Wednesday - 10 January 2024 - 7:06 AM

कोरोना काल : टूट गई सैकड़ों साल पुरानी परंपरा

  • काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत परिवार के पुजारियों ने मंदिर में प्रवेश करने से रोका
  • नाराज होकर बीच सड़क पर ही महंत परिवार ने कर दी सप्त ऋषि आरती

न्यूज डेस्क

यह कोरोना काल है। इस काल में सबकुछ बदल गया है। सदियों पुरानी परंपराएं टूट रही है और एक नई जीवन शैली जुड़ रही है।
कोरोना ने सभी के अस्तित्व को नकार दिया है तभी तो धार्मिक स्थलों पर ताले लटक रहे हैं। इन जगहों पर सुबह व शाम प्रार्थना लिए जुटने वाली भीड़ भी नहीं दिख रही है।

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए धार्मिक स्थलों में सभी का प्रवेश बंद हैं। इसी के चलते काशी विश्वनाथ मंदिर की सैकड़ों साल पुरानी एक परंपरा टूट गई। काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत परिवार के पुजारियों ने मंदिर में प्रवेश करने से रोके जाने से नाराज होकर बीच सड़क पर ही सप्त ऋषि आरती कर दी।

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महंत परिवार के पुजारियों ने आरती के दौरान बाबा काशी विश्वनाथ का पार्थिव शिवलिंग बनाकर बाकायदा जलाभिषेक व दुग्धाभिषेक किया और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सप्त ऋ षि आरती को बीच सड़क पर संपन्न किया।

यह सैकड़ों साल पुरानी परंपरा है। बाबा विश्वनाथ की सप्तऋ षि आरती महंत परिवार के सदस्यों द्वारा ही कराई जाती रही है, लेकिन कोरोना काल में यह नहीं हो सका। हालांकि ऐसा क्यों हुआ इसको लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही है।

यह परंपरा उस वक्त टूट गई, जब काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने आरती करने जा रहे महंत परिवार के पुजारियों को रास्ते में ही रोक दिया और मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया।

मंदिर में जाने से रोके जाने से नाराज महंत परिवार के पुजारियों ने काशी विश्वनाथ मंदिर के गेट नंबर 4 पर एकजुट होकर सबसे पहले फूल माला से बाबा काशी विश्वनाथ का पार्थिव शिवलिंग बनाया। फिर वैदिक मंत्रोचार के बीच शिवलिंग पर जलाभिषेक और दूग्धाभिषेक करते हुए सप्त ऋ षि आरती पूरी की।

काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य अर्चक और महंत परिवार के वरिष्ठ सदस्य शशि भूषण त्रिपाठी ने कहा कि उनका परिवार काशी विश्वनाथ की सप्त ऋ षि आरती हजारों वर्षों से करता आ रहा है, लेकिन गुरुवार को उनको मंदिर प्रशासन ने यह कहते हुए रोक दिया कि आप मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते, क्योंकि आपने कैलाश मंदिर के मामले में उच्च अधिकारियों से शिकायत की है।

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उन्होंने यह भी कहा कि उनके महंत परिवार के कैलाश मंदिर में कॉरिडोर के काम के दौरान न केवल क्षति पहुंचाई गई थी, बल्कि मूर्तियों को भी नुकसान पहुंचा गया था। काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के विस्तारीकरण के लिए केवल मकान का ही कुछ हिस्सा देने की बात हुई थी, न कि कैलाश मंदिर को, लेकिन कैलाश मंदिर को क्षति पहुंचाई गई, जिसकी शिकायत उन्होंने मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी से की थी और एसएसपी साहब को भी फोन करके पूरे मामले की जानकारी दी थी।

गुरुवार को पुरानी परंपरा को निभाते हुए रोज की तरह 14 पुजारी सप्त ऋषि आरती में जा रहे थे, लेकिन उनको रोककर मंदिर के अंदर वेतन भोगी पुजारियों से आरती संपन्न करा ली गई। सप्त ऋ षि आरती महंत परिवार के पुजारियों से कराने की परंपरा प्राचीन है। उन्होंने आगे बताया कि अगर जब तक उनको ऐसे रोका जाएगा, तब तक वो सड़क पर सप्त ऋ षि आरती करते रहेंगे।

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