Tuesday - 9 January 2024 - 2:40 PM

डाटा सुरक्षा को लेकर विपक्षी दलों की चिंता कितनी जायज

न्यूज डेस्क

आधार कार्ड की सुरक्षा को लेकर विपक्षी दलों ने चिंता जतायी है। जाहिर है आज आधार कार्ड सिर्फ पहचान या पते का प्रमाण नहीं, बल्कि एक यूनिक डॉक्यूमेंट बन गया है क्योंकि इसमें आपकी बायोमैट्रिक जानकारी दर्ज होती है। इसमें आपका फिंगर प्रिंट, आंख की डीटेल और आपकी फोटो समेत अन्य जानकारी होने की वजह से इसकी सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।

राज्यसभा में आधार संशोधन विधेयक पारित

राज्यसभा में 8 जुलाई को ‘आधार और अन्य कानून (संशोधन) विधेयक, 2019’  को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। इस विधेयक में बैंक में खाता खोलने, मोबाइल फोन का सिम लेने के लिए आधार को स्वैच्छिक बनाने का प्रावधान किया गया है।

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इसके अलावा निजी संस्थाओं द्वारा आधार डाटा का दुरुपयोग करने पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना और जेल का प्रावधान रखा गया है। बीते 24 जून को इस विधेयक पेश किया गया था, जिसे लोकसभा से चार जुलाई को पारित किया गया। अब ये विधेयक राज्यसभा से भी पारित हो चुका है।

डाटा की सुरक्षा के लिए विधेयक की मांग

कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने आधार कार्ड से जुड़ी जानकारियों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता जताते हुए सरकार से इसके डाटा की सुरक्षा के लिए संसद में एक विधेयक लाने की मांग की और ध्यान दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संबंध में सुझाव दिया है।

उच्च सदन में ‘आधार और अन्य कानून (संशोधन) विधेयक 2019’ पर हुई चर्चा के दौरान विभिन्न विपक्षी दलों ने यह सुझाव दिया। कई सदस्यों का यह भी सुझाव था कि इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा जाना चाहिए ताकि इस पर विस्तृत चर्चा और समीक्षा हो सके।

विधेयक को चर्चा के लिए रखते हुए राज्यसभा में सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आधार संशोधन विधेयक सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ध्यान में रखते हुए लाया गया है। इसमें यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी के पास आधार नहीं होने की स्थिति में उसे सेवा से वंचित नहीं किया जा सकता है।

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उन्होंने आधार को सुरक्षित करार देते हुए कहा कि देश की जनता ने आधार की उपयोगिता को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि देश तो आधार के साथ चल पड़ा है और पिछले पांच साल में एक भी गरीब ने ऐसी शिकायत नहीं की कि आधार के कारण उसका जीवन कठिन हुआ है।

प्रसाद ने कहा कि भारत की आबादी 130 करोड़ है और उनमें से 123.8 करोड़ लोगों के पास आधार है। 69.38 करोड़ मोबाइल फोन तथा 65.91 करोड़ बैंक खाते आधार से जुड़ चुके हैं।

उन्होंने कहा कि आधार से 1.41 लाख करोड़ रूपए की बचत हुई है। उन्होंने कहा कि कोई बच्चा जब वयस्क हो जाता है तो उसे अधिकार है कि वह आधार प्राप्त करने के लिए नए सिरे से अनुमति दे।

कांग्रेस ने विधेयक का किया विरोध

कांग्रेस ने इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि इसके कई प्रावधान सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन करते हैं। चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी ने विधेयक का विरोध किया और कहा कि आधार एक देश, एक कार्ड नहीं है। उन्होंने कहा कि आधार का उपयोग गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा नहीं किया जा सकता।

सिंधवी ने कहा कि यह गैर-सरकारी एजेंसियों के लिए नहीं बनाया गया है। उन्होंने कहा कि आधार सेवा, लाभ और सब्सिडी के लिए है। उन्होंने कहा कि आधार में अधिकतर संवेदनशील आंकड़े होते हैं और सरकार अब तक डाटा सुरक्षा कानून नहीं लाई है।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार डाटा सुरक्षा कानून से बच रही है। उन्होंने कहा कि आंकड़े साझा करने वाले व्यक्ति को पता होना चाहिए कि उसके आंकड़ों का उपयोग कहां किया जा रहा है।

सिंघवी ने सवाल किया कि इस संबंध में अध्यादेश लाने की क्या जरूरत थी और सरकार को डाटा सुरक्षा कानून लाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि जब सरकार डाटा सुरक्षा कानून लाएगी तो फिर आधार कानून में संशोधन किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि इस विधेयक के कई प्रावधान सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है। इसके साथ विधेयक में ऐसे कई प्रावधान हैं जिनमें सरकार को कदम उठाने की जिम्मेदारी दी गयी है जबकि वह कार्य संसद को करना है।

बायोमैट्रिक डेटा क्यों हैं महत्वपूर्ण

बायोमैट्रिक डेटा अब आधार के वेरिफिकेशन के लिए यूज किया जाता है। मसलन अगर आप नया सिम कार्ड लेने के लिए कहीं जाते हैं तो वह अब आपसे पहले की तरह पते और पहचान के प्रमाण पत्र की कॉपी नहीं मांगता।

आधार नंबर बताने के बाद वहां एक स्कैनर पर आपको अंगुलियों के निशान देने पड़तेे हैं और आपकी पहचान सत्यापित हो जाती है। बायोमैट्रिक डेटा से पहचान सुनिश्चित करना आसान और तेज हो गया है।

यह डेटा हर व्यक्ति के मामले में अलग होता है और गलत हाथ में जाने से काफी नुकसान हो सकता है। इस वजह से इन आंकड़ों ं को सुरक्षित रखना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।

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