Monday - 28 October 2024 - 7:54 AM

अर्नब को तो आठ दिन में मिल गई बेल, इन्हें कब मिलेगी जमानत?

जुबिली न्यूज डेस्क

एक बात तो सच है कि इंसान नामी न हो तो उसकी सुनवाई नहीं होती। रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी रसूख वाले पत्रकार है तो आठ दिन मे जमानत मिल गई और वहीं देश में अनगिनत ऐसे लोग हैं जो अब तक दोषी करार नहीं दिए गए हैं लेकिन जेल में दिन गुजार रहे हैं।

अर्नब गोस्वामी गिरफ्तार हुए तो बीजेपी और केंद्र सरकार समर्थन में उतर आई। गिरफ्तारी के दूसरे दिन हाईकोर्ट में बेल के लिए सुनवाई भी शुरु हो गई। वहां जमानत नहीं मिली तो मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। और तो और इस याचिका पर बुधवार को तत्काल सुनवाई ऐसे समय में हुई, जब कोर्ट दीवाली की छुट्टी के लिए बंद है।

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाते हुए अर्नब को जमानत दे दी। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा करना अदालत का काम है। उनका कहना वाजिब है लेकिन देश में बहुत सारे पत्रकार और आम आदमी हैं जिनकी सुनवाई न होने की वजह से जेल में पड़े हुए हैं।

यह भी पढ़ें :  सिर्फ दिल्ली व मुंबई के पत्रकारों की गिरफ्तारी पर ही हंगामा क्यों मचता है?

सबसे पहले 41 वर्षीय सिद्दीक कप्पन की बात करते हैं। मथुरा में पांच अक्टूबर को गिरफ्तार हुए कप्पन अभी भी जेल में बंद हैं। कप्पन के खिलाफ कोई सुबूत न होने के बाद भी उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 124ए (राजद्रोह), 153ए (दो समूहों के बीच शत्रुता फैलाना), 295ए (धार्मिक भावनाओं को आहत करना), यूएपीए और आईटी अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए हैं। इतना ही नहीं बाद में उनके खिलाफ जाति के आधार पर दंगे भड़काने की साजिश और राज्य सरकार को बदनाम करने की साजिश के आरोप भी लगा दिए गए।

यह भी पढ़ें : तो क्या टीएमसी में सब ठीक नहीं है?

यह भी पढ़ें :  क्या चौथी पारी में नया दमखम दिखाएंगे नीतीश..या हो जाएंगे किसी दांव के शिकार

यह भी पढ़ें :  केंद्र सरकार ने दिया दिवाली तोहफा, जानिए किसको क्या मिला

कप्पन की बेल के लिए जर्नलिस्ट यूनियन ने उनकी जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में हैबीज कॉरपस की याचिका दी है। इस पर 16 नवंबर को सुनवाई होनी है। हालांकि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि उन्हें सही कोर्ट में जाना चाहिए।

अब कश्मीर के 31 साल के पत्रकार आसिफ सुल्तान की बात करते हैं। उन पर आतंकियों का सहयोग करने का आरोप है। वह पिछले 808 दिनों से पुलिस की हिरासत में हैं। उनके परिवार और सहयोगियों ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहते हैं कि आतंकियों के बारे में वह रिपोर्टिंग किया करते थे ना कि सहयोग।

पत्रकारों के अलावा भी इस देश में ऐसे कई लोग हैं जो दोषी साबित नहीं हुए लेकिन की महीनों से जेल में बंद हैं। वकील सुधा भारद्वाज (58 साल) को भी यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था। लगभग ढाई साल से वह जेल में हैं। 24 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था, ‘आप रेग्युलर बेल के लिए क्यों नहीं अप्लाइ करतीं?’

दूसरे कवि वरवरा राव को भी यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था। वह 79 साल के हैं और बीमार हैं। दो साल से ज्यादा से जमानत का इंतजार कर रहे हैं। उनके परिवार का कहना है कि वह अब वॉशरूम तक जाने में भी सक्षम नहीं हैं।

83 साल के ट्राइबल राइट्स ऐक्टिविस्ट भी यूएपीए के तहत जेल में हैं। उन्हें परकिन्सन की बीमारी भी है। वह उसी जेल मे हैं जहां से अर्नब को रिहा किया गया है।

यह भी पढ़ें :  नीतीश कुमार को लेकर चिराग पासवान ने क्या कहा?

यह भी पढ़ें : बिहार : एनडीए की जीत की क्या रही वजह

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com