Sunday - 7 January 2024 - 1:41 PM

पेयजल को कब तक तरसेगी अतरवती जैसी वृद्धाएं

रूबी सरकार

70 वर्षीय आदिवासी अतरवती बाई सहजपुरी गांव में अपने तीन बेटे-बहुओं से अलग अकेले रहती है। अतरवती के पति वेस्टर्न कोल फील्ड में मुलाजिम थे । उन्होंने युवावस्था में शहर में रहते हुए दूसरी शादी कर ली थी।

इस तरह भरा पूरा परिवार होने के बावजूद उसे एकाकी जीवन जीना पड़ रहा है । इस संवाददाता को देखते ही अतरवती की आंखों से झर-झर आंसू बहने लगे। वह फूट-फूट कर रोने लगी। वह इतना ही कह पायी, कि गांव में आई हो, तो हमें कुछ नहीं चाहिए, बस पेयजल की व्यवस्था करवा कर जाओ।

वह अपना पैर दिखाते हुए बोली, कि पानी ढोते-ढोते मेरे पैरों के तलवे में घाव हो गये है। दूर हैण्डपम्प या किसी और के कुंए से पानी लाना पड़ता है। पानी के लिए भिखारियों की तरह गांव में मारी-मारी फिरती हूं।

अतरवती का यह दुःख पेयजल के लिए भी था और एकाकी जीवन का भी। अतरवती की तरह इस गांव में कई ऐसे वृद्ध स्त्री-पुरूष है, जिन्हें पेयजल उपलब्ध न होने का कष्ट है।

कीचड़ से बनी कमजोर दीवारों वाले घरों में रहने वाले इन वृद्धों की आवाज भी बहुत कमजोर है। इनका रोना भी नक्कार खाने की तूती बनकर रह जाती है। आखिर वे अपनी मन की बात किससे साझा करें।

सहजपुरी गांव विकास के मॉडल के रूप में विख्यात छिंदवाड़ा जिले से मात्र 10 किलोमीटर दूर स्थित है, जहां पिछले 40 वर्षों पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सांसद रहे हैं। कमल नाथ की धर्म पत्नी अलका नाथ भी यहाँ से सांसद रह चुकी हैं । इस समय कमल नाथ यहीं से विधायक हैंऔर उनके बेटे नकुलनाथ यहां के सांसद हैं।

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भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा भी सांसद रह चुके हैं। विकास के लिए छिंदवाड़ा आदर्श मॉडल माना जाता है। छिंदवाड़ा सतह से 671 मीटर ऊॅचाई पर सतपुड़ा के खुले पठार पर कृषि भूमि से घिरा हुआ है।

पानी के अभाव में यहां के अधिकतर किसान सालभर में एक ही फसल ले पाते हैं। जिले में चौड़ी- चौड़ी सड़कें हैं, लेकिन कोई सड़क इस गांव तक नहीं पहुंचती। इसी गांव से सटा सोलाखार गांव है, जो नगर निगम क्षेत्र में आता है। जिससे वहां के लोगों को सारी सुविधाएं उपलब्ध है।

मात्र डेढ़ किलोमीटर की सड़क के लिए सालों से सहजपुरी गांव के लोग सरकार सांसद और विधायक से गुहार लगा रहे है। इसी गांव के पवार मोहल्ला में खेती के लिए बिजली यानी एग्रीकल्चर फीटर है,परंतु घरेलू बिजली कनेक्षन यहां उपलब्ध नहीं है।

पानी पंचायत के सदस्य गुलाब पवार बताते हैं, कि उनके बच्चे कॉलेज में पढ़ते है, बिजली के अभाव में उनकी पढ़ाई में रूकावट आती है।बच्चों की पढ़ाई के लिए 24 घण्टे बिजली आवश्यक हैं।

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छिंदवाड़ा में कुछ बड़ी कंपनियां है। लेकिन नौकरी के लिए यहां के नौजवानों को बाहर जाना पड़ता है। गुलाब पवार ने एम ए तक पढ़ाई करने के बाद गांव में खेती करते हैं।

गांव में पानी की व्यवस्था दुरूस्त करने के लिए गुलाब ने दो दशक से पानी पर काम करने वाली परमार्थ समाज सेवी संस्थान के साथ जुड़कर यहां पानी पंचायत बनाई है।

इसके जरिए वे गांव में पानी और पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे हैं। उनका कहना है, कि यहां मुख्यमंत्री पेयजल योजना के तहत नल कनेक्शन प्रत्येक घरों में है, लेकिन जब भू-जल एक हजार फीट से अधिक नीचे चला गया हो और 70-80 हैण्डपम्प सूख चुके हों, तो ऐसे में पानी कहां से और कैसे मिलेगा।

उन्होंने कहा, बरसात से लगभग नवम्बर तक नलों से पानी टपकता है, उसके बाद पानी आना बिल्कुल बंद हो जाता है। यह स्थिति मई महीने तक बनी रहती है।

ऐसे में ग्रामीण पानी के लिए त्राहि-त्राहि करते हैं , अतरवती के रोने की वजह भी यही है। यहां तक कि सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध न होने के कारण यहां के किसान साल भर में केवल एक ही फसल ले पाते हैं। जिनके पास पानी के साधन है, केवल वही रवी और खरीफ दो फसल ले पाते हैं।

गुलाब ने कहा, छिंदवाड़ा और सिवनी जिले के सिंचाई और पेयजल के लिए कन्हान नदी की सहायक नदी पेंच पर माचागोरा बांध का का काम पिछले तीन दशकों से सुस्त गति से चल रहा है।

वर्ष 2017 में 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है। तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बांध का काम जल्द पूरा करने के लिए अपने कार्यकाल में 993 करोड़ रूपये की स्वीकृत दी, लेकिन उनके मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद काम फिर सुस्त पड़ गया ।

बांध का काम पूरा होने के बाद अनुमान है, कि इससे छिन्दवाड़ा जिले के 164 एवं सिवनी जिले के 152 गांवों में लगभग एक लाख , 15 हजार हेक्टेयर वार्षिक सिंचाई हो सकेगी।

विभागीय सूत्रों के अनुसार इससे माईक्रो इरीगेशन के अंतर्गत हर खेत में पानी उपलब्ध कराने का सतत् प्रयास किया जा रहा हैं। पानी की कमी से जहां खेत खाली पडे रहते है, वहीं माईक्रो इरीगेशनसे आसपास के किसानों के खेत फसलों से लहलहाने उम्मीद है। इससे किसानों की आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेगी।

बहरहाल जल जीवन मिशन अंतर्गत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को वर्ष 2024 तक चालू घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाना है।

जिन ग्रामों में पूर्व से नल जल योजना संचालित है, उनमें प्राथमिकता पर वर्ष 2022 तक सुधार के कार्य इस तरह किए जाने है, ताकि गांव के प्रत्येक घर में चालू नल कनेक्शन से जल उपलब्ध कराया जा सके।

इसी कड़ी में सांसद आदर्श ग्राम,अनुसूचित जाति व जनजाति बाहुल्य गांव को इसमें प्राथमिकता दी गई है। संभवतः अतरवती जैसी वृद्धाओं को तब तक इंतजार करना पड़ेगा।

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