पंकज प्रसून (लेखक प्रख्यात व्यंगकार हैं ) कथा 1 मैं – किसको वोट देंगे कक्का कक्का- मोदी जी को मैं – क्या किया है आपके लिए उन्होंने, कुछ मिला आपको कक्का- हमका कुछ मिले मिले, देश को बहुत कुछ मिल रहा है कथा 2 मद्दे पासी लोटा लेकर सुबह …
Read More »Utkarsh Sinha
प्राकृतिक संसाधनो की लूट है खूनी “लाल आतंक” की वजह
विवेक कुमार श्रीवास्तव बुधवार को हुई महाराष्ट्र के गढ़चिरौली की घटना से एक बार फिर नक्सलवाद का खौफनाक चेहरा सामने आया है। हमले में 16 जवानों की मौत ने सभी को झकझोर कर रख दिया। आखिर क्या है नक्सलवाद? और सरकारें क्यों खत्म नहीं कर पा रहीं“लालआतंक” को।पिछले 50 वर्षों …
Read More »अंडर करंट, जातीय गोलबंदी, इनकम्बेंसी एंटी या प्रो ? क्या है इस चुनाव का मिज़ाज
उत्कर्ष सिन्हा राजीव सिंह और महेश यादव दोनों ही राजनितिक रुझान वाले युवा हैं। कमोबेश एक जैसी ही उम्र वाले नौजवान जो चुनावों के बारे चर्चा करने के वक्त बहुत उत्साहित हो जाते हैं , लेकिन चुनावो के रुख के बारे में दोनों की राय बिलकुल अलग है। राजीव और …
Read More »अपने गढ़ में योगी तोड़ पाएंगे जातियों की गणित ?
मल्लिका दूबे गोरखपुर। लोकसभा चुनाव में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ अपने ही गढ़ में विपक्षी दलों की गणित के चक्रव्यूह में फंसते नजर आ रहे हैं। जातीय गणित वाले इस चक्रव्यूह को योगी उस दशा में कैसे तोड़ पाएंगे जबकि वह खुद चुनावी मैदान में नहीं हैं? योगी के …
Read More »मुसलमान: पैरवीकारों ने बदला पाला?
संदीप के. पांडेय ऐसा क्या हुआ कि देश का सबसे बड़ा वोटबैंक रहनुमाई के नाम पर राजनीतिक अछूत बन गया? जब भी चुनावों में मुसलमानों को टिकट देने की बात आती है तो ज्यादातर लोगों के निशाने पर बीजेपी ही रहती है। बीजेपी के उम्मीदवारों की सूची इसका प्रमाण भी देती …
Read More »कौन रोकेगा नेताओ की बदजुबानी ?
कृष्णमोहन झा राज्य की विधानसभाओं और लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक दलों से जिस आचार संहिता की इमानदारी से पालन करने की अपेक्षा की जाती है उसकी उपेक्षा और अनादर करने वाले नेता हर राजनीतिक दल की कमजोरी होते है। खेद की बात यह है कि राजनीतिक …
Read More »यक्ष-युधिष्ठिर संवाद : इंटरव्यू का फर्क
पंकज मिश्र यक्ष – सबकी पीड़ा एक है तो सबकी राष्ट्रीयताएँ अलग अलग क्यों है ? युधिष्ठिर – क्योंकि राष्ट्रीयताएँ सिर्फ हितों और संसाधनों का बंटवारा रोकने की व्यवस्थाएं है …..पीड़ा साझा करने की नहीं … यक्ष – आपदाएं , किस वर्ग का असली चेहरा उजागर करती है ? युधिष्ठिर …
Read More »बहुत पेचीदा सियासी मिजाज है योगी के गढ़ गोरखपुर का
मल्लिका दूबे बड़ा पेचीदा सा है मिजाज हमारा, यूं ही मसरूर न होगा। जिसने जाना वो माशूक ठहरा, और जो ना जाने वो मुतनफर। सियासत में कामयाबी के तमाम नुस्खे होते हैं । कहीं धाति-धर्म की गणित लगानी पड़ती है तो कहीं सुनहरे ख्वाबों की खेती करनी पड़ती है। सियासी …
Read More »क्या हो रहा है बंगाल के चुनावो में ?
उत्कर्ष सिन्हा हिंदी पट्टी में आम तौर पर चर्चा यूपी बिहार की चुनावी हवा भांपने को ले कर है , मगर उसी बीच में बंगाल को ले कर भी बड़ी उत्सुकता देखी जा रही है। वजह साफ़ है , भाजपा और तृणमूल कांग्रेस की लड़ाई जुबानी होने के साथ साथ हिंसक भी होती …
Read More »चुनावी शोर में दब गई बनारसी बुनकरों के करघे की आवाज़
शुभ्रा सुमन बनारस का नाम जब भी लेते हैं तो बनारसी साड़ियां किसे याद नहीं आती , साथ ही याद आते हैं वो बुनकर जो इस शहर की पहचान हैं . बुनकरी बनारस की परंपरा ही नहीं यहां की संस्कृति का हिस्सा है. बनारस में बुनकरों की तादाद चार लाख …
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