Sunday - 7 January 2024 - 9:04 AM

निर्बल से लड़ाई बलवान की, यह कहानी है दीये और तूफ़ान की

सुरेंद्र दुबे

केंद्र शासित राज्‍य दिल्‍ली में कल विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। हमें इसकी पूर्व संध्‍या पर वर्ष 1956 में आई फिल्‍म ‘दिया और तूफान’ का एक गाना याद आ रहा है। गाने के बोल हैं, ‘निर्बल से लड़ाई बलवान की, यह कहानी है दीये की और तूफ़ान की’, जिसे अपने जमाने के मशहूर गायक मन्‍ना डे ने गाया था।

दिल्‍ली विधानसभा का चुनाव दिया और तूफान के बीच की लड़ाई जैसा है। एक ओर आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं, जिनकी तुलना आप दीये से कर सकते हैं। उनका सीधा मुकाबला भारतीय जनता पार्टी से है, जिसे आप तूफान की संज्ञा दे सकते हैं।

अरविंद केजरीवाल ने वर्ष 2015 में दिल्‍ली विधानसभा के चुनाव में 70 में से 67 सीटें प्राप्‍त कर तूफान मचा दिया था। वह भी तब जब नरेंद्र मोदी इस देश के प्रधानमंत्री थे और उनकी लो‍कप्रियता अपने चरम पर थी। इस बार नरेंद्र मोदी तमाम विवादों तथा कई राज्‍यों में हुई हार से भले ही एक कम ताकतवर नेता के रूप में दिखाई दे रहे हैं, पर इस सच्‍चाई से इनकार नहीं किया जा सकता कि आज भी वह सबसे ज्‍यादा लोकप्रिय नेता हैं।

हम अरविंद केजरीवाल की तुलना दीये से इस लिए कर रहे हैं क्‍योंकि रणभूमि में वे अकेले हैं। उनके सामने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह सहित भाजपा के दर्जनों मंत्री तथा उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने पूरा तूफान सा खड़ा कर रखा है।

भाजपा ने पूरा चुनाव शाहीन बाग के इर्द-गिर्द केंद्रित कर जमकर हिंदू कार्ड खेला है। बीच-बीच में राष्‍ट्रवाद और जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 का तड़का जमकर लगाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो दिल्‍ली में एनसीसी के एक कार्यक्रम में पाकिस्‍तान को हफ्ते 10 दिन में ही हरा लेने का भी उद्घोष किया। हालां‍कि, फिलहाल देश में कोई युद्ध नहीं चल रहा है।

तूफान को लगातार गति देने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक चुनावी सभा में कहा कि भाजपा समर्थक लोग ईवीएम का बटन इतनी जोर से दबाए कि उसका करंट सीधे शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को लगे। जाहिर है कि अगर किसी को करंट लगेगा तो उसका हत या आहत होना निश्चित है। उनकी भावना का सम्‍मान करते हुए केंद्रीय वित्‍त राज्‍य मंत्री अनुराग ठाकुर ने नारे लगवाए, ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो…’। हो सकता है कि उन्‍हें लगा हो कि शायद करंट लगने से लोग हताहत न हों तो गोली मारना ही उचित होगा।

भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा ने मतदाताओं डराने के लिए यहां तक कह दिया कि अगर भाजपा के अलावा कोई जीत गया तो लोगों की बहू-बेटियों की इज्‍जत भी खतरे में पड़ जाएगी। इन्‍होंने तथा केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने तो अरविंद केजरीवाल को आतंकवादी तक बता दिया। अब इससे ज्‍यादा तूफान क्‍या खड़ा किया जा सकता था, भले ही वो झूठ पर आधारित हो।

कर्नाटक के भाजपा नेता तेजस्वी सूर्य ने तो यहां तक कह दिया कि अगर शाहीन बाग का धरना ऐसे ही चलता रहा तो देश में मुगल राज आ जाएगा। इस तूफानी बवंडर से घबरा कर अरविंद केजरीवाल फौरन हनुमान जी की शरण में चले गए और हनुमान चालिसा का सस्‍वर पाठ कर हिंदुओं का दिल जीतने का प्रयास किया।

कहते हैं कि तूफान के आगे कोई दिया नहीं टिक सकता है। पर लगता है कि दिल्‍ली में दिया जलता रहेगा और तूफान आसपास से निकल जाएगा। हम इस नतीजे पर बिला वजह नहीं पहुंचे हैं। जितने भी टीवी चैनलों ने ओपिनियन पोल सर्वे किए हैं, सबने आम आदमी पार्टी को 45 से लेकर 60 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है, जबकि दिल्‍ली में सरकार बनाने के लिए केवल 36 सीटों की जरूरत है।

वैसे सर्वे कोई ध्रुव सत्‍य नहीं होते पर ये सारे सर्वे करने वाले गोदी मीडिया या साफ-साफ कहें तो मोदी मीडिया वाले लोग हैं, जिन्‍होंने एक महीने तक अरविंद केजरीवाल की नाक दम कर रखा था और दिन भर एक ही राग अलाप रहे थे, जिसे आप मोदी राग कह सकते हैं। जब इन मोदी भक्‍तों को भी आम आदमी पार्टी की ही सरकार बनती दिखाई दे रही है। तो फिर यह कहना ही पड़ेगा कि दिया की बाती भी बहुत मजबूत है और उसमें भरपूर तेल भी है, जिसे तूफान बुझा पाएगा यह बहुत ही मुश्किल दिखता है। यानी कि दिये और तूफान की लड़ाई में दिया जीत जाएगा।

(लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं) 

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