Sunday - 7 January 2024 - 5:55 AM

राज्यपाल के बुलावे पर कश्मीर पहुंचे राहुल, तो फिर प्रशासन ने…

न्यूज डेस्क

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को कश्मीर का जायजा लेने के लिए आमंत्रित किया था और विमान भेजने की भी बात कही थी। राज्यपाल के न्यौते को स्वीकर करते हुए राहुल गांधी ने भी कश्मीर आने की बात कही थी, लेकिन आज जब राहुल गांधी कुछ विपक्षी नेताओं के साथ श्रीनगर पहुंचे तो  प्रशासन ने उन्हें बैरंग लौटने का आदेश जारी कर दिया। अब सवाल उठता है कि जब राज्यपाल के बुलावे पर राहुल गांधी वहां गए तो फिर प्रशासन ने ऐसा कदम क्यों उठाया?

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी होने के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत 11 विपक्षी नेताओं का एक प्रतिनिधि मंडल श्रीनगर पहुंचा। वहीं दूसरी ओर प्रशासन ने विपक्षी दलों के नेताओं को श्रीनगर शहर में एंट्री की इजाजत ना देने का फैसला किया।

मालूम हो कि इन नेताओं के दौरे की खबर आने के बाद ही प्रशासन से अपील की थी कि वो फिलहाल श्रीनगर का दौरा न करें। जम्मू कश्मीर के दौरे पर जाने वाले नेताओं में राहुल गांधी, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, भाकपा महासचिव डी राजा, सीताराम येचुरी, दिनेश त्रिवेदी, माजिद मेनन, मनोज झा, तिरुचि शिवा, शरद यादव शामिल हैं।

पिछले दिनों राहुल गांधी ने ट्वीट कर राज्यपाल सत्यपाल मलिक से पूछा था कि वे कब कश्मीर आए।

 

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आजाद ने उठाए थे सवाल

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने श्रीनगर रवाना होने से पहले जम्मू कश्मीर में शांति के दावों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जब वहां हालात सामान्य है तो हमें रोक क्यों रहे हैं। मुझे मेरे घर क्यों नहीं जाने दे रहे? फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, और महबूबा मुफ्ती को घूमने क्यों नहीं दिया जा रहा है। आखिर किसी को जाने क्यों नहीं दे रहे हैं।

उन्होंने कहा-इससे साफ है कि आप कुछ छिपा रहे हैं। क्या छिपा रहे हैं यह देश को बताना चाहिए। बीजेपी की ओर से राजनीति के सवाल पर आजाद ने कहा कि राजनीति करनी थी इसीलिए तो राज्य के टुकड़े किए गए।

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बीजेपी ने दिया राजनीतिक पर्यटक का नाम

विपक्षी दलों के जम्मू-कश्मीर दौरे पर सवाल उठाते हुए बीजेपी ने इसे राजनीतिक पर्यटन का नाम दिया है। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, ”राजनीतिक पर्यटन नहीं होना चाहिए, आज जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लोग तरक्की और विश्वास के रास्ते पर बढ़ रहे हैं, लेकिन आप अलगाववादियों के तुष्टिकरण के लिए राजनीतिक पर्यटन के लिए जा रहे हैं। अलगावादियों से हमदर्दी पूरे देश के लिए सिरदर्दी नहीं होनी चाहिए। ”

गौरतलब है कि अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने के बाद से सरकार ने अबतक किसी भी नेता को राज्य में आने की इजाजत नहीं दी है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों, फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं को नजरबंद किया हुआ है। वहीं कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजादी को दो बार राज्य में प्रवेश करने से रोका जा चुका है।

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