Friday - 5 January 2024 - 12:30 PM

 मनीषा कुमारी की कविता “लौट आई हूं….”

जहां पर छोड़ कर गई थी ,
वही पर लौट आई हूं मैं……
सोची थी कुछ दिन दूर रहकर देखूं जरा दुनियां को ,
सब कहते थे जो मैं कर रही हूं वो मंजिल नही है मेरी,

लेकिन मंजिल तो आज न कल मिल जाएगी
तुझ जैसा साथी कही नही मिलेगी ,
देख ली दुनियां को आजमा भी ली दुनियां को ,
लेकिन तुमसा वफ़ा करने वाले कोई नही मिली आजतक,

जो मन की बाते को शब्दों में पिरो देती हैं,
मेरी भावना मेरी सोच को हर एक सोच तक पहुंचाती हैं,
कोई नही मिला दूजा कोई तेरे सिवा ,
मैं लौट आई अब वही उत्साह मन में उमंग लिए ,

दिल की बाते मन की यादें लिखने के लिए ,
दुनियां के बातों मैं अंधी हो चुकी थी ,
कुछ पल के लिए तुझे भूल चुकी थी ,
लेकिन मंजिल पाना और शौक पुरे करना ,

हर इंसान की जिन्दगी में ऐसा सुनहरा पल नही आता है,
आज जो मुझे मिला वो सब परिवार के साथ _ प्यार से मिला,
आज जो लोग मुझसे जलते हैं ,
वो हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते है ,

आज जो मैं हूं वो किसी का सपना होगा पाना,
अहम नहीं है मुझे किसी चीज की ,
लेकिन गर्व है हमें अपनी परिवार पे,
जो हर पल हमारा साथ रहे,

बस सब को जान कर खुद को पहचान कर
आज मैं लौट आई हूं उसी राह पे
जहां से मुझे हर खुशी मिलती हैं,

मैं लौट आई हूं मेरी कविता मेरी कहानी
मेरी कलम मेरी जिंदगी मेरी शौक,
आज फिर से गर्व से सबको बताने आई हूं
हां हूं मैं कवियत्री हां हूं मैं लेखिका,
यही मेरी पहचान है यही मेरी आवाज हैं ,

स्वरचित: मनीषा कुमारी बी०एससी. बी०एड० , एम०एससी. प्रथम वर्ष (गणित) विरार मुंबई

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com