Wednesday - 10 January 2024 - 2:39 PM

पढ़िए पानी बचाने की अनोखी कहानी

न्‍यूज डेस्‍क 

एक सवाल-मान लीजिए पृथ्वी से पानी खत्म हो जाए क्या होगा? जवाब सबको मालूम हैं। पानी नहीं होगा तो मानवजाति के साथ-साथ पेड़-पौधे, जीव-जंतु सबका वजूद खत्म हो जायेगा। इतनी बड़ी बात जानते हुए भी हम सजग नहीं हो रहे हैं। अधिकांश लोग न तो हम पानी बचाने की तरफ ध्यान दे रहे हैं और न ही पानी की बर्बादी को रोक रहे हैं। फिर भी कुछ लोग ऐसे हैं जो प्रकृति को बचाने का अलख जगाए हुए हैं।

जिदंगी का एक फार्मूला है जो हम देंगे वहीं पायेंगे। यह फार्मूला प्रकृति पर भी लागू होता है। यदि हम प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करेंगे तो वह भी हमारे साथ वही करेगी। इसलिए इस दिशा में सभी को सकारात्मक सोचने की जरूरत है। प

कहते है अगर नियत अच्छी हो तो रास्ते खुद-ब-खुद मिल जाते हैं। श्योपुर जिले के सोंईकलां क्षेत्र के किसानों के अच्छे नियति की चर्चा हो रही है। पानी बचाने के उनके प्रयास चौतरफा तारीफ हो रही है।

छह दिन पहले तक जब बारिश नहीं हो रही थी, तब किसानों ने बोर से जमीन के अंदर से पानी खींचकर धान की फसल की सिंचाई की। अब जब झमाझम बारिश में यही खेत डूब गए तो इन्हीं बोरों से धरती के अंदर पानी को पहुंचाया जा रहा है। ऐसा एक-दो जगह नहीं हो रहा बल्कि, सोंईकला क्षेत्र के चिमलका, बगडुआ, कांचरमूली, जावदेश्वर और रायपुरा गांव के कई किसान कर रहे हैं।

श्योपुर में बीते चार दिनों तक लगातार बारिश हुई। इस बारिश से खेतों में चार से पांच फीट तक पानी भर गया। इससे सोयाबीन और उड़द की फसल खराब हो गई। धान की फसल भी डूब गई। खेतों में भरा पानी आसपास कहीं भी नहीं निकाला जा सकता, क्योंकि चारों ओर पानी ही पानी है।

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कैसे आया विचार

खेतों से पानी की निकासी की गुहार लेकर गांवों के किसान कलेक्टे्रट पहुंचे, लेकिन प्रशासन को भी कोई रास्ता नहीं सूझा। फिर क्या सोंईकलां क्षेत्र के किसानों ने बोरों के जरिए जमीन के अंदर बरसात का पानी पहुंचाने का बहुत ही आसान तरीका अपनाया।

किसान समर्सिबल मोटर को एक से दो मिनट के लिए चालू कर देते हैं। बोर से पाइप जोड़कर उसे खेत में भरे पानी के बीच छोड़ देते हैं, फिर बोर की मोटर बंद कर देते हैं। मोटर बंद होते ही बोर का पानी प्रेशर के साथ लौटता है तो वह खेतों के पानी को भी खींचता है। ऐसे करके खेतों का पानी बोरों के जरिए जमीन के अंदर पहुंचाया जा रहा है।

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