18, अपना दल (सोनेलाल) के नौ, कांग्रेस के सात, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के चार, निर्दलीय तीन, राष्‍ट्रीय लोकदल का एक, निर्बल इंडियन शोषित हमारा अपना दल (निषाद) का एक सदस्‍य हैं। बीजेपी के साथ अपना दल (सोनेलाल) का गठबंधन है।

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इस बीच सोशल मीडिया में ऐसे पोस्‍ट भी वायरल हो रहे हैं, जिसमें कहा जा रहा है कि यूपी के डिप्‍टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा को विधानपरिषद का सभापति बनाया जा सकता है। साथ ही उनकी जगह पर एक दिन पहले बीजेपी में शामिल हुए पीएम मोदी के करीबी पूर्व आईएएस अरविंद कुमार शर्मा का योगी सरकार में डिप्‍टी सीएम बनाया जा सकता है।

हालांकि अभी ये केवल कयास हैं क्‍योंकि अभी विधानपरिषद में समाजवादी पार्टी बहुमत में है। लिहाजा, सभापति की कुर्सी पर सपा उम्मीदवार की जीत होना तय है। वहीं, सपा के नेताओं को यह भी आशंका है कि सरकार सभापति का चुनाव अपनी स्थितियां मुफीद होने तक टाल दे। अगर ऐसा हुआ तो सपा का स्टैंड देखना दिलचस्प होगा।

दरअसल, सपा के विधान परिषद में 55 सदस्‍य हैं और उसके छह विधायकों की सदस्‍यता खत्‍म हो रही है। वहीं बीजेपी के 25 सदस्‍य हैं और उसके तीन सदस्‍यों की सदस्‍यता खत्‍म हो रही है। अगर 10 सीट पर बीजेपी जीतती है तो उसके उच्‍च सदन में 32 विधायक होजाएंगे। वहीं सपा का एक प्रत्‍याशी भी जीतता है तो उसके 50 विधायक रहेंगे। मतलब विधानपरिषद में सपा का बहुमत बरकरार रहेगा।

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इसके अलावा विधान परिषद में उपसभापति की कुर्सी काफी समय से खाली है। सूत्र बताते हैं कि इसके लिए भी गोटियां सेट की जा रही थीं कि सरकार सभापति का चुनाव न करवाए तो उप सभापति ही चुनाव तक विधान परिषद के चेयरमैन के तौर पर काम देखते रहें। हालांकि, यह चुनाव नहीं हो सका। ऐसे में शीतकालीन सत्र बुलाया जाता है तो सपा फिर कोशिश करेगी कि उप सभापति का चुनाव हो जाए।

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