Wednesday - 10 January 2024 - 6:45 AM

भारत बंद आज, किसान मोर्चे ने भी किया समर्थन

जुबिली न्यूज़ डेस्क

किसान आन्दोलन के बीच आज कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स ने जीएसटी के खिलाफ आज भारत बंद का ऐलान किया है। इस भारत बंद का समर्थन ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन ( एआईटीडब्लूए ) ने भी किया है।

एआईटीडब्लूए की ओर से बताया गया कि, ईंधन के बढ़ते दाम और ई-वे बिल को लेकर वे भी सीएआईटी के समर्थन में चक्का जाम करेंगे। यही नहीं उन्होंने ई कामर्स कंपनी अमेजन पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की है।

उधर दिल्ली की सीमाओं पर नए कृषि कानूनों के खिलाफ डटे किसान की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने गुरुवार को किसानों से आज (26 फरवरी) को परिवहन एवं श्रमिक संघों द्वारा बुलाये गए भारत बंद में शांतिपूर्ण तरीके से भाग लेने की बात कही है ।

इस मामले में एआईटीडब्लूए के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेंद्र आर्य ने बताया कि ‘सभी राज्य स्तरीय ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन इस एकदिवसीय बंद में पूरी तरह सहयोग करेंगे । इनका प्रदर्शन ईंधन के दाम बढ़ने और ई-वे बिल के खिलाफ होगा। इसमें सभी ट्रांसपोर्ट कंपनियों से सुबह 6 बजे से लेकर शाम 8 बजे तक अपने वाहनों की सेवा बंद रखेंगी। सभी ट्रांसपोर्ट गोदाम अपने यहां प्रोटेस्ट बैनर लगाएंगे।

इसमें बंद में दिल्ली में भी अधिकांश व्यापारिक संगठन भी शामिल होंगे। हाल ही में हुए जीएसटी के नियमों में संशोधनों और ई कॉमर्स कम्पनी अमेजन पर तुरंत प्रतिबन्ध लगाने की मांग को लेकर कैट भारत व्यापार बंद का आह्वान किया था।

1500 जगह होगा धरना

खबर के अनुसार कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया है कि, दिल्ली सहित देशभर में लगभग 1500 स्थानों पर ‘आग्रह धरना’ आयोजित किये जाएंगे। आज के दिन कोई भी व्यापारी जीएसटी पोर्टल पर लॉग इन नहीं करेगा।

इसके अलावा कई जिलों में वे संबंधित अधिकारियों को केंद्र और राज्य सरकार के लिए अपनी मांगों का ज्ञापन भी सौंपेंगे। बता दें कि देशभर के 40,000 से ज्यादा व्यापारी संगठन कैट से जुड़े हैं जो इस बंद का समर्थन कर रहे हैं और धरना प्रदर्शनों में शामिल हो रहे हैं।

जीएसटी को सरल करने की मांग

कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि पिछले 4 साल में जीएसटी में 950 से ज्यादा संशोाधन हो चुके हैं। इसके बाद भी जीएसटी पोर्टल से जुड़ी तकनीकी समस्याएं बनी हुई है। इससे जीएसटी के अनुपालन का व्यापारियों पर बोझ बढ़ रहा है।

हमारी केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और जीएसटी परिषद से ये मांग है कि वे जीएसटी के कड़े प्रावधानों को खत्म करें। साथ ही जीएसटी प्रणाली की समीक्षा करें। यही नही जीएसटी की दरों का सरलीकरण करने और उन्हें तार्किक बनाने की जरूरत है।

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दूसरी तरफ होलसेल एवं रिटेल बाजार पूरी तरह से बंद रहेंगे। हालांकि आवश्यक वस्तुओं की बिक्री करने वाली दुकानों को बंद में शामिल नहीं किया गया है। इसके अलावा रिहायशी कॉलोनियों में लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए दुकानें बंद से बाहर रहेंगी। इसमें ज्यादातर व्यापारियों का कहना है कि परिवहन व्यवस्था पर खास असर नहीं पड़ेगा।केवल व्यावसायिक गतिविधियां प्रभावित रहने की संभावना है।

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