Friday - 5 January 2024 - 5:54 PM

Tag Archives: कविता

 मनीषा कुमारी की कविता “लौट आई हूं….”

जहां पर छोड़ कर गई थी , वही पर लौट आई हूं मैं…… सोची थी कुछ दिन दूर रहकर देखूं जरा दुनियां को , सब कहते थे जो मैं कर रही हूं वो मंजिल नही है मेरी, लेकिन मंजिल तो आज न कल मिल जाएगी तुझ जैसा साथी कही नही …

Read More »

कोई है ऐसा आदमी

थियेटर से टेलीविज़न और फिर फिल्मों तक का शानदार सफ़र करने वाले लखनऊ के संदीप यादव के दो ही प्यार हैं. पहला लिखने-पढ़ने से और दूसरा एक्टिंग से. मुम्बई में कम समय में अपनी पहचान बना लेने वाले संदीप की खासियत यह है कि मुम्बई में भी वह लखनऊ की …

Read More »

… तो शिल्पा शेट्टी की वजह से नहीं टूटी थी राज कुंद्रा की शादी

जुबिली न्यूज़ ब्यूरो नई दिल्ली. एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी से शादी रचाने के करीब 15 साल के बाद राज कुंद्रा ने यह साफ़ किया है कि उनकी पहली शादी टूटने की वजह शिल्पा नहीं थीं. राज कुंद्रा ने अपनी पहली पत्नी कविता पर सनसनीखेज आरोप लगाये हैं. उन्होंने कहा है कि …

Read More »

देवेन्द्र आर्य की कविता : ज़मीन पक रही है

  हिन्दी गजल के सशक्त हस्ताक्षर देवेन्द्र आर्य की गज़लों और कविताओं में हमेशा से ही सर्वहारा समाज का स्वर रहा है । लाक डाउन के दौरान सड़कों पर चलते मजदूरों की व्यथा को भी उन्होंने स्वर दिया था और वर्तमान  किसान आंदोलन पर उन्होंने कई गजलें और कविताएं लिखी है। …

Read More »

मालविका हरिओम की ये 2 लाजवाब गज़ले

फिलहाल के दौर में तेजी से अपनी पहचान बना रहीं लखनऊ की शायरा मालविका हरिओम की गज़ल में जिंदगी की जद्दोजहद के साथ साथ मन की भावनाएं भी बखूबी झलकती हैं। जुबिली पोस्ट अपने पाठकों के लिए साहित्यकारों की इस नई पीढ़ी की रचनाएं लगातार प्रस्तुत करता रहा है। इसी …

Read More »

किसान आंदोलन ने तो कवियों और शायरों को भी जगा दिया है

शबाहत हुसैन विजेता पूस के महीने की ठंडी रातों में भी दिल्ली के चारों तरफ किसान आंदोलन की गर्मी सभी को महसूस हो रही है। दिल्ली जाने वाली हर सड़क पर किसानों का डेरा है। जब सत्ता  इस आंदोलन को सियासी कुचक्रों में फँसाने के लिए पैंतरे चल रही है …

Read More »

कब आएगी मौत मुझे?

मौत ज़िन्दगी का सबसे बड़ा सच है. जिसे ज़िन्दगी मिली है उसे मौत का मज़ा भी चखना है. मरना कोई भी नहीं चाहता. लाख दुश्वारियां हों मगर इंसान जिए जाता है. उम्र में एक पड़ाव ऐसा आता है जिसमें इंसान फिर से बच्चा बन जाता है. उसे हमेशा किसी सहारे …

Read More »

“चाय सिर्फ़ चाय ही नहीं होती” – देवेन्द्र आर्य की कविता

गोरखपुर में रहने वाले देवेन्द्र आर्य अपनी हिन्दी गज़लों के लिए पहचाने जाते हैं और सामान्य बोलचाल की भाषा में लिखी उनकी गजलें सहज ही मन में उतर जाती हैं।  “चाय सिर्फ़ चाय ही नहीं होती” शीर्षक से कवि और गजलगो देवेन्द्र आर्य ने कविताओं की शृंखला लिख दी है …

Read More »

हिन्दी साहित्य 150 रुपये किलो

दिनेश चौधरी ‘हिंदी साहित्य 150 रुपये किलो’ के विज्ञापन देख कर रहा नहीं गया। मैंने झोला निकाला और आदतन श्रीमती जी से पूछा, ‘क्या लाना है?’ उन्होंने कहा, ‘ 2 किलो नॉवेल, 1 किलो कविता, एकाध किलो संस्मरण और 1 पाव आलोचना।’ मैंने पूछा ‘आलोचना इतनी सी?’ उन्होंने कहा, ‘तीखी …

Read More »

मुझे अच्छी लगती हैं बिंदास लड़कियां

युवा कवियत्री डॉ. उपासना श्रीवास्तव यूं तो  फैशन उद्योग से जुड़ी हैं ,लेकिन उनकी कविताओं में  आम ज़िंदगी के रंग भरे हुए हैं ,  हिन्दी साहित्य में बी.ए. करने के बाद उन्होंने एम बी ए किया और फिर  इंटरनेशनल मार्केटिंग में PHd की डिग्री हासिल की.  फिलहाल नोएडा में वे …

Read More »
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com