Thursday - 11 January 2024 - 9:24 AM

…तो इस वजह से मुलायम हुए अखिलेश-शिवपाल

जुबिली स्पेशल डेस्क

यूपी की सियासत में मुलायम बड़ा नाम है। समाजवादी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में मुलायम सिंह यादव का बहुत बड़ा योगदान है। मुलायम के साथ-साथ उनके भाई शिवपाल यादव ने भी सपा को मजबूत करने के लिए दिन-रात एक कर दिया।

दोनों के बल पर सपा ने यूपी की सत्ता हासिल की लेकिन बाद में दौर में सपा के कुनबे में दरार आ गई। नतीजा यह रहा कि अखिलेश दोबारा सीएम बनते-बनते रह गए। दअरसल शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के रिश्तों में खटास आ गई।

इस वजह से दोनों की राहे अलग-अलग हो गई। शिवपाल के सपा से किनारा करने के बाद से सपा की हालत और खराब हो गई। उत्तर प्रदेश में जो पार्टी मजबूत लग रही थी वो एकाएक कमजोर पड़ गई।

लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। इस हार के बाद से मुलायम ने दोबारा पार्टी को मजबूत करने की ठानी लेकिन इस दौरान उनकी सेहत पहले जैसी नहीं रही। इस वजह से वो पार्टी में पहले से ज्यादा सक्रिय नजर नहीं आ रहे हैं।

हालांकि इस दौरान मुलायम ने कई बार-बार चाचा-भतीजे में सुलह कराने की कोशिश जरूर की। अब लग रहा है कि मुलायम की कोशिश रंग ला रही है। इसका उदाहरण सैफई में इस बार की होली के दौरान देखने को मिला जब मुलायम सिंह यादव का पूरा कुनबा एक साथ नजर आया।

चाचा रामगोपाल यादव मौजूद थे लेकिन मंच और खास बन गया जब मुलायम के सबसे छोटे भाई और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल यादव भी पहुंचे। शिवपाल, मुलायम सिंह का पैर छूकर आगे ही बढ़े थे कि अखिलेश ने भी पूरी गर्माहट के साथ शिवपाल के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया।

इसके बाद एक और घटना दोनों नेताओं की दूरियां कम होती नजर आ रही है। एसपी ने शिवपाल की सदस्यता रद्द करने की याचिका वापस ले ली है। इसके बाद से लगने लगा है कि शायद शिवपाल दोबारा साइकिल की सवारी कर सकते हैं।

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ऐसे हुए थे सपा से शिवपाल अलग

2017 के विधानसभा चुनाव से पहले मुलायम कुनबे में दरार आ गई थी। उस समय पार्टी के वर्चस्व को लेकर शिवपाल और अखिलेश आमने-सामने आ गए थे। दोनों के बीच बातचीत बंद हो गई और बाद में शिवपाल ने प्रसपा का गठन कर सपा को चुनौती दे डाली।

अब बदल गए है राजनीतिक समीकरण

अभी हाल में अखिलेश ने शिवपाल को लेकर बड़ा बयान दिया था और कहा था कि जसवंत नगर विधानसभा सीट पर उनके साथ ‘एडजस्टमेंट’ हो सकता है। वैसे भी सपा एक ही पार्टी है।

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इसके बाद शिवपाल ने भी अखिलेश को पत्र में लिखा,कि आपके आग्रह पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा मेरी विधानसभा सदस्यता खत्म करने के लिए दी गई याचिका को वापस कर दिया गया है। इस स्नेहपूर्ण विश्वास के लिए आपका कोटिश: आभार. निश्चिय ही यह मात्र एक राजनीतिक परिघटना नहीं।

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बल्कि, आपके इस तरह के स्पष्ट सार्थक और सकारात्मक हस्तक्षेप से राजनीतिक परिधि में आपके नेतृत्व में एक नव-राजनीतिक विकल्प एवं नवाक्षर का जन्म होगा। उधर कहा जा रहा है कि मुलायम की वजह से सबकुछ बदला है, क्योंकि मुलायम यही चाहते हैं सपा को दोबारा मजबूत किया जाये और सभी लोग एक होकर चुनावी दंगल में उतरे। अब देखना होगा कि मुलायम की यह कोशिश रंग लाती है या नहीं।

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