Friday - 12 January 2024 - 7:06 PM

अखिलेश-शिवपाल में तीन साल की चली आ रही रार का अब और बुरा हुआ अंत

स्पेशल डेस्क

लखनऊ जिस अखिलेश को सीएम बनाने में नेताजी ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। मुलायम अपने बेटे के सर पर ताज देखना चाहते थे और इसी वजह से अपने भाई शिवपाल यादव से दूरी बना ली थी। सत्ता में जब सपा आई थी तब लग रहा था कि शिवपाल यादव अखिलेश को सीएम बनते देखना नहीं चाहते हैं और मुलायम की विरासत को सम्भालने का दावा दोनों करते थे लेकिन मुलायम ने हमेशा बेटे अखिलेश को तर्जी देना पसंद करते थे।

बाद में हुआ भी यही अखिलेश को सीएम बनाने में शिवपाल यादव ने हामी भर दी। तब माना जा रहा था कि दोनों में अच्छा रिश्ता है लेकिन साल 2016 में दोनों के रिश्तों में एकाएक खटास आ गई।

कभी अखिलेश शिवपाल को पार्टी से अलग-थलग करते तो फिर मजबूरी में  फिर पिता के कहने पर चाचा को वापस गले लगा लेते थे लेकिन यूपी विधानसभा चुनाव से पहले 2016 में यादव परिवार में तनातनी चरम पर पहुंच गई। इसी दौरान चाचा-भतीजे में रार इतनी बढ़ गई कि दोनों एक दूसरे का चेहरा तक नहीं देखना पसंद करते थे।

इतना ही नहीं सपा किसकी पार्टी है इसको लेकर खूब झगड़ा हुआ। दोनों की लड़ाई चुनाव आयोग तक पहुंच गई लेकिन किसी तरह से अखिलेश ने समाजवादी पार्टी पर एकाधिकार कर लिया। उस दौरान चुनाव हुआ तो अखिलेश हार गए और शिवपाल यादव तंज करना शुरू कर दिया।

राजनीतिक गलियारों में यह बात भी साफ हो गई परिवार में जो महाभारत चल रही थी उसी वजह से हार का मुंह देखना पड़ा सपा को। इसके बाद शिवपाल यादव ने अखिलेश से अलग होकर नई पार्टी प्रसपा खड़ी कर डाली और लोकसभा चुनाव में तगड़ा नुकसान पहुंचा डाला।

अब अखिलेश ने अपने चाचा को समाजवादी कुनबे से हमेशा के लिए बेदखल करते हुए दल-बदल कानून के तहत उनकी सदस्यता निरस्त करने के लिए याचिका दे डाली है। उधर शिवपाल यादव ने कह दिया है कि अगर ऐसा हुआ तो वह दोबारा चुनाव लड़कर फिर जीतकर विधानसभा पहुंचेंगे।

ऐसे में अब साफ हो गया है कि चाचा और भतीजे में अब कोई सुलह की उम्मीद नजर नहीं आ रही है। कुल मिलाकर अखिलेश-शिवपाल में तीन साल की चली आ रही रार का अब और बुरा हुआ अंत हो गया है।।

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