Sunday - 7 January 2024 - 2:17 AM

दूसरों पर FIR, तो अधिकारी पर क्यों नहीं

  • तूल पकड़ा प्रमुख सचिव के कोरोना संक्रमित होने का प्रकरण

रूबी सरकार

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित अनेक प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारियों को कोरोना संक्रमण के खतरे में डालने वाली स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव पल्लवी जैन गोविल पर एफआईआर दर्ज न होने पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

प्रमुख सचिव के संक्रमित होने के बावजूद बैठकें लेने के कारण 4 दर्जन अधिकारी जांच करा चुके हैं । स्वास्थ्य विभाग के ही 8 अधिकारी कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं ।

दरअसल कोरोना पॉजिटिव रहे पत्रकार केके सक्सेना पर लोगों के बीच घूमने के कारण एफआई आर दर्ज हुई थी, ऐसे में केन्द्र सरकार के दिशा निर्देश के अनुसार प्रमुख सचिव पर भी एफआई आर दर्ज होनी चाहिए।

पल्लवी के प्रकरण में यह भी कहा जा रहा है, कि उनका बेटा कोरोना के कारण अमरीका से भोपाल लौटा था।

पल्लवी ने उसे होम आइसोलेटेड किया, लेकिन खुद मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव की बैठकों में भाग लेती रहीं। इसके अलावा वह स्वयं भी कई बैठकें करती रहीं।

इसके अलावा आयुष्मान भारत के सीईओ जे विजय कुमार और उपसंचालक प्रमोद गोयल भी पॉजिटिव हैं। ये दोनों अधिकारी लापरवाही करते रहे । प्रमोद इंदौर से भोपाल आए थे, लेकिन वे क्वारंटाइन नहीं रहे। जे विजय बीमार होने के बावजूद बैठके करते रहे। स्वास्थ्य की अतिरिक्त निदेशक वीणा सिन्हा भी पॉजिटिव हैं, उनका बेटा अमरीका में रहता है।

हालांकि उन्होंने कहा है, कि उनका बेटा अभी अमेरिका में ही है। अनुमान है कि स्वास्थ्य विभाग की बैठकों के जरिए संक्रमण उन तक पहुंचा है।

इधर जब केके सक्सेना की बेटी विदेश से आई थीं और वह पॉजिटिव पाई गई थी , बावजूद इसके पत्रकार सक्सेना पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की प्रेसवार्ता सहित अन्य कई जगहों पर घूमते रहे।

इसी कारण उन पर एफआईआर हुई थी। अब विपक्षी दल कांग्रेस की मांग है, कि जब पत्रकार पर गाइड लाईन पालन न करने पर एफआईआर दर्ज हो सकती है, तो हर बैठक में मुख्यमंत्री और मुख्यसचिव तथा पल्लवी स्वयं विदेश से आने वालों को क्वारंटाइन कराने वाली पल्लवी पर एफआईआर क्यों नहीं हुआ, जबकि सक्सेना के पॉजिटिव आने पर अगले दिन एफआईआर दर्ज हो गई थी।

विवके तन्खा ने आयोग को लिखा पत्र

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य विवके तन्खा ने मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष को अखबारों में प्रकाषित कतरनों के साथ पत्र लिखकर इस प्रकरण पर संज्ञान लेने का आग्रह किया है। उन्होंने इस पत्र को ट्वीट भी किया है।

मानव अधिकार आयोग ने लिया संज्ञान

विवके तन्खा के पत्र का संज्ञान लेते हुए आयोग के अध्यक्ष ने प्रदेष के मुख्यसचिव से 9 अप्रैल,2020 शाम 5 बजे तक प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा है। आयोग ने शासन से पूछा है, कि अधिकारियों के कोरोना वायरस के संक्रमण की पॉजिटिव रिपोर्ट किस तारीख व समय पर प्राप्त हुई थी तथा पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाकर आइसोलेशन वार्ड में क्यों नहीं रखा गया।

साथ ही स्वास्थ्य विभाग के ऐसे कितने अधिकारी एवं कर्मचारियों की कोरोना वायरस से संक्रमण की पुष्टि हुई है। क्या पॉजिटिव रिपोर्ट प्राप्त होने पर संपर्क में आये स्वास्थ्य विभाग के इन अधिकरियों एवं कर्मचारियों को आइसोलेशन वार्ड में रखा है या नहीं। आयोग ने यह भी पूछा, कि यह दायित्व किसका है और अगर नियमों का पालन नहीं हुआ, तो संबंधित अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई। आयोग ने निर्धारित तिथि तक ई-मेल के जरिये प्रतिवेदन भेजने को कहा है।

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