Thursday - 11 January 2024 - 8:21 PM

इसे जंगल राज न कहें तो क्‍या कहें?

सुरेंद्र दुबे

कहते हैं रियल लाइफ और रील लाइफ में अंतर होता है। पर उत्‍तर प्रदेश में रियल और रील लाइफ में अंतर खत्‍म कर नए कीर्तिमान स्‍थापित किए जा रहे हैं। ताजा उदाहरण बिजनौर की एक अदालत का है, जहां भरी कोर्ट में जज साहब के सामने ही दो लोगों ने कोर्ट में पेशी के लिए आए अपने बाप के कातिल को 25 राउंड गोलियां चलाकर मौत के घाट उतार दिया। इस अंधाधुंध फायरिंग में जहां तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए, वहीं जज साहब बाल-बाल बच गए।

इस तरह के सीन यदा-कदा फिल्‍मों में देखने को मिलते रहे हैं। पर ये कल्‍पना से परे था कि बेहतर कानून व व्‍यवस्‍था का दंभ भरने वाली उत्‍तर प्रदेश सरकार में कोर्ट रूम में भी कभी गोली चल सकती है। कोर्ट परिसर में कई बार गोलियां चली हैं। पर जहां तक याददाश्‍त जाती है पूरे देश में कभी ऐसी घटना नहीं हुई। अब आम आदमी क्‍या करे। कहां छुप कर अपनी जान बचाए। आम आदमी की तो छोड़ो अब जजों को भी सोचना पड़ेगा कि वे अपनी जान कैसे बचाएं। अब अगर इसे जंगल राज न कहे तो क्‍या कहें। इतने भयभीत तो हम जंगल राज में भी नहीं रहे होंगे।

 

दरअसल, कल बिजनौर ज़िले के सीजेएम कोर्ट में बसपा नेता एहसान और उनके भांजे के हत्‍या के आरोपी शाहनवाज़ और जब्बार पेशी के लिए आए थे। तभी एहसान का बेटा साहिल अपने दो साथियों के साथ कोर्ट परिसर में पहुंचा और दोनों अभियुक्तों को निशाना बनाते हुए फ़ायरिंग शुरू कर दी। शाहनवाज को कई गोलियां लगीं और उसकी मौक़े पर ही मौत हो गई। लेकिन जब्‍बार बच कर भागने में सफल रहा और उसका अभी तक कोई सुराग नहीं लग पाया है। पुलिस की कई टीम उसकी तलाश में बुधवार को भी जुटी हैं।

इस दौरान कोर्ट में मौजूद हेड मोहर्रिर समेत दो पुलिसकर्मी घायल हो गए जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हमलावरों को दौड़ाकर पकड़ लिया गया और कड़ी सुरक्षा के बीच पुलिस तीनों अभियुक्तों को थाने ले गई, जहां आगे की कार्रवाई की जा रही है।

हैरतअंगेज बात यह थी कि ये पूरी वारदात उस वक्त हुई, जब सीजेएम कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही थी। सीजेएम योगेश कुमार इस फायरिंग में बाल-बाल बच गए। वहीं, कानून को अपनी जेब में लेकर कोर्ट में पहुंचे साहिल ने शूटआउट के बाद परिसर में खड़े लोगों से कहा कि ‘मेरा इंतकाम पूरा हुआ। आप लोग डरें या भागें नहीं। हमारी किसी से कोई रंजिश नहीं है।‘ अब इस तरह के दृश्‍य तो फिल्‍मों में ही देखने को मिलते रहे हैं। लगता है कानून से बेखौफ बदमाश रील लाइफ को रियल लाइफ में उतार देना चाहते हैं।

आज मामले का स्‍वत: संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की पूरी जानकारी मांगी है और तल्‍ख टिप्‍पणी की है कि सवाल किया है जब न्‍यायलय और जज ही सुरक्षित नहीं तो आम जनता कैसे सुरक्षित महसूस करेगी।

उत्‍तर प्रदेश के पुलिस तंत्र की पोल खोलने वाले इस सनसनीखेज शूटआउट के बाद एसपी बिजनौर संजीव त्यागी ने कचहरी पुलिस चौकी के इंचार्ज समेत 18 पुलिस कर्मियों को सस्पेंड कर दिया है। कचहरी चौकी पर 14 पुलिसकर्मी तैनात थे। इसी के साथ चार अन्य पुलिसकर्मी भी सस्पेंड किए गए हैं, जो ड्यूटी के दौरान आसपास ही मौजूद थे।

एसपी बिजनौर संजीव का कहना है कि इन पुलिसवालों ने सुरक्षा में कोताही की। कचहरी जाने वालों की चेकिंग नहीं की गई। एसपी के मुताबिक सीजेएम कोर्ट में शाहनवाज की पेशी का चर्चित मामला होने के बावजूद पुलिस की सतर्कता कम दिखी। इसलिए कचहरी पुलिस चौकी को सस्पेंड कर दिया गया है। निलंबित पुलिस वालों में महिला पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।

प्रदेश की हर कचहरी में अब सुरक्षा के लिए गार्ड तैनात कर दिए गए हैं और आने-जाने वाले लोगों की मेटल डिटेक्‍टर के जरिए उनकी और उनके सामान की बाकायदा जांच की व्‍यवस्‍था है। इसके कारण आम आदमियों को कोर्ट जाने में बड़ी दिक्‍कत का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी पुलिस वालों से कहासुनी भी हो जाती है। पर बिजनौर की घटना से ऐसा लगता है कि बदमाशों के लिए इस तरह की सुरक्षा व्‍यवस्‍था का कोई मतलब नहीं है, वरना कोर्ट रूम के अंदर असलहे कैसे पहुंचते। लगता है कि अब हर कोर्ट रूम के बाहर सुरक्षा गारद की व्‍यवस्‍था करनी पड़ेगी।

(लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)

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