उनका हिन्दी प्रेम बेमिसाल है। जब देखो, जहां देखो, हिन्दी के हिमायती बने विशुद्धता के साथ हिन्दियाते रहते हैं। हिन्दी के ऐसे-ऐसे शब्द, कोश से बीनकर, छाड़-फूंक कर लाते कि सुनने वाला चकरा जाए कि क्या यह हिन्दी ही है। उसे अपने हिन्दुस्तानी होने पर शर्मिन्दगी महसूस होने लगती। जब …
Read More »जुबिली ज़िन्दगी
जैन चाट भण्डार : शुद्ध और स्वादिष्ट की बनायी पहचान
आज से कोई पचास बावन साल पहले नावेल्टी सिनेमा के ठीक सामने बरामदे में एक छोटी सी मेज पर एक दुबले पतले सज्जन अपनी धुन में मगन ठीक चार बजे चाट की दुकान सजाने लग जाते थे। वो शुक्ला चाट वाले से तीन से चार सौ बताशे खरीदकर लाते और …
Read More »बड़े अदब से : वी लव पुलिस
पिछले दिनों लाॅक डाउन में हमारी पुलिस का नया परोपकारी, जन सेवक रूप सामने आया है। वो हर तरह की सेवा में निःस्वार्थ तत्पर रहे। यह बात मैं गीता पर हाथ रखकर स्वीकार कर सकता हूँ कि मैं और मेरा परिवार तब से पुलिस का दीवाना है। वी लव पुलिस। …
Read More »शुक्ला चाट : नाम ही काफी है
प्रेमेन्द्र श्रीवास्तव ये उन दिनों की बात है जब शाम होते ही लखनऊ एक बड़ा तबका (जिसमें जवान से लेकर बुजुर्ग तक शामिल थे) गंजिंग करने निकलता था। फिजां में इत्र महकता था। हलवासिया से काफी हाउस तक के दो चक्कर लगाने के बाद जुबान पानी छोड़ने लगती थी। तब …
Read More »29 या 30 अगस्त, कब रखा जाएगा जन्माष्टमी व्रत, जानिए पूजा विधि व नियम
जुबिली न्यूज डेस्क हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों को इस खास दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है। इस दिन लोग रात …
Read More »बड़े अदब से : परचून हेल्पलाइन
लाॅक डाउन में जरूरतमंदों के घर तक राशन पहुंचाने के वीडियो देखकर कुछ राज्यों की सरकारों के दिल को छू गया। वे क्रांतिकारी निर्णय ले रही हैं। सुनने में आ रहा है कि किसी राज्य के योजनाकार राशन वितरण प्रणाली में बदलाव करने का मन बना चुके हैं। अब राशन …
Read More »स्वाद का दूसरा नाम रत्ती के खस्ते
एक जमाना था जब रत्ती लाल पिताजी सिर पर खोमचा लेकर गली-गली खस्ते बेचते थे। दादा जी के समय एक रुपये में 64 खस्ते मिला करते थे। मैंने अपने होश में पचास पैसे में एक खस्ता बेचा है। सबसे बड़े पुत्र रत्ती लाल ने ठेला लगाकर खस्ते बेचने शुरू किये। …
Read More »रेवड़ी वाले नवीन : जिनकी आज तक है दूर दूर तक पहचान
प्रेमेन्द्र श्रीवास्तव ‘पिताजी जब पाकिस्तान से सब कुछ छोड़कर शरणार्थी बनकर लखनऊ आये थे तो उनकी उम्र सिर्फ आठ साल थी। दो बड़े भाई और बहनें भी साथ में आयी थीं। सरवाइवल की जंग थी। छोटे मोटे काम धंधे करके किसी तरह गुजर बसर हो रही थी। चार साल के …
Read More »चाणक्य के लड्डू : ये नहीं चखा तो कुछ नहीं किया
प्रेमेन्द्र श्रीवास्तव यह वह समय था जब स्टेडियम के आसपास कुछ भी नहीं था। बस सामने एक थका सा पार्क मुखर्जी फुहारऔर उसी में एक पान की दुकानऔर एक टी स्टाल हुआ करता था। फिर चौराहे का कायाल्प हुआ। दुकानें बनीं। यह बात है 1983 की। इन्हीं दुकानों में एक …
Read More »शर्माजी की चाय : सब कुछ फीका है इस चाय के आगे
चस्का ये चाय का मोहब्बत से भी लजीज है इश्क भी फीका पड़ जाए, चाय ऐसी चीज है प्रेमेन्द्र श्रीवास्तव दुनिया भर में सिर्फ दो ही चायवाले मशहूर हुए हैं एक तो आप सब जानते ही हैं और दूसरे को रोज लालबाग के नुक्कड़ पर देखते सुनते और …
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