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डंके की चोट पर : लव – जेहाद – राम नाम सत्य

शबाहत हुसैन विजेता

मी लार्ड ने कहा कि शादी के लिए धर्म बदलना वैध नहीं है तो महाराज जी ने फ़ौरन सज़ा भी तय कर दी. उन्होंने एलानिया कहा कि ऐसा किया तो राम नाम सत्य हो जायेगा.

अब तक गुंडों की गाड़ियां पलट रही थीं अब शायद प्यार करने वालों की गाड़ियां भी पलटने लगें. हुकूमत ज़िन्दगी और मौत भी तय करने लगी है.

दो मजहबों के बीच मोहब्बत और शादी को मौजूदा हुकूमत ने लव जेहाद नाम दिया है. नाम आप जो चाहें दे सकते हैं, यह आपके अख्तियार में है मगर मुख्तार अब्बास नकवी, शाहनवाज़ हुसैन के बारे में भी तो बताना होगा. उन्होंने लव जेहाद किया तो फिर मंत्री कैसे बन गए.

सुब्रहमन्यम स्वामी की बेटी सुहासिनी आखिर सुहासिनी हैदर क्यों लिखती है. शादी बहुत पर्सनल मैटर होता है. शादी दो परिवारों का मिलन होता है. शादी एक नये रिश्ते की शुरुआत होती है. शादी को हिन्दू-मुसलमान से जोड़ना निहायत बेवकूफी की बात होती है.

लव जेहाद पर बातें करने वाले बेहतर हो कि पहले जेहाद का मतलब समझ लें जेहाद किसी को नुक्सान पहुंचाने का नाम नहीं बल्कि कुर्बानी पेश करने का नाम है. देश की खातिर सीमा पर अपनी जान कुर्बान कर देने वाला सैनिक जेहाद करता है. अपने बच्चो को बेहतर तालीम देने के लिए रात-दिन मेहनत करने वाला इंसान अपनी इच्छाओं का जेहाद करता है. मतलब अपना बच्चा पालने के लिए इंसान को अपने खुद के शौक छोड़ने पड़ते हैं.

जेहाद का मतलब खून बहाना नहीं होता है. जेहाद का मतलब नफरत फैलाना नहीं होता है. जेहाद का मतलब लोगों में दूरियां बढ़ाना नहीं होता है. मतलब समझे बगैर किसी शब्द का गलत पोस्टमार्टम आने वाली पीढ़ी के साथ नाइंसाफी होती है.

 

लव जेहाद करने वाले का राम नाम सत्य होगा. यह देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री का एलान है. मतलब प्यार किया और दूसरे मज़हब में शादी की तो जान चली जायेगी.

एलान से पहले अपने आसपास भी नज़र दौड़ाना चाहिए. आरएसएस के प्रचारक और बीजेपी के महामंत्री रामलाल गुप्ता की बेटी श्रेया गुप्ता ने हाल ही में लखनऊ के ताज होटल में फैजान करीम के साथ शादी की थी. इस शादी में बीजेपी के तमाम नेताओं के साथ तत्कालीन गवर्नर राम नाइक भी शामिल हुए थे.

हर सियासी पार्टी में ऐसे नेताओं की भरमार है जिन्होंने दूसरे मज़हब में शादी की और इस शादी को निभा रहे हैं. मुख्तार अब्बास नकवी ने सीमा से शादी की. शाहनवाज़ हुसैन ने रेनू शर्मा से शादी की. उमर अब्दुल्ला ने पायल नाथ से शादी की. उमर अब्दुल्ला की बहन सारा ने सचिन पायलट से शादी की.

बीजेपी का पहला मुस्लिम चेहरा थे सिकन्दर बख्त. बीजेपी ने इन्हें केन्द्रीय मंत्री से लेकर गवर्नर तक की कुर्सी पर बिठाया. गवर्नर के पद पर रहते हुए आँख मूंदने वाले यह पहले नेता थे. सिकंदर बख्त का नाम इसलिए लिया क्योंकि सुभद्रा जोशी इन्हीं के साथ रहती थीं.

जाने माने क्रिकेट स्टार नवाब मंसूर अली खान पटौदी ने शर्मिला टैगोर को अपने जीवन साथी के रूप में चुना. उनके बेटे सैफ अली खान ने दो शादियाँ कीं पहली अमृता सिंह से और दूसरी करीना कपूर से. भारतीय क्रिकेट टीम के एक और कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने संगीता बिजलानी को अपना जीवन साथी बनाया. क्रिकेटर ज़हीर खान ने अभिनेत्री सागरिका घटके से शादी की.

सुपर स्टार शाहरुख खान की पत्नी गौरी हैं. ऋतिक रोशन ने सुजेन खान से शादी की. इमरान हाशमी की पत्नी का नाम परवीन है. सुनील दत्त की पत्नी नर्गिस दत्त थीं. उस्ताद अमजद अली खान की पत्नी सुब्बा लक्ष्मी हैं. मनोज वाजपेयी ने शबाना रज़ा से शादी की है.

कौन से दौर में जी रहे हैं आप महाराज जी. दिल के रिश्ते को आप लव जेहाद बोल रहे हैं. शादी जैसा खूबसूरत रिश्ता बनाने वालों का राम नाम सत्य करा रहे हैं. संत तो रिश्ते जोड़ना सिखाता है और शासक अपनी प्रजा की रक्षा का वचन निभाता है. आप यह तीसरी भूमिका में कहाँ से आ गए.

देश लड़कियों से रोजाना हो रही छेड़खानी से परेशान है. दहेज़ हत्याओं से दुखी है. आये दिन होने वाले बलात्कारों से परेशान है. बलात्कार का दंश देने वाले के लिए कोई सजा तय नहीं करेंगे?

भारतीय क़ानून ने निर्भया केस के बाद फांसी की सजा तय की थी. सरकार को सोचना होगा कि कितने बलात्कारियों को फांसी के फंदे तक पहुंचा पाए. हर राजनीतिक दल में बलात्कारियों की भरमार है.

बलात्कारी बाबा, बलात्कारी विधायक, बलात्कारी सांसद और बलात्कारी मंत्री. यह बलात्कारी या तो ज़मानत पर रिहा हैं या फिर जेलों में आराम कर रहे हैं. न इनकी गाड़ियाँ पलटती हैं न इन्हें फांसी की सज़ा होती है. न इनके केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में जाते हैं. हाथरस में गैंगरेप का शिकार लड़की को पुलिस अधिकारी डोम बनकर फूंक देते हैं और हुकूमत के मुंह में दही जमा रहता है.

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बलात्कारी आराम से घूमता रहे और प्रेम विवाह करने वाले का राम नाम सत्य कर दिया जाए. क़ानून ने लिव इन को भी मान्यता दे दी है. ऐसे में तो पार्क में बैठे जोड़ों से की जाने वाली सख्ती भी कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट माना जाना चाहिए. क़ानून बनाने वालों को फैसला ऐसा करना चाहिए जो सर्वमान्य हो. जिस फैसले पर उँगलियाँ उठने लगें वह फैसला करने वाले का कद घटा देता है.

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