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Lok Sabha Election : जानें आजमगढ़ लोकसभा का इतिहास

पॉलिटिकल डेस्क

आजमगढ़ जिला आजमगढ़ मंडल के तीन जिलों में से एक है। आजमगढ की लोकसभा सीट 80 लोकसभा सीटों में 69वें नंबर की सीट है। 4,054 वर्ग किमी में फैले इस जिले का मुख्यालय आजमगढ़ शहर है। 1801 में लखनऊ के वजीर ने आजमगढ़ को अंग्रेजों के हवाले किया था। यह जिला पूर्व में मऊ, उत्तर में गोरखपुर, दक्षिण-पूर्व में गाजीपुर, दक्षिण-पश्चिम में जौनपुर, पश्चिम में सुल्तानपुर और उत्तर-पश्चिम में आंबेडकर नगर से घिरा है।
तमसा नदी के पास बसे आजमगढ़ का नाम देश विदेश में अनजाना नहीं है। राजा विक्रमजीत के बेटे आजमखां द्वारा स्थापित यह शहर अनेक स्वतंत्रता सेनानियों, ऋ षियों और विद्वानों की कर्मभूमि रहा है। पर्यटन की दृष्टि से आजमगढ़ हमेशा ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। इन स्थलों में दुर्वासा, मुबारकपुर, गोविन्द साहिब, भंवरनाथ मंदिर, मेंहनगर और अवंतिकापुर विशेष महत्व रखते हैं।

आबादी/ शिक्षा

 

 

आजमगढ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में उत्तर प्रदेश विधानसभा की पांच सीटें आती है- गोपालपुर, सगरी, आजमगढ, मेंहनगर और मुबारकपुर। इनमे मेंहनगर की विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। 2011 की जनगणना के अनुसार आजमगढ़ में कुल 6,65,232 परिवार रहते है। यहां की आबादी 46,13,913 लाख है जिनमें पुरुषों की संख्या 22,85,004 लाख और महिलाओं की संख्या 23,28,909 लाख है। आजमगढ़ की 84 प्रतिशत जनसंख्या हिंदुओं की और 15 प्रतिशत आबादी मुस्लिमों की है। उत्तर प्रदेश के लिंगानुपात 912 के मुकाबले यहां प्रति 1000 पुरुषों पर 1,019 महिलायें है। यह आंकड़ा आजमगढ़ के शहरी क्षेत्रों में 945 जबकि ग्रामीण इलाकों में 1,026 है। आजमगढ़ की औसत साक्षरता दर 70.93 प्रतिशत है जिनमें पुरुषों की साक्षरता दर 68.25 प्रतिशत और महिलाओं की साक्षरता दर 52.06 प्रतिशत है। यहां के कुल मतदाताओं की संख्या 1,703,121 है जिनमें महिला मतदाता 761,573 और पुरुष मतदाता 941,447 है।

राजनीतिक घटनाक्रम

आजमगढ़ में 1952 से 1971 तक हुए आम चुनावों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने लगातार पांच बार जीत दर्ज की। 1977 में हुए चुनावों में कांग्रेस का विजय रथ जनता पार्टी के राम नरेश यादव ने रोका, अगले ही साल उपचुनाव हुए और कांग्रेस(आई) की टिकट पर मोहसिना किदवई निर्वाचित होकर यहां की पहली महिला सांसद बनी।

1980 में चंद्रजीत यादव ने जनता पार्टी(सेक्युलर) को आजमगढ में सफलता दिलाई। 1984 में संतोष आजमगढ़ कुमार ने जीत हासिल करके कांग्रेस का सालों लंबा इन्तजार खत्म किया। 1989 में राम कृष्ण यादव बहुजन समाज पार्टी और 1991 में चंद्रजीत यादव जनता पार्टी की टिकट पर जीतकर लोकसभा पहुंचे। 1984 में संतोष कुमार (कांग्रेस), 1989 में राम कृष्ण यादव(बसपा) और 1991 में चंद्रजीत यादव(जनता दल) ने लोकसभा में आजमगढ का प्रतिनिधित्व किया। 1996 से 2004 तक कभी सपा ने बसपा को हराकर तो कभी बसपा ने सपा को हराकर आजमगढ़ की सीट पर कब्जा किया। 2008 में उपचुनाव हुए बसपा के अकबर अहमद निर्वाचित हुए। 2009 में समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद रमाकांत यादव भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लड़े और आजमगढ में भाजपा को पहली बार जीत दिलाई। 2014 में मैनपुरी की सीट के साथ साथ मुलायम आजमगढ से भी चुनाव लड़े और उन्होंने यहां से भी जीत पाई। जीत के बाद मुलायम सिंह ने मैनपुरी की सीट छोड़ दी।

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