Sunday - 7 January 2024 - 11:13 AM

बीजेपी के बढ़ते दबाव से कैसे निपटेंगी ममता ?

जुबिली न्यूज डेस्क

पिछले दिनों टीएमसी के पूर्व नेता शुभेंदु अधिकारी के भाजपा में शामिल होने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने चुनौती देते हुए कहा था, ‘विधानसभा चुनाव आते-आते दीदी पार्टी में अकेले रह जाएंगी।’

शाह का यह बयान राजनैतिक पंडितों को उस समय भले ही सियासी लगा हो लेकिन अब यह बयान सार्थक होता दिख रहा है। ममता बनर्जी के लिए भाजपा ने जो चक्रव्यूह बनाया है वह उसमें फंसती दिख रही है।

सियासी गलियारे में चर्चा है कि ममता बनर्जी सरकार के चार कैबिनेट मंत्री सरकार और पार्टी से इस्तीफा देने का मन बना रहे हैं। यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार की कैबिनेट बैठक में चार मंत्री गायब थे।

दरअसल चिंता की बात यह है कि सिर्फ एक मंत्री ने कैबिनेट बैठक से गैरहाजिर रहने की वजह बताई, बाकी मंत्रियों से संपर्क साधना मुमकिन नहीं हो पाया। उन मंत्रियों के फोन स्विच ऑफ हैं और उन्होंने सरकार या पार्टी में किसी से संपर्क नहीं किया है।

मंत्रियों के गायब होने की वजह से सत्तारूढ़ दल चिंतित है। नवंबर के अंतिम सप्ताह में ममता सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले वन मंत्री राजीव बनर्जी का भी पता नहीं चल रहा है कि वो कहा है। राजीव को लेकर सियासी गलियारे में काफी समय से चर्चा है कि वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं। तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा है कि वन मंत्री राजीब बनर्जी का अता-पता नहीं चल रहा है।

राजधानी कोलकाता के नजदीक स्थित डोमजूर के विधायक राजीव ने ममता बनर्जी की खुलेआम आलोचना की थी। उन्होंने एक सार्वजनिक सभा में तृणमूल नेतृत्व की यह कह कर आलोचना की थी कि पार्टी में भाई-भतीजावाद और चाटुकारिता का बोलबाला है। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी में वे लोग तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, जो ‘यस मैन’ हैं, यानी जो लोग शीर्ष नेतृत्व की हां में हां मिलाते हैं।

राजीव बनर्जी ने इस बात पर जोर दिया था कि पार्टी के कामकाज के तरीके से वह नाराज हैं। उनके इस बयान के बाद से अटकलें लगने लगी थी कि वह भी शुभेन्दु अधिकारी की राह पर चलेंगे।

यह संयोग की बात नहीं है कि राजीब बिल्कुल वही बात कह रहे थे जो उनके पहले शुभेंदु अधिकारी ने कहा था, यहां तक कि दोनों के शब्द भी लगभग एक से हैं।

क्या कहा था शुभेन्दु ने?

शुभेंदु अधिकारी ने कहा था कि ‘कुछ लोग पार्टी में पैराशूट से उतर रहे हैं और उन्हें ही तरजीह दी जा रही है।’ टीएमसी में शुभेन्दु का कद काफी बड़ा था। वह पार्टी में दूसरे नंबर के नेता माने जाते थे।

शुभेन्दु के इस बयान पर सवाल उठा था। वह पार्टी पर परिवारवाद का आरोप लगाये थे लेकिन खुद उनके पिता और भाई तृणमूल कांग्रेस के सांसद हैं। उनका एक भाई म्युनिसपैलिटी में है और वे स्वयं भी मंत्री थे।

शुभेन्दु के परिवार के चार सदस्य सत्ता के गलियारे में थे, बावजूद वो अपनी उपेक्षा की बात कह रहे थे। उसके बाद ही उन्होंने टीएमसी से इस्तीफा दे दिया था।

ये भी पढ़े : अब इस कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेच रही है मोदी सरकार

ये भी पढ़े : पश्चिम बंगाल में चुनाव के चलते MP में भी बंगालियों की पूछ बढ़ी

ये भी पढ़े :  आखिर इस शादी की क्यों हो रही है चर्चा?

अकेले पड़ रही हैं ममता

पिछले कुछ महीनों में तृणमूल कांग्रेस के कई नेता व कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हुए। भाजपा लगातार टीएमसी के तोडऩे की कोशिशों में लगी हुई है। शुभेन्दु अधिकारी का भाजपा में जाना टीएमसी के लिए बड़ा नुकसान माना जा रहा है।

टीएमसी में काफी समय से उठापटक की स्थिति बनी हुई है। जिस तरह से पार्टी छोड़कर नेता, कार्यकर्ता भाजपा का दामन थाम रहे हैं उससे तो शाह का बयान सही होता दिख रहा है।

बंगाल की राजनीति में ऐसी उठापटक तब मची थी जब ममता बनर्जी ने कांग्रेस पार्टी तोड़कर तृणमूल कांग्रेस का गठन किया था। उस समय बड़े पैमाने पर कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़ी थी और यह काम चुनाव के ठीक पहले हुआ था।

ये भी पढ़े :   इस साल वेब सीरीज के आगे नतमस्तक दिखी बॉलीवुड फिल्में

ये भी पढ़े :   ‘बालिग महिला मर्जी से विवाह और धर्म परिवर्तन करती है तो दखल की जरूरत नहीं’

ये भी पढ़े :  नासिक से दिल्ली चला 5 हजार किसानों का कारवां

उस समय तो हालत यह हो गई थी कि ममता बनर्जी के कट्टर विरोधी नेता भी कांग्रेस छोड़ उनकी पार्टी में आ गए थे। एक बार फिर इतिहास खुद को दोहरा रहा है और इस बार ऐसा ममता बनर्जी के साथ हो रहा है।

शुभेन्दु की राह पर चलेंगे और नेता?

शुभेन्दु जब भाजपा में शामिल होने वाले थे तो ऐसी चर्चा थी कि उनके साथ कई और नेता भी भाजपा का दामन थामेंगे। हालांकि उस समय ऐसा हुआ नहीं। लेकिन मंगलवार को कैबिनेट की बैठक से चार मंत्रियों के गायब होने के बाद से ऐसी खबरों के बल मिलने लगा है।

बैठक में राजीव बनर्जी के अलावा पर्यटन मंत्री गौतम देब और उत्तर बंगाल विकास मंत्री रबींद्रनाथ घोष भी नदारद थे। पर्यटन मंत्री गौतम बीमार हैं, इसलिए वह बैठक में शामिल नहीं हुए। उन्होंने खुद इसकी जानकारी पार्टी को दे दी थी। इसलिए समझा जाता है कि दार्जिलिंग जिले के इस विधायक से कोई खतरा नहीं है।

लेकिन विकास मंत्री घोष को लेकर पार्टी चिंतित है। वे कूचबिहार से विधायक हैं। घोष ‘दुआरे-दुआरे’ (‘दरवाजे-दरवाजे’) अभियान के प्रमुख भी हैं। इस अभियान के जरिए सरकार के कामकाज और उसकी योजनाओं को हर घर तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है।

ये भी पढ़े: दही के साथ ये चीजें खाते हैं तो हो जाए सावधान

ये भी पढ़े: कोरोना के नए झटके को लेकर यूपी अलर्ट मोड में

फिलहाल, यह तो साफ है कि तृणमूल कांग्रेस का संकट बढ़ता जा रहा है। इसके असंतुष्ट और विद्रोही नेताओं को यह मौका मिल रहा है कि पार्टी की आलोचना कर या तो अपनी मांग उससे मनवा लें या पार्टी छोड़ बीजेपी में चले जाएं। टीएमसी में ऐसे लोग भी हैं जो सिर्फ पार्टी को ब्लैकमेल करेंगे या मोलभाव कर अपना वजन बढ़ा लेंगे।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com