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तो क्या सिखों के लिए सुरक्षित नहीं है अमेरिका

न्यूज डेस्क

अधिकांश भारतीय अमेरिका जाने का सपना देखते हैं। लोगों को लगता है कि अमेरिका सुरक्षित जगह है। वहां भारत की तरह क्राइम नहीं है। लेकिन असल में ऐसा नहीं है, खासकर सिखों के लिए।

अमेरिका की केंद्रीय जांच एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि अमेरिका में सिखों के खिलाफ घृणा अपराध (हेट क्राइम या नफरत भरे अपराध) तीन गुना तक बढ़े हैं।

रिपोर्ट के अनुसार बीते एक साल में अमेरिका में घृणा अपराध का आंकड़ा पिछले 16 सालों के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है।

अमेरिका की केंद्रीय जांच एजेंसी एफबीआइ ने 2018 में हेट क्राइम के आंकड़े जारी किए हैं। एफबीआई के मुताबिक, एक साल में लैटिन मूल के लोगों के खिलाफ सबसे ज्यादा हेट क्राइम की वारदात हुई हैं। वहीं मुस्लिम, यहूदी और सिख भी बड़ी संख्या में इसके शिकार बने हैं।

वर्ष 2017 से 2018 के बीच सिखों के खिलाफ नफरत भरे आपराधिक मामले तीन गुना तक बढ़े हैं।

एफबीआई की घृणा अपराधों से जुड़ी वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2017 में सिखों के खिलाफ ऐसी 20 वारदातें सामने आई थीं, जबकि साल 2018 में यह संख्या बढ़कर 60 तक पहुंच गई। हालांकि ऐसी सबसे ज्यादा वारदातें यहूदियों (56.9 फीसदी) और मुस्लिमों (14.6 फीसदी) के साथ घटित हुईं।

इनके बाद तीसरे नंबर पर सिखों (4.3 फीसदी) के साथ वारदातों को अंजाम दिया गया। लैटिन अमेरिकियों के साथ वारदातों के साल 2017 में 430 मामले सामने आए थे, जबकि साल 2018 में ऐसे 485 मामले सामने आए। इस दौरान मुस्लिम और अरब मूल के लोगों के साथ घृणा अपराध की 270 वारदातें घटीं।

व्यक्तिगत घृणा अपराध की घटनाएं बढ़ीं

एफबीआई रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 के मुकाबले 2018 में घृणा अपराध की वारदातों में बहुत मामूली सी कमी आई है। यह 7175 से घटकर 7120 पहुंच गई। इससे पहले साल 2016 से 2017 के बीच घृणा अपराध करीब 17 फीसदी तक बढ़ा था।

इसके अलावा इस बार संपत्ति के खिलाफ अपराध में कमी आई, वहीं लोगों पर व्यक्तिगत हमले की वारदातें बढ़ी हैं। कुल 7120 घृणा अपराध की वारदातों में से 4571 (61 फीसदी) किसी व्यक्ति के खिलाफ हुईं।

ट्रंप का बयान और नीतिया है जिम्मेदार

अमेरिका में घृणा अपराध बढऩे का एक बड़ा कारण राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयानों और उनकी सरकार की नीतियों को माना जा रहा है। ब्रिटिश अखबार द गार्जियन के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन ने बीते कुछ समय में अप्रवासियों और शरणार्थियों को देश से बाहर भेजने को लेकर बयान दिए हैं।

इसके अलावा सरकार की नीतियां भी इसी दिशा में हैं। ट्रंप प्रशासन ने एलजीबीटी (लेस्बियन, गे, बाइसेक्शुअल और ट्रांसजेंडर) समुदाय के खिलाफ नीतियों को भी आगे बढ़ाया है। इसी के तहत कुछ समय पहले सेना में ट्रांसजेंडरों की भर्ती पर रोक का फैसला लिया गया था।

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