Sunday - 7 January 2024 - 1:03 PM

बिना जल्लाद के कैसे होगी निर्भया के दोषियों को फांसी

न्यूज डेस्क

देश की सबसे बड़ी जेल तिहाड़ है। यहां बड़े-बड़े मामलों के दोषी बंद हैं। निर्भया गैंगरेप के दोषी भी इसी जेल में बंद हैं। इनकी फांसी की तिथि कभी भी आ सकती है लेकिन उनको फांसी कैसे दी जायेगी इसको लेकर तिहाड़ प्रशासन परेशान है। दरअसल जेल प्रशासन के पास निर्भया के दोषियों को फांसी पर चढ़ाने के लिए कोई जल्लाद उपलब्ध नहीं है।

निर्भया गैंगरेप के दोषियों के पास अब कानूनी उपाय बहुत कम रह गए हैं। इसलिए उनकी फांसी की तिथि कभी भी आ सकती है। सूत्रों का कहना है कि एक माह में फांसी की तारीख आ सकती है, इसलिए जेल प्रशासन इसके इंतजाम को लेकर चिंतित हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तिहाड़ जेल प्रशासन फांसी देने के लिए जरूरी विकल्पों पर काम कर रहा है। अगले एक माह में कभी भी फांसी की तारीख आ सकती है। दोषियों को कोर्ट द्वारा ब्लैक वॉरंट जारी किए जाने के बाद किसी भी दिन फांसी पर चढ़ाया जा सकता है। राष्ट्रपति अगर निर्भया के दोषियों की दया याचिका खारिज कर देते हैं तो वॉरंट जारी किया जाएगा, जिसके बाद फांसी की तारीख तय होगी।

आखिरी बार अफजल गुरु को दी गई थी फांसी

इससे पहले तिहाड़ जेल में आखिरी बार संसद पर हमलों के दोषी अफजल गुरु को फांसी दी गई थी। अफजल को फांसी पर चढ़ाने से पहले जेल की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए थे। अफजल की फांसी में जेल के ही एक कर्मचारी ने फंदा खींचने के लिए सहमति दे दी थी।
सूत्रों के मुताबिक तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने जल्लाद की कमी को देखते हुए अनौपचारिक तौर पर दूसरे जेलों से भी जल्लाद को लेकर चर्चा की है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के कुछ गांव में भी पूछताछ की जा रही है, जहां से पूर्व में कुछ जल्लाद निकले हैं।

कॉन्ट्रैक्ट पर जल्लाद नियुक्त कर सकता है तिहाड़

मौजूदा हालात को देखते हुए माना जा रहा है कि  तिहाड़ की ओर से किसी जल्लाद को नियुक्त नहीं किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार फांसी के लिए कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर ही तिहाड़ प्रशासन किसी को नियुक्त करेगा। एक वरिष्ठ जेल अधिकारी के मुताबिक, ‘हमारे समाज में फांसी की सजा अक्सर नहीं दी जाती है। यह रेयरेस्ट ऑफ द रेयर अपराधों के लिए ही मुकर्रर सजा है। ऐसी परिस्थिति में एक फुल टाइम जल्लाद की नियुक्ति नहीं की जा सकती है। इस नौकरी के लिए अब कोई शख्स जल्दी तैयार भी नहीं होता।

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