Saturday - 20 January 2024 - 5:20 PM

क्या चौथी पारी में नया दमखम दिखाएंगे नीतीश..या हो जाएंगे किसी दांव के शिकार

कुमार भवेश चंद्र

बिहार में चुनावी नतीजों आने के बाद नीतीश कुमार ने अपनी बात कहने के लिए 24 घंटे से भी अधिक समय लिया। बुधवार शाम तक नतीजों पर उनकी चुप्पी कई तरह के सवाल को जन्म दे रही थी। बीजेपी खेमे में उनके नेतृत्व को लेकर तरह तरह की बातें हो रही थी। अश्विनी कुमार के बाद गिरिराज सिंह ने भी नीतीश के लिए केंद्र में नई भूमिका की बात कहकर इसे हवा दी।

बेहद सधी और नापतौल कर बोलने वाले नीतीश ने कल देर शाम ट्वीट कर जीत पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने प्रधानमंत्री की ओर से इस बयान का इंतजार किया कि वे बिहार में नेतृत्व को लेकर क्या कहते हैं। दिल्ली में जब प्रधानमंत्री ने बीजेपी कार्यालय में संबोधन में यह ऐलान किया कि नीतीश के नेतृत्व में बिहार में काम आगे बढ़ेगा, उसके बाद ही नीतीश का ये ट्वीट सामने आया है।

जीत के लिए मोदी को कहा शुक्रिया

नीतीश कुमार ने जनता को मालिक बताया और जीत के लिए प्रधानमंत्री मोदी का शुक्रिया अदा किया। हालांकि इस ट्वीट की भाषा से नीतीश की पूरी भावना को समझना मुश्किल है। मुख्यमंत्री के रूप में उनकी नई पारी शुरू होने को लेकर कई सवाल अभी बने रहेंगे। अपने पार्टी कार्यालय में नीतीश कुमार ने एनडीए के नेता जीतनराम मांझी से जरूर कई मुद्दों पर मशविरा किया लेकिन अगली सरकार की रूप रेखा पर बीजेपी नेतृत्व के साथ उनकी बैठक की पुख्ता जानकारी अभी तक नहीं है।

नए नेतृत्व पर नीतीश के फैसले का इंतजार

बिहार में चौथी बार सीएम की कुर्सी संभालने को लेकर नीतीश कितने तैयार हैं, इसको लेकर अभी भी संशय की स्थिति है। जेडीयू की सीटें घटने को लेकर पार्टी के भीतर तो निराशा है ही इसमें एलजेपी और बीजेपी की भूमिकाओं को लेकर भी अंदरखाने एक बड़ी चिंता है।

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ऐसे में पार्टी नेताओं का रुख देखने के बाद ही नई सरकार को लेकर नीतीश का अंतिम फैसला सामने आएगा। इसीलिए आज जेडीयू मुख्यालय में नीतीश कुमार इस बैठक को बेहद अहम माना जा रहा है।

नीतीश की भावी राजनीति का हो रहा आकलन

चर्चा है कि बीजेपी शुरुआत में तो नीतीश के नेतृत्व पर सवाल नहीं उठाएगी लेकिन प्रदेश में पार्टी के नेताओं के रुख से साफ है कि यह स्थिति ज्यादा दिन नहीं बनी रह सकती। गिरिराज सिंह जैसे दूसरे नेता भी भविष्य में नीतीश के नेतृत्व को लेकर सवाल खड़े कर सकते हैं और तब नीतीश के लिए उसका विरोध करना इसलिए संभव नहीं हो पाएगा क्योंकि तब तक बीजेपी खुद को और भी मजबूत कर चुकी होगी।

दूसरे दलों में तोड़फोड़ की संभावना

बीजेपी की सियासत पर नजर रखने वाले इस बात से इनकार नहीं कर रहे कि बिहार विधानसभा में मौजूदा संख्याबल के साथ एनडीए सरकार का लंबे समय तक चलना संभव नहीं। ऐसी स्थिति में आकलन ये है कि बीजेपी दूसरे दलों में असंतोष को भुनाते हुए अपने पक्ष में कुछ और विधायकों का समर्थन खड़ा करेगी। उसकी नजर निश्चित रूप से कांग्रेस पर होगी, जहां कि विरोध के सुर अभी से सामने आने लगे हैं।

नीतीश के लिए आसान नहीं होगा काम

बढ़ी हुई सीटों के साथ बिहार में बीजेपी की कहानी अब आगे बढ़ चुकी है और अब वह नीतीश के नेतृत्व को तो स्वीकार कर सकती है लेकिन उनके एजेंडे को नहीं। ऐसे में नीतीश के लिए असहज स्थिति स्वाभाविक है। इसका अंदाजा तो नीतीश को भी हो गया होगा।

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बिहार के मंत्रिपरिषद में उनके अपने दल के साथियों की संख्या भी बीजेपी के मुकाबले कम रहेगी। इसके अलावा अगर दो उप मुख्यमंत्रियों का फार्मूला लागू हुआ तो उनके लिए अपने हिसाब से काम करने की चुनौतियों बढ़ेंगी।

नई सरकार के साथ नीतीश की नई चुनौती

विधानसभा चुनाव के प्रचार के आखिरी दिन नीतीश ने बिहार की जनता से अंत भला तो सब भला कहकर एक बार मौका मांगा था। नीतीश के लिए बिहार में अपनी पुरानी छवि के अनुरूप काम करना भी बेहद गंभीर चुनौती होगी। वे यह तो जानते ही हैं कि तीसरे कार्यकाल में उनकी गलतियों की वजह से प्रदेश की जनता में गहरी नाराजगी है।

इसी नाराजगी की वजह से उनकी सीटें कम हुई और चुनाव के दौरान उनको लेकर तरह तरह के सवाल उठे। नीतीश के सामने इस कार्यकाल में कुछ बेहतर दिखाने का सवाल बेहद गंभीर है और बीजेपी के साथी उनकी अपनी छवि को फिर से निखारने और बनाने में उनका कितना सहयोग करेगी, यह भी एक बड़ा सवाल है।

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