प्रो. (डॉ.) अशोक कुमार आपका शरीर (आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली सहित) आपके द्वारा उपयोग किए गए ऊर्जावान आहार पर निर्भर रहता है। यही कारण है कि पौष्टिक भोजन करना बहुत महत्वपूर्ण है। बीमारी के खिलाफ अपने शरीर की रक्षा का कार्य प्रतिरक्षा तंत्र ( Immune System) का कार्य है। प्रतिरक्षा तंत्र …
Read More »Utkarsh Sinha
किसानों के नाम पर पूंजीपतियों को पैकेज : युद्धवीर सिंह
कोरोना संकट से निपटने के लिए वित्त मंत्री की घोषणाओं के बाद भारतीय किसान यूनियन और किसान आंदोलनों के भारतीय समन्वय समिति के नेता युद्धवीर सिंह से जुबिली पोस्ट ने टेलीफोनिक इंटरव्यू किया । फिलहाल वे राजस्थान के एक गाँव में फंसे हुए हैं । किसानों के राहत पैकेज पर …
Read More »कार्पोरेशन ने 80 करोड़ कर दिया सरेण्डर, नए में भी नियम विरुद्ध आवंटन
जुबिली न्यूज ब्यूरो प्रदेश में दवाओं की किल्लत न हो इसलिए सरकार ने उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाईज कॉरपोरेशन की स्थापना की थी , इसके जरिए यह उम्मीद की गई थी कि जिलों के अस्पतालों में दवाओं की सप्लाई अबाध गति से हो सके । लेकिन यह पूरा विभाग ही अव्यवस्थाओं …
Read More »ये कोरोना काल है या कन्फ्यूजन काल ?
उत्कर्ष सिन्हा कोरोना की चपेट में आए हमे करीब दो महीने हो चुके हैं । इस बीच लगातार बहुत कुछ घट रहा है । वैसे तो वक़्त के चक्र में बहुत कुछ हमेशा ही घटता रहता है और उसके केंद्र में मौजूद कारक बदलते रहते हैं । इस व्यक्त घटित …
Read More »क्या प्रियंका के दांव में उलझ जाते हैं योगी ?
उत्कर्ष सिन्हा कोरोना संकट के बीच मदद की सियासत जोर पकड़ चुकी है । कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के फेंके गए पासे को समझने में योगी सरकार एक बार फिर चूक गई । हालात ये हैं कि 1000 बसों का इस्तेमाल होने की बजाए ये बसें सियासत में टेबल टेनिस …
Read More »त्रासदी की कविता : प्रेम विद्रोही ने जो लिखा
संकट काल में संवेदनाएं झकझोरती है और कलमकार उसे अल्फ़ाज़ की शक्ल में परोस देता है । ये वक्त साहित्य रचता है और ऐसे वक्त के साहित्य को बचा कर रखना भी जरूरी है। जुबिली पोस्ट ऐसे रचनाकारों की रचनाएं आपको नियमित रूप से प्रस्तुत करता रहेगा । पेशे से …
Read More »त्रासदी की कविता : नरेंद्र कुमार की कलम से
संकट काल में संवेदनाएं झकझोरती है और कलमकार उसे अल्फ़ाज़ की शक्ल में परोस देता है । ये वक्त साहित्य रचता है और ऐसे वक्त के साहित्य को बचा कर रखना भी जरूरी है। जुबिली पोस्ट ऐसे रचनाकारों की रचनाएं आपको नियमित रूप से प्रस्तुत करता रहेगा । नरेंद्र कुमार …
Read More »त्रासदी की ग़जल : मालविका हरिओम की कलम से
संकट काल में संवेदनाएं झकझोरती है और कलमकार उसे अल्फ़ाज़ की शक्ल में परोस देता है । ये वक्त साहित्य रचता है और ऐसे वक्त के साहित्य को बचा कर रखना भी जरूरी है। जुबिली पोस्ट ऐसे रचनाकारों की रचनाएं आपको नियमित रूप से प्रस्तुत करता रहेगा । मालविका हरिओम …
Read More »यहाँ तो घोड़े ने ही सवार की लगाम पकड़ ली है
उत्कर्ष सिन्हा अदम गोंड़वी की इन लाईनों को पहले याद कर लें – तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है उधर जम्हूरियत का ढोल पीटे जा रहे हैं वो इधर परदे के पीछे बर्बरीयत है, नवाबी है। बीते करीब 15 …
Read More »इस लेख की हेडिंग आप बनाइये
उत्कर्ष सिन्हा सुबह सुबह घर के बाहर सकुचाया हुआ आदमी देखा, साईकिल की हैंडील पर पानी की एक बोतल टंगी थी और आगे एक नन्हा बच्चा बैठ था। धीरे से आवाज आई । कुछ खाने को मिल जाएगा ? ये आवाज उसके आँखों के सूनेपन से सिन्क्रॉनईज थी। खाने का …
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