Tuesday - 9 January 2024 - 9:16 PM

पश्चिम बंगाल में चुनाव के चलते MP में भी बंगालियों की पूछ बढ़ी

रूबी सरकार

पश्चिम बंगाल का चुनाव मध्य प्रदेश और खासकर भोपाल के बंगालियों के लिए एक अवसर लेकर आया है। वर्षों पुरानी दबी इच्छाएं अब मुखर होने लगी है। दरअसल मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को पश्चिम बंगाल में पर्यवेक्षक नियुक्त किये जाने के बाद बंगालियों ने अपनी मांगों की सूची बना ली है। राजधानी के बंगालियों को साधने के डॉ मिश्र ने आनन फानन में बंगाली समाज से पश्चिम बंगाल चुनाव संबंधी सलाह-मशवरा करने की एक बैठक आहूत की।

इसके सूत्रधार राष्ट्रीय स्वयं सेवक से जुड़े तपन भौमिक को बनाया गया। लम्बे समय तक हाशिए पर रहे भौमिक एक बार पुनः सक्रिय हो गये हैं। भाजपा के बैनरतले इकट्ठा होने में बंगालियों को झिझक थी। इसलिए एक बैनर की तलाश शुरू हो गई।

चूंकि यहां आधा दर्जन बंगाली एसोसिएशन है, इसलिए किसी एक के बैनर तले सभी इकट्ठा हों, यह संभव नहीं हो पा रहा था। इसलिए निष्क्रीय पड़े एमपी बंगीय परिषद के बैनर का इस्तेमाल हुआ। इसे सभी बंगाली एसोसिएशन का फेडरेशन कहा गया। बैठक का आयोजन किसी कालीबाड़ी में रखते हुए भोजपुर क्लब का चयन किया गया।

बैठक में परिषद के सचिव सलील चटर्जी ने मांगों की एक फ़ेहरिस्त गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र को थमा दी, जिसमें 15 साल पहले दिवंगत हुए अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त योगाचार्य विश्व योग चैम्पियन डॉ केएम गांगुली के नाम पर टीटीनगर में कालीबाड़ी को जोड़ने के साथ ही मध्यप्रदेश में बांगला साहित्य अकादमी, बांग्ला भाषा में एक प्राइमरी स्कूल और प्रतिवर्ष सरकार के सहयोग से बंगाली उत्सव मनाने को शामिल किया गया।

गृहमंत्री डॉ मिश्र ने बगैर किसी औपचारिकता के तुरंत योगाचार्य के नाम पर मार्ग के उद्घाटन के लिए शिलापट्ट लगाने पर हामी भर दी। बंगाल में फतह हासिल करने के लिए उन्हें यह मामूली मांग लगी हो,लेकिन बिना औपचारिकता के शायद यह संभव न हो पाये।

इस बैठक में विभिन्न बंगाली एसोसिएशन के पदाधिकारी मौजूद थे। लेकिन परिषद के अध्यक्ष भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी अजय कुमार भट्टाचार्य उपस्थित नहीं थे।

पंजाब में अकाली दल और महाराष्ट्र में शिवसेना के अलग होने के बाद भाजपा की ताकत पर असर पड़ा है। हालांकि बिहार चुनाव एनडीए के पक्ष में रहा। अब बंगाल फतह करना और दीदी को सबक सिखाना भाजपा का ध्येय बन चुका है।

इसके लिए मध्य प्रदेश की अहम भूमिका तय की गई है। लंबे समय से राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय पश्चिम बंगाल के प्रभारी हैं। उन्होंने लम्बे समय से संघर्ष करते हुए बंगाल में भाजपा के लिए जमीन तैयार की है।

इसके अलावा वर्ष 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए मध्यप्रदेश के जिन दो नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है, उनमें गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्र और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल हैं। राजनीति में बहुत ही सक्रिय नरोत्तम मिश्रा को इससे पहले भी उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी, जिसे निभाते हुए उन्होंने उत्तरप्रदेश में भाजपा की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

मध्यप्रदेश में चौथी बार शिवराज सरकार बनाने में भी उनकी अहम भूमिका रही है। यहां तक कि उपचुनाव के समय भी उन्होंने काफी मेहनत की। जिसका परिणाम भाजपा के पक्ष में रहा। डॉ मिश्रा को आसनसोल जिले के आस-पास की 48 विधानसभा सीटों का प्रभारी बनाया गया है। प्रभारी बनाये जाने के बाद उन्होंने सबसे पहले समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सदस्य जया भादुड़ी की मां इंदिरा भादुड़ी घर जाकर उनसे आर्शीवाद मांगा।

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इसके बाद ममता बनर्जी का किला ध्वस्त करने के लिए बंगाली समाज का सहयोग मांगा। डॉ मिश्र इन दिनों पश्चिम बंगाल में सक्रिय रहने के साथ ही प्रदेश में बंगाली समाज के लोगों से संपर्क और मेलजोल बढ़ा रहे हैं।पश्चिमी बंगाल में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमले के विरोध में डॉ मिश्रा ने प्रदेश के बंगाली समाज को ममता बनर्जी के खिलाफ एकजुट करना प्रारंभ कर दिया है।

उनकी इस नई मुहिम का उद्देश्य प्रदेश के बंगाली समाज के पश्चिम बंगाल में रहने वाले रिश्तेदारों को ममता सरकार के विरुद्ध और भाजपा के लिए समर्थन मांगना है। इन विषयों पर उन्होंने पहले आधे घंटे तक इंदिरा भादुड़ी से भी चर्चा कर चुके हैं। उन्होंने बंगाल की राजनीति को राष्ट्रवाद से जोड़ने के लिए श्रीमती भादुड़ी से चर्चा की।


पश्चिम बंगाल में भाजपा की सफलता के लिए प्रदेश से जुड़े 3 कद्दावर नेताओं के अलावा अनेक भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी काम पर लगाया गया है। तीन बड़े नेताओं के पास समर्थकों की अपनी-अपनी विश्वसनीय कार्यकर्ताओं की टीम है।

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भाजपा की सक्रियता की वजह से ममता बनर्जी बहुत अधिक दबाव में है और उनके विरुद्ध उनकी पार्टी में ही अंदर ही अंदर असंतोष पनप रहा है। इसका भरपूर फायदा भाजपा उठाने की कोशिश में है, क्योंकि वामपंथी और कांग्रेस पश्चिमी बंगाल में लगभग हाशिए पर पहुंच चुके हैं।

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