जुबिली न्यूज डेस्क
लखनऊ| इटावा में कथावाचकों के साथ हुई अभद्रता पर सियासी तूफान थमता नहीं दिख रहा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने सोमवार को लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय में पीड़ित कथावाचकों को सम्मानित किया। इस दौरान उन्होंने 21-21 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी और घोषणा की कि पार्टी की ओर से हर कथावाचक को 51-51 हजार रुपये अतिरिक्त सहायता दी जाएगी।
“PDA समाज को नीचा दिखाने की हो रही है कोशिश”
अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को सामाजिक न्याय से जोड़ते हुए केंद्र और यूपी की बीजेपी सरकार पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा –“भाजपा राज में PDA (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) समाज को हेय दृष्टि से देखा जा रहा है। यहां तक कि देश के राष्ट्रपति को भी अपमान का सामना करना पड़ा है।”
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे पीडीए समाज में जागरूकता और चेतना बढ़ रही है, वैसे-वैसे उस पर मानसिक दबाव बनाने और उसे डराने के लिए अत्याचार बढ़ रहे हैं।
“घोषणा कर दें कि PDA समाज से दक्षिणा नहीं लेंगे”
इटावा की घटना को लेकर अखिलेश यादव ने भाजपा नेताओं पर तीखा व्यंग्य किया और कहा –“अगर PDA समाज से इतना ही परहेज है तो घोषणा कर दें कि उनसे कथा का चढ़ावा, चंदा, दान, दक्षिणा नहीं लिया जाएगा।”
उन्होंने कहा कि कुछ प्रभुत्वशाली लोग कथावाचन को एक वर्ग का विशेषाधिकार बनाए रखना चाहते हैं, जबकि भागवत कथा सभी के लिए है – “जब सब सुन सकते हैं, तो सब बोल क्यों नहीं सकते?”
“PDA की अलग कथा से ढह जाएगा वर्चस्व का साम्राज्य”
पूर्व मुख्यमंत्री ने चेताया कि अगर भाजपा यह मानती है कि कथा कहने का अधिकार सिर्फ एक खास वर्ग को है, तो वो इसके लिए कानून बना कर दिखाए।“जिस दिन PDA समाज ने अपनी कथा अलग से कहनी शुरू कर दी, उस दिन इन परंपरागत शक्तियों का साम्राज्य ढह जाएगा।”
BJP नेता ने जताई थी कड़ी आपत्ति
इस पूरे मामले में बीजेपी के कुछ नेताओं ने भी कथावाचकों के साथ हुई घटना की निंदा की थी और सरकार से दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की थी। हालांकि, राजनीतिक बयानबाज़ी के बीच अब यह मामला जातीय असमानता, धार्मिक परंपरा और सामाजिक न्याय के बीच की बहस का हिस्सा बनता जा रहा है।
इटावा की इस घटना ने न सिर्फ एक धार्मिक आयोजन को राजनीतिक मंच बना दिया, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया कि क्या कथा कहने का अधिकार समाज के हर वर्ग को बराबर मिल रहा है या नहीं?
अखिलेश यादव का यह कदम सियासी नजरिए से एक तरफ जहां PDA समुदाय के साथ खड़े होने का संदेश है, वहीं भाजपा के लिए यह सामाजिक विमर्श का एक नया मोर्चा भी खोल रहा है।