थियेटर से टेलीविज़न और फिर फिल्मों तक का शानदार सफ़र करने वाले लखनऊ के संदीप यादव के दो ही प्यार हैं. पहला लिखने-पढ़ने से और दूसरा एक्टिंग से. मुम्बई में कम समय में अपनी पहचान बना लेने वाले संदीप की खासियत यह है कि मुम्बई में भी वह लखनऊ की तलाश करते रहते हैं. संदीप ने अपनी भावनाओं को इस कविता के ज़रिये उकेरा तो मन हुआ कि उसे जुबिली पोस्ट के पाठकों तक पहुंचा दिया जाए, वो भी बगैर संदीप से पूछे. लखनऊ का इतना हक़ तो बनता ही है.
संदीप यादव
आपकी नज़र में क्या है कोई ऐसा आदमी
जिसने की हो कभी किसी औरत की मदद,
जो रहा हो ईमानदार,
जिसने कर लिया हो तबाह खुद को
अपनी फैमिली के लिए,
जिसने तोड़ लिए हों खुद के सपने,
किसी औरत के सपने पूरे करने के लिए,
जो मर गया हो बूढ़ा अकेला अपना सब कुछ लुटा कर अपने बच्चो के लिए,
कोई है ऐसा आदमी जो रोता हो अपनी बहन, बीवी, माँ दोस्त बेटी के लिए,
कोई ऐसा आदमी आपकी नज़र में जो इंसान हो,
जिसे आती हो इंसानियत,
कोई ऐसा इंसान जिसके अफेयर न हों,
कोई है ऐसा इंसान जिसके चरित्र पर दोष न हों,
कोई है ऐसा इंसान जिसकी लार न टपकती हो
औरत को कम कपड़ों में देखकर,
कोई है ऐसा इंसान जो सही लगा हो कभी
आपको आपकी नज़र में,
कोई है ऐसा आदमी आपकी नज़र में
जिसने कभी न सताया हो किसी औरत को,
कोई है ऐसा आदमी जो इंसान हो,
कोई है ऐसा आदमी जो इंसान हो.