Saturday - 6 January 2024 - 3:24 PM

महंत नृत्य गोपाल दास की तबीयत बिगड़ी, लखनऊ लाने के लिए बनाया गया ग्रीन कारिडोर

जुबिली न्‍यूज डेस्‍क

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास की तबीयत अचानक बिगड़ गई है। उन्हें एंबुलेंस से लखनऊ ले जाया जा रहा है। महंत नृत्य गोपाल दास अयोध्या आंदोलन के प्रमुख चेहरे रहे हैं।  वह 82 वर्ष के हैं।

बताया जा रहा है कि महंत नृत्य गोपाल दास को सांस लेने में परेशानी हो रही है। उन्हें सीने में दर्द की भी शिकायत है। कुछ दिन पहले ही महंत नृत्य गोपाल दास ने कोरोना से जंग जीती है। यातायात पुलिस ने सफेदाबाद के गोल्डेन ब्लाजम होटल से शहीद पथ पर मेदांता तक ग्रीन कारिडोर बना दिया है। हर चौराहे पर पुलिस मुस्तैद है।

अयोध्या आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले महंत नृत्यगोपाल दास अगस्त के महीने में कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे। कोरोना पॉजिटिव होते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नृत्यगोपाल दास को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में इलाज के लिए भिजवाया था। कुछ दिन तक उनका इलाज चला। इसके बाद वह कोरोना निगेटिव पाए गए थे।

Mahant Nritya Gopal Das appealed to the devotees - Let the crowd in the monasteries and temples, the society will be safe only then the traditions will survive | महंत नृत्यगोपाल दास

छोटी छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास के शिष्य देश और दुनिया में फैले हुए हैं। महंत नृत्य गोपाल दास सिर्फ राम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष नहीं, बल्कि कृष्ण जन्म भूमि न्यास के भी अध्यक्ष है। इसी नाते वो कृष्ण जन्माष्टमी में मथुरा में जन्माष्टमी के मौके पर शिरकत करते रहे हैं।

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नृत्यगोपाल दास के प्रभाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन हो रहा था तब शुरू में इनका नाम ट्रस्ट में नहीं था। इसके बाद पूरे अयोध्या में खलबली और हंगामा मच चुका था। बाद में इस ट्रस्ट में इसके अध्यक्ष के तौर पर महंत नृत्य गोपाल दास को लाया गया और उसके बाद साधु-संत संतुष्ट हो पाए थे।

Mahant Nritya Gopal Das becomes chairman of shriram janambhoomi teerthkshetra trust

सन 1938 में बरसाना मथुरा के कहोला गांव में जन्म लेने वाले नृत्य गोपाल दास ने महज 12 वर्ष की उम्र में ही संन्यास ले लिया था और मथुरा से बाल अवस्था में ही अयोध्या आ गए थे। नृत्य गोपालदास ने अयोध्या आने के बाद काशी संस्कृत की पढ़ाई करने गए थे। 1953 में वह वापस अयोध्या आए और मणिराम दास छावनी में रुके। उन्होंने राम मनोहर दास से दीक्षा ली थी।

नृत्यगोपाल दास दशकों तक राम मंदिर आंदोलन के संरक्षक की भूमिका में रहे हैं। वो लगातार मंदिर निर्माण के लिए होने वाले कार्यों में अगुवा की भूमिका निभाते रहे हैं। इनकी अगुवाई में लंबे समय से राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा भी एकत्र किया जाता रहा है। नृत्यगोपाल दास पर बाबरी विध्वंस में शामिल रहने का आरोप था। सीबीआई कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है।

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