Sunday - 27 October 2024 - 10:26 PM

डंके की चोट पर : बजरंग दल की अदालत और सरकार की पुलिस

शबाहत हुसैन विजेता

उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में जैदी फ़ार्म कालोनी की फरहा और शास्त्री नगर के नमन ने दो दिन पहले घर से भागकर ऋषिकेश में शादी कर ली. आपस में प्यार करने वाले ये दो परिंदे अपने-अपने घोसलों से उड़ गए तो बजरंग दल ने पूरे शहर में हंगामा खड़ा कर दिया. फरहा के घर वालों पर इल्जाम मढ़ा कि उन्होंने नमन का अपहरण करा लिया है. पुलिस सक्रिय हो गई. उनके बारे में जानकारी जुटाकर पुलिस ऋषिकेश गई और उन्हें अपने साथ मेरठ ले आयी. मगर तब तक दोनों एक मन्दिर में शादी कर चुके थे. फरहा हिन्दू धर्म स्वीकार कर माही में बदल चुकी थी.

नमन से शादी के बाद फरहा ने हिन्दू धर्म अपना लिया तो बजरंग दल के मुंह में दही जम गया और पुलिस ने उसे उसे सुरक्षा दे दी. फरहा ने कहा कि वह नमन को प्यार करती है और बालिग़ है इसलिए अपनी ज़िन्दगी का फैसला खुद कर सकती है. फरहा ने जो कहा उसे बजरंग दल ने भी मान लिया और पुलिस ने भी. इस नवविवाहित युगल को कोई नुक्सान न पहुंचा दे इस बात का ध्यान रखते हुए पुलिस ने दोनों को सुरक्षा मुहैया कराई है.

दो दिन पहले का ही मुरादाबाद का एक मामला देखिये. यह मुरादाबाद के उसी कांठ थाना इलाके का मामला है जिसे हाल ही में देश के दस सर्वश्रेष्ठ थानों में चुना गया है. कांठ देश का आठवां और उत्तर प्रदेश का पहले नंबर का शानदार थाना है.

आइये आपको इस सर्वश्रेष्ठ थाना क्षेत्र के रहने वाले राशिद की दास्तान सुनाते हैं. राशिद ने बिजनौर की रहने वाली पिंकी से मोहब्बत की. दरअसल राशिद और पिंकी दोनों ही देहरादून में रहते हैं और वहीं नौकरी करते हैं. साथ में नौकरी करते-करते दोनों में प्यार हो गया. अब प्यार क्या जाने मज़हब की बेड़ियाँ. प्यार हो गया तो हो गया. दोनों ने कोर्ट में शादी कर ली. पिंकी ने शादी के लिए धर्म परिवर्तन कर लिया और वह पिंकी से मुस्कान बन गई.

शादी के बाद राशिद और मुस्कान मुरादाबाद आये. बजरंग दल ने लव जेहाद का मुद्दा उठाया. खूब हंगामा काटा. सर्वश्रेष्ठ थाने की पुलिस ने राशिद और उसके भाई को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. मुस्कान को संरक्षण गृह भेज दिया गया. संरक्षण गृह में मुस्कान को इंजेक्शन दिया गया जिससे उसके पेट में पल रहा बच्चा खत्म हो गया.

दोनों घटनाएं उत्तर प्रदेश की हैं. दोनों घटनाएं एक जैसी हैं. दोनों घटनाओं में विरोध का बिगुल बजरंग दल ने ही बजाया और दोनों में ही एक ही सूबे की पुलिस ने अपनी कार्रवाई को अंजाम दिया. उत्तर प्रदेश की इन दोनों घटनाओं को पत्रकार वसीम अकरम त्यागी ने पुरजोर तरीके से उठाया लेकिन इन्साफ की आवाज़ सुनी ही कहाँ जाती है.

दोनों घटनाओं में बजरंग दल और पुलिस का जो दोगला रवैया है वही इस मुल्क में पनपते नफरत के ज़हर का आधार है. मेरठ वाले मामले में फरहा ने मुसलमान से हिन्दू बन गई तो लव जेहाद का क़ानून दम तोड़ गया लेकिन पिंकी ने हिन्दू बनकर मुस्कान नाम अपना लिया तो उसे अपने पति से भी बिछड़ना पड़ा और अपना बच्चा भी खोना पड़ा.

दो दिन पहले की एक और घटना ज़ेहन में उभरती है. हालांकि यह घटना लव जेहाद से जुड़ी नहीं है लेकिन क़ानून के लचीलेपन और जज की कुर्सी को खाती दीमक की तस्वीर ज़रूर दिखाती है. योगी सरकार ने माफिया सरगना मुख्तार अंसारी की एक इमारत को गिराने का हुक्म सुनाया. इमारत का मालिक हाईकोर्ट में इन्साफ मांगने पहुंचा मगर अदालत ने इसे राज्य का मामला बता दिया. इमारत ज़मींदोज़ होने के बाद पता चला कि वह मुख्तार अंसारी की नहीं शिवशंकर मिश्र की इमारत है. अब हाईकोर्ट सख्त हो गया है.

पुलिस सरकार के हुक्म पर चलती है इसे हर कोई जानता है लेकिन अदालत भी सरकार के पीछे चलती है यह अब स्पष्ट होने लगा है. अदालतें क्यों सरकार की पिछलग्गू बनने लगी हैं इस पर फिर कभी चर्चा होगी क्योंकि मुद्दा भटक जायेगा.

फिल्म अभिनेत्री ऋचा चड्ढा अली से शादी करने वाली हैं. एकता कपूर तनवीर बुकवाला से शादी करने वाली हैं. फ़िल्मी दुनिया की किताब खोली जायेगी तो हर तीसरा रिश्ता इसी तरह का निकलेगा. क्या बजरंग दल की हैसियत है कि इन शादियों को होने से रोक ले. यह शादियाँ अभी हुई नहीं हैं.

सियासत में भी इस तरह के बहुत से नाम हैं. सियासत में भी जिन नामवर लोगों ने दूसरे धर्मों में शादियाँ की हैं उनसे निबट पाने की हैसियत भी बजरंग दल की नहीं है. मतलब साफ़ है कि आम आदमी को सुकून से जीने नहीं देंगे. सारे क़ानून आम लोगों के लिए हैं. सरकार की पूरी ताकत आम आदमी के खिलाफ है.

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने लव जेहाद पर जो क़ानून बनाया उसके पीछे उसकी बदनीयती साफ़-साफ़ झलकती है. सरकार को क़ानून ही बनाना था तो उसे विधानसभा सत्र बुलाना चाहिए था. पूर्ण बहुमत की सरकार है इसलिए क़ानून पास करा लेने की भी गारंटी थी मगर विपक्ष इस मुद्दे पर अपनी राय भी न दे सके इस बदनीयती के साथ कैबिनेट से पास कराकर गवर्नर के दस्तखत करवा लिए गए. क़ानून बन गया.

लोकतंत्र ने सरकार को क़ानून बनाने की ताकत इसलिए तो नहीं दी है कि मज़हब के आधार पर नागरिकों में फर्क किया जाए. लोकतंत्र ने सरकार को ताकत इसलिए तो नहीं दी है कि किसी लड़की के पेट में पल रहे बच्चे को इंजेक्शन लगाकर उसे मार दिया जाए.

क़ानून के जानकार बतायेंगे कि लव जेहाद क़ानून बनने से पहले जो दूसरे मज़हब के लोग शादियाँ कर चुके हैं क्या उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है? उत्तर प्रदेश में हाल ही में ऐसे बहुत से लोगों को पुलिस ने परेशान करना शुरू कर दिया है जिन्होंने दूसरे मजहबों में इस क़ानून के बनने से पहले शादियाँ की हैं.

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कौन किससे शादी करेगा. कौन किस मज़हब को अपनाएगा यह बहुत व्यक्तिगत विषय है इसमें सरकार और पुलिस का हस्तक्षेप कतई नहीं हो सकता. सरकार तो अपने सभी नागरिकों को संरक्षण देने के लिए है. जो नागरिकों में भेद करती हो वह सरकार कहाँ रह जाती है. नागरिक जिस सरकार के दिन गिनते हों वह सरकार कहाँ रह जाती है. जिस सरकार में नफरत का कुहासा घना होने लगे उसमें प्यार करने वाले तो नई सुबह की उम्मीद में ही दिन काटते हैं. प्यार करने वालों को अभी भी उम्मीद है कि वह सुबह कभी तो आयेगी जिसमें अपनी ज़मीन होगी. अपना आसमान होगा. पुलिस उन्हें हमलावरों से बचायेगी. अदालत इन्साफ का आंगन मुहैया करायेगी और सरकार के पास सुरक्षा का इतना मज़बूत डैना होगा जिसके नीचे हर सांस लेने वाले को यह उम्मीद रहेगी कि रात कितनी भी काली हो मगर उसका अँधेरा इन डैनों को भेदकर उनके पास नहीं आ सकेगा.

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