Sunday - 7 January 2024 - 9:17 AM

भारत के इस फैसले ने नेपाल की बढ़ाई परेशानी….

जुबिली न्यूज डेस्क

भारत के एक फैसले ने कई देशों की परेशानी बढ़ा दी है. बिदेशी भारतीयों के लिए काफी परेशानी खड़ा कर दिया है. दरअसल  20 जुलाई को भारत ने ग़ैर बासमती सफ़ेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की और इसके तुरंत बाद ही अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में इसकी क़ीमतों में 15 फ़ीसदी के उछाल की चर्चा होने लगी.

इसका असर नेपाल में भी खुदरा दुकानों पर दिखना शुरू हो गया है. किराना दुकानदारों का कहना है कि 25 किलो के पैकेट की क़ीमत 300 रुपए पहुँच गई है. रीटेल ट्रेड एसोसिएशन के सचिव राजू मास्के के मुताबिक़, जैसे ही भारत ने प्रतिबंध का एलान किया, थोक विक्रेताओं ने भी क़ीमतें बढ़ा दीं.उन्होंने कहा, ”डेढ़ हफ़्ते पहले तक स्टीम चावल 1,900 रुपये प्रति बोरी से बढ़कर 2,000 रुपये और 2,100 रुपये प्रति बोरी हो गया है.

हालांकि उत्पादकों ने कहा है कि उन्होंने चावल की क़ीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं की है. नेपाल चावल, दाल, तेल उत्पादक संघ के महासचिव दीपक कुमार पौडेल ने कहा, ”हमने क़ीमत नहीं बढ़ाई है. असल में तीन महीने तक का स्टॉक अभी है.”उद्योग, वाणिज्य एवं आपूर्ति मंत्री रमेश रिजाल के मुताबिक़, बाज़ार में चावल की क़ीमत बढ़ाने की कोई ज़रूरत नहीं है.

नेपाल में कितना होता है चावल?

कृषि विभाग के उप महानिदेशक और विभाग के प्रवक्ता जानुका पंडित ने कहा कि नेपाल का वार्षिक धान उत्पादन 55 लाख मीट्रिक टन है. उन्होंने कहा, “उसमें से 6 से 7 लाख मीट्रिक टन आयात किया जाता है.” जानुका के मुताबिक, “हमारे देश में पैदा होने वाले मोटे चावल को न खाने और बारीक और सफेद चावल की खपत के कारण इसका बहुत अधिक आयात हो रहा है. नेपाल चावल, दाल और तेल उत्पादक संघ के अनुसार, ‘भारत से सालाना लगभग 15 लाख मीट्रिक टन धान या 2.5 लाख मीट्रिक टन चावल आयात करने की ज़रूरत है.

मौजूदा समय में देश की जीडीपी में कृषि का हिस्सा 24% यानी लगभग एक चौथाई है और घरेलू कृषि उत्पादन में चावल का योगदान 15% है.यानी देश की अर्थव्यवस्था में चावल उत्पादन की बड़ी हिस्सेदारी है और खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से भी ये सबसे अहम है. पिछले साल नेपाल में 14 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान लगाया गया था और उत्पादन करीब 55 लाख मीट्रिक टन हुआ था.

नेपाल में घरेलू चावल उत्पादन पर संकट

भारत के चावल निर्यात पर प्रतिबंध के फ़ैसले के अलावा बारिश की कमी के चलते चावल उत्पादन को लेकर काफ़ी चिंता है. ऐसी ख़बरें हैं कि तराई क्षेत्र में पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण समय पर धान की रोपाई नहीं हो सकी, वहीं दूसरी ओर लम्पी स्किन रोग के कारण किसानों के लगभग 50,000 मवेशियों की मौत हो गई है.

जबसे ये बीमारी फैली है, तबसे 10 लाख से ज़्यादा मवेशी संक्रमित हो चुके हैं.नतीजन कई किसानों को धान रोपाई में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. ख़बरें हैं कि जुलाई के मध्य तक एक तिहाई खेतों में धान की रोपाई नहीं हो पाई है.

इसका सीधा असर चावल के उत्पादन पर पड़ेगा

अगर बरसात की बची अवधि में भी पर्याप्त बारिश नहीं हुई तो इसका सीधा असर चावल के उत्पादन पर पड़ेगा. कारोबारी और सरकारी अधिकारी इस बात पर एकमत हैं कि भारत के ताजा फ़ैसले का नेपाल पर असर होना तय है. “ये असर कितना और कैसा होगा, इसका कोई निश्चित विश्लेषण नहीं है. भारत दुनिया में अग्रणी चावल निर्यातक देशों में से एक है.

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भारत ने 140 देशों को निर्यात किया

वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है. पिछले साल भारत ने 140 देशों को 25 लाख टन चावल निर्यात किया था. इस साल भारत में भी खाद्यान्नों की क़ीमत में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन इस पर अंकुश लगाने के लिए भारत सरकार ने बासमती को छोड़कर चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है.

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