Thursday - 18 January 2024 - 5:09 AM

Tag Archives: शबाहत हुसैन विजेता

डंके की चोट पर : वक्त के गाल पर हमेशा के लिए रुका एक आंसू है ताजमहल

शबाहत हुसैन विजेता अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ताजमहल के सामने आकर खड़े हुए तो बस खड़े ही रह गए. एक दम विस्मित, आश्चर्यचकित. मुंह से शब्द निकलना मुश्किल हो गया. जब सामान्य हुए तो बोले कि इस दुनिया में दो तरह के लोग हैं. एक वह जिन्होंने ताजमहल देखा है …

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डंके की चोट पर : सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं बिकने दूंगा

शबाहत हुसैन विजेता मेरे पसंदीदा शायर बशीर बद्र ने लिखा था, “उम्र बीत जाती है एक घर बनाने में, तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में” यह शेर हालांकि उनका खुद का दर्द था. यह शेर मेरठ में हुए दंगे से निकला था. मगर हकीकत की ज़िन्दगी में खुद को …

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डंके की चोट पर : उसके कत्ल पे मैं भी चुप था, मेरा नम्बर अब आया

शबाहत हुसैन विजेता वह लाउडस्पीकर पर चिल्ला रहे हैं लाउडस्पीकर के खिलाफ. वह हिन्दुओं से चार-चार बच्चे पैदा करने को कह रहे हैं जिन्हें न तो शादी में आस्था है और न ही दुनियावी रिश्तों में. जिन्हें निर्माण की ज़िम्मेदारी दी गई है वह बुल्डोजर लेकर निकल पड़े हैं, और …

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डंके की चोट पर : द कश्मीर फाइल्स मरहम बने तो बेहतर वर्ना…

शबाहत हुसैन विजेता फिल्म थके हुए दिमाग को सुकून देने का ज़रिया है. फिल्म पर इंसान इसलिए पैसा खर्च करता है क्योंकि तीन घंटे के लिए वह अपने दर्शक को एक ऐसी बनावटी दुनिया में लेकर चली जाती है जहाँ पर उसके अपने दुःख, दर्द और मुश्किलें कहीं खो सी …

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इमोशंस की रात है शब-ए-बारात

शबाहत हुसैन विजेता शब-ए-बारात, गुनाहों से माफ़ी की रात। रूहों की आज़ादी की रात। अपने पुरखों और अज़ीज़ों के लिए अल्लाह से दुआ की रात। उर्दू महीने शाबान की 14 तारीख को होती है शब-ए-बारात। दुनिया भर के कब्रिस्तानों में सिर्फ यही एक रात होती है जब सबसे ज़्यादा रौनक …

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डंके की चोट पर : हर स्याह-सफ़ेद का नतीजा इसी दुनिया में मिल जाता है सरकार

शबाहत हुसैन विजेता सरकार, कई बार समझाया आपको मगर आप एक कान से सुनते रहे और दूसरे से निकालते रहे. पिछले पांच साल में आपको कई बार बताया था कि एक्जाम की तैयारी लगातार करनी पड़ती है. जो बच्चा पढ़ाई के दिनों में क्लास अटेंड नहीं करता है. पढ़ाई के …

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डंके की चोट पर : पॉलिटीशियन और लीडर का फर्क जानिये तब दीजिये वोट

शबाहत हुसैन विजेता ज़िम्बाब्वे की यूनीवर्सिटी में पढ़ाया जा रहा है कि पॉलिटीशियन को कभी लीडर समझने की भूल नई करना चाहिए. पॉलिटीशियन लीडरशिप के बारे में कुछ नहीं जानता है, उसका कंसर्न अगले इलेक्शन से जुड़ा होता है, जबकि लीडर का कंसर्न अगली पीढ़ी से जुड़ा होता है. पॉलिटीशियन …

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डंके की चोट पर : गुनाह के सबूत हैं गवाह हैं मगर माई फुट

शबाहत हुसैन विजेता यह सोशल मीडिया का दौर है. संचार क्रांति का सबसे ज्यादा उपयोग और दुरुपयोग सोशल मीडिया के ज़रिये ही हो रहा है. एक तरफ यह तेज़ खबरों का माध्यम बना है तो दूसरी तरफ नफरत को बढ़ाने का भी सबसे बड़ा माध्यम बना है. जब सोशल मीडिया …

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डंके की चोट पर : केशव बाबू धर्म का मंतर तभी काम करता है जब पेट भरा हो

शबाहत हुसैन विजेता पूरे साल किताबों से मुंह चुराकर भागने वाला बच्चा जब इग्जाम सर पर आ जाने के बाद एक ही रात में पूरा कोर्स घोलकर पी लेने की कोशिश करता है तो उसके हाथ कुछ नहीं लगता है. जो बच्चा वक्त की पाबंदी के साथ लगातार पढ़ाई करता …

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डंके की चोट पर : आज़ादी पद्मश्री नहीं है जो भीख में मिल जाए

शबाहत हुसैन विजेता जिस आज़ादी के लिए सरदार भगत सिंह ने बचपन में बंदूकें बोई थीं. जिस आज़ादी के लिए सुभाष चन्द्र बोस ने आज़ाद हिन्द फ़ौज बनाई थी. जिस आज़ादी के लिए अशफाक उल्ला खां ने लिखा था, “जाऊंगा खाली हाथ मगर यह दर्द साथ ही जाएगा, जाने किस …

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