Monday - 8 January 2024 - 8:06 PM

पांच साल बाद जागा अवध विश्वविद्यालय प्रशासन, शिकायत पर जांच समिति गठित

  • डीन वाणिज्य प्रो अशोक शुक्ला पर फर्जीवाड़ा से करोड़ों के शासकीय धन के दुरुपयोग व प्रमोशन का आरोप
  • कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक, वित्त अधिकारी जैसे पदों पर शिक्षकों को प्रभार देकर हो रही मनमानी

ओम प्रकाश सिंह

अयोध्या। डाक्टर राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के वाणिज्य संकायाध्यक्ष प्रोफेसर अशोक शुक्ला के खिलाफ कुलपति ने जांच समिति गठित कर दिया है। यह शिकायत 5 वर्ष पूर्व विश्वविद्यालय के कोर्ट सदस्य ओम प्रकाश सिंह ने किया था। तीन सदस्यीय जांच समिति का अध्यक्ष विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफ़ेसर अजय प्रताप सिंह को बनाया गया है।

नौ दिन चले अढ़ाई कोस, रामनगरी डॉक्टर राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के प्रशासन की कार्यशैली इसी कहावत को चरितार्थ कर रही है। व्यवसाय प्रबंधन एवं उद्यमिता विभाग के प्रोफेसर अशोक शुक्ला के खिलाफ विश्वविद्यालय कोर्ट के मेंबर ओमप्रकाश सिंह ने फर्जीवाड़ा करके शासकीय धन को नुकसान पहुंचाने व प्रमोशन लेने की शिकायत कुलपति सहित कुलाधिपति व मुख्यमंत्री से पांच वर्ष पूर्व किया था।

पूर्व कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित के समय में यह शिकायत फाइलों में दबी रही। जब पुनः शिकायत की गई तो कुलपति ने अब इस पर एक तीन सदस्यीय समिति का गठन कर दिया है।

यह भी पढ़ें : अवध विश्वविद्यालय : ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि कुलपति और शिक्षक हो गए बेघर

यह भी पढ़ें : अवध विश्वविद्यालय में शिक्षक चयन-प्रक्रिया में गम्भीर अनियमितता के लगे आरोप

यह भी पढ़ें :  अवध यूनिवर्सिटी में नियम विरुद्ध भर्तियों का बाज़ार, सवाल उठाने वाले शिक्षक पर तनी कार्रवाई की तलवार

जांच समिति का अध्यक्ष विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफ़ेसर अजय प्रताप सिंह को बनाया गया है। समिति में प्रोफ़ेसर फारुक जमाल, प्रोफेसर अनूप कुमार को सदस्य नामित किया गया है। जांच समिति दो सप्ताह में अपनी रिपोर्ट कुलपति को सौंपेगी।

शिकायतकर्ता ने यह आरोप लगाया है कि प्रोफसर अशोक शुक्ला ने फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे प्रमोशन लिया और जिसके चलते करोड़ों रुपए के शासकीय धन का दुरुपयोग हुआ है। शिकायतकर्ता ने अपने आरोपों की पुष्टि के लिए विश्वविद्यालय की ऑडिट रिपोर्ट को संलग्न किया है। जिसमें ऑडिट समिति ने यह लिखा है कि प्रोफेसर अशोक शुक्ला ने प्रमोशन लेने के लिए जिस आईपीएम इंस्टीट्यूट नोएडा का प्रमाण पत्र लगाया है उसकी संबद्धता सन 1994 में हुई है लेकिन अशोक शुक्ला ने जो प्रमाण पत्र दिए हैं उसमें उन्होंने 4 अगस्त 1988 से 21 नवंबर 1993 तक कार्य करना दर्शाया है।

कुलपति ने जांच समिति गठित कर दी लेकिन इस पूरे खेल में कई पेंच हैं। विश्वविद्यालय में परीक्षा नियंत्रक, वित्त अधिकारी, कुलसचिव के पदों पर प्रभारी शिक्षक कार्य कर चुके हैं. वर्तमान में भी वित्त अधिकारी के पद पर पिछले छः महीने से एक शिक्षक ही कार्य कर रहा है। प्रोफ़ेसर अशोक शुक्ला भी वित्त नियंत्रक के पद पर कार्य कर चुके हैं और विश्वविद्यालय के पूर्व प्रति कुलपति प्रोफ़ेसर सच्चिदानंद शुक्ला भी कुलसचिव का कार्य देख चुके हैं। आरोप है कि इन लोगों ने अपने कार्यकाल में शिकायतों की तमाम फाइलों को दुरुस्त कर लिया और तमाम सबूतों को गायब कर दिया गया।

यह भी पढ़ें :   भ्रष्टाचार की दीमक से दरकता लखनऊ विश्वविद्यालय

यह भी पढ़ें : बिना कार्यपरिषद की सहमति राज्य सरकार नहीं ले सकती विश्वविद्यालय की जमीन   

यह भी पढ़ें :  शिक्षा मंदिर अवध यूनिवर्सिटी की जमीन पर BJP के भू माफिया का कब्जा

अवध विश्वविद्यालय में जांच समितियों का गठन कर मामले को लटकाने का खेल चल रहा है। एक शिक्षिका गीतिका श्रीवास्तव के मामले में तो राज्यपाल ने उनकी नियुक्ति को ही अवैध माना और कार्रवाई के लिए कुलपति को लिखा लेकिन उसमें भी जांच समिति गठित कर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है और तमाम जिम्मेदारियों से कुलपति ने उन्हें अलग से भी नवाजा है।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रविशंकर सिंह पटेल पर अवैध नियुक्ति और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। इनकी शिकायत राज्यपाल, मुख्यमंत्री, केंद्रीय शिक्षा मंत्री तक से की गई है। उनके साथ ही विश्वविद्यालय के कुलसचिव उमानाथ पर आरोप लगे हैं। महाविद्यालय विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री से शिकायत कर मोर्चा खोल रखा है। पांच साल बाद जांच समिति गठित करने के सवाल पर शिकायतकर्ता ओम प्रकाश सिंह ने कहा की हो सकता है न्याय मिले लेकिन विश्वविद्यालय की हालत बहुत खराब है उन्होंने मुख्यमंत्री से सभी प्रकरणों पर उच्च स्तरीय जांच की मांग किया है।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com