Sunday - 14 January 2024 - 5:12 AM

‘भारत में रहता तो नहीं मिलता नोबेल’

न्यूज डेस्क

इस बात का अक्सर जिक्र होता है कि हमारे देश में टैलेंट की बिल्कुल कद्र नहीं है। देश का शायद ही कोई पुरस्कार हो जिस पर सवाल न उठता हो। देश की कई बड़ी शख्सियतों ने इस पर सवाल उठाया है। इस देश की विडंबना है कि जीते जी उन्हें सम्मान मिलता है जिनकी पहुंच हो और सम्मान के असल हकदार को सम्मान मरने के बाद मिलता है।

ऐसा ही कुछ अर्थशास्त्र में प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार जीतने वाले अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा है। उन्होंने कहा कि अगर वह भारत में रह रहे होते तो इतने बड़े पुरस्कार को कभी नहीं पाते, क्योंकि यहां प्रतिभाओं को तराशने और उनके सपोर्ट करने को कोई सिस्टम नहीं है।

अर्थशास्त्री बनर्जी ने यह बातें जयपुर में चल रहे लिटरेचर फेस्टिवल में कही। उन्होंने कहा कि भारत में बहुत प्रतिभाएं हैं, लेकिन वे आगे नहीं बढ़ पा रही हैं। उन्होंने कहा कि मेरे पुरस्कार जीतने में दूसरे लोगों का बड़ा सहयोग है।

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देश की मंदी पर उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं है, लेकिन हाल के दिनों में इसमें कुछ सुधार के संकेत दिखाई पड़े हैं। नये आंकड़े आ रहे हैं। व्यवस्था सही राह पर है, लेकिन वक्त लगेगा। बनर्जी ने कहा कि धीरे-धीरे लेकिन लगातार काम करने की जरूरत है। देश में रुपयों की कमी है। हम सही गति से चलते रहे तो निश्चित रूप से संकट से ऊबर जाएंगे।

अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा देश में 1990 की तुलना में 2020 में गरीबी में उल्लेखनीय कमी आई है। 30 साल पहले देश में 40 फीसदी लोग गरीब थे। आज के समय 20 फीसदी लोग ही गरीब हैं। देश की आबादी लगातार बढ़ रही है और गरीबी कम हो रही है। यह अच्छी बात है। जो काफी गरीब हैं, उन्हें सब्सिडी देते रहना चाहिए।

आरबीआई के गवर्नर बनने की संभावनाओं को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि गवर्नर बनने के लिए माइक्रो इकोनॉमिक्स का जानना जरूरी है। एक अच्छा माइक्रो इकोनॉमिस्ट ही अच्छा गवर्नर बन सकता है और मैं इसका जानकार नहीं हूं। इसलिए मैं इस जिम्मेदारी को नहीं उठा सकता हूं।

देश की राजनीति पर उन्होंने यह भी कहा कि लोकतांत्रिक देश की शासन व्यवस्था में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों का योगदान होता है। जहां विपक्ष कमजोर होता है, वहां सत्ता पक्ष भी सही ढंग से कार्य नहीं कर सकता है।

अर्थशास्त्री बनर्जी ने कहा कि हिंदुस्तान में विपक्ष विखरा हुआ है। उसके बहुत से हिस्से हैं। कब कौन सा हिस्सा किससे जुड़ जाए, यह कहा नहीं जा सकता है। इससे सरकार पर दबाव नहीं बन पाता है और देश की स्थिरता प्रभावित होती है।

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