Friday - 12 January 2024 - 8:04 PM

कोरोना के मरीजों की सूघने की क्षमता क्यों चली जाती है?

जुबिली न्यूज डेस्क

कोविड-19 को आए सात माह से अधिक समय होने को है, लेकिन इसका चरित्र अब तक समझ में नहीं आया है। किसी इंसान में कुछ लक्षण दिखाता है तो किसी में कुछ और। जरूरी नहीं है कि कोरोना संक्रमित मरीजों में एक जैसा लक्षण ही दिखे।

तेज बुखार, सूखी खांसी, जुकाम, सांस फूलना, स्वाद चला जाना और सूघने की क्षमता प्रभावित होना आदि कोविड-19 के सबसे शुरुआती और मुख्य संकेतकों में से एक है। यदि ये लक्षण मरीज में दिखाई देते हैं तो उसे तुरंत कोरोना टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है।

कुछ दिनों पहले ही इंदौर से खबर आई थी कि यहां इस महामारी के सबसे व्यस्त अस्पताल में करीब 50 फीसद नए संक्रमित मरीज सूंघने और स्वाद की क्षमता कम होने की शिकायत कर रहे हैं। ऐसी शिकायत अन्य जगहों पर भी देखने को मिल रही है।

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फिलहाल अमेरिका के हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में न्यूरोसाइंटिस्ट्स के नेतृत्व में, शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने कोविड-19 से संक्रमित करने वाले वायरस सार्स-सीओवी-2 द्वारा संक्रमण के लिए सबसे अधिक विभिन्न प्रकार के घ्राण कोशिकाओं की पहचान की है।

मालूम हो कि घ्राण कोशिका सूंघने में मदद करती हैं। यह आश्चर्यजनक है कि संवेदी न्यूरॉन्स जो मस्तिष्क को गंध के बारे में पता लगाने को कहते हैं, वे ये कमजोर कोशिकाओं में से नहीं हैं। यह अध्ययन साइंस एडवांस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

सूंघने की क्षमता की हानि या एनोस्मिया का अस्थायी नुकसान, दरअसल मुख्य मस्तिष्क विकार (न्यूरोलॉजिकल) का लक्षण है और कोरोना वायरस के संक्रमण के सबसे शुरुआती और मुख्य संकेतकों में से एक है। अध्ययनों से पता चलता है कि इससे बीमारी के अन्य लक्षणों जैसे बुखार और खांसी की तुलना में बेहतर तरीके से पता लगाया जा सकता है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि घ्राण संवेदी न्यूरॉन्स एसीई 2 रिसेप्टर प्रोटीन को एनकोड करने वाले जीन को प्रकट नहीं करते हैं, जिसे सार्स-सीओवी-2 मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए उपयोग करता है। इसके बजाय, एसीई 2 कोशिकाओं में प्रकट किया जाता है जो घ्राण संवेदी न्यूरॉन्स को चयापचय (मेटाबोलिक) और संरचनात्मक सहायता प्रदान करते हैं, साथ ही साथ स्टेम सेल और रक्त वाहिका कोशिकाओं की कुछ आबादी को भी सहायता करते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 रोगियों में सूंघने की क्षमता के लिए विभिन्न प्रकार की नोनूरोनल कोशिकाओं का संक्रमण जिम्मेदार हो सकता है, रोग किस तरह फैल रहा है इसे बेहतर ढंग से समझने के प्रयासों में मदद कर सकता है।

एचएमएस के ब्लावेटनिक इंस्टीट्यूट में न्यूरोबायोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर और वरिष्ठ अध्ययनकर्ता संदीप रॉबर्ट दत्ता ने बताया कि हमारे निष्कर्षों से पता चलता है कि कोरोनावायरस मरीजों में सूंघने की क्षमता को सीधे न्यूरॉन्स को संक्रमित करने से नहीं, बल्कि सहायक कोशिकाओं के कार्य को प्रभावित करने से होता है।

इसका मतलब यह है कि ज्यादातर मामलों में, सार्स-सीओवी-2 संक्रमण स्थायी रूप से घ्राण तंत्रिका क्षेत्र को नुकसान पहुंचाता है और लगातार सूंघने की क्षमता (एनोस्मिया) में व्यवधान उत्पन्न करता है। प्रोफेसर दत्ता ने कहा, यह एक ऐसी स्थिति है जो विभिन्न प्रकार के मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य मुद्दों, विशेष रूप से अवसाद और चिंता से जुड़ी है।

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कोविड-19 के अधिकांश मरीजों के उभरते आंकड़ों के अनुसार मरीज सूंघने में कुछ स्तर तक परेशानी का अनुभव करते हैं, जो अक्सर अस्थायी होते हैं।

कुछ अध्ययनों से पता चला कि कोविड-19 में सूंघने की क्षमता का नुकसान अन्य वायरल संक्रमणों के कारण एनोस्मिया से भिन्न होता है, जिसमें अन्य कोरोनावायरस भी शामिल हैं।

उदाहरण के लिए, कोविड-19 के रोगी में आमतौर पर हफ्तों के दौरान सूंघने की क्षमता ठीक जाती हैं – महीनों की तुलना में वह बहुत तेजी से सूंघने की क्षमता से उबर सकता है, जो वायरल संक्रमण के सबसेट के कारण होता है, जो घ्राण संवेदी न्यूरॉन्स को सीधे नुकसान पहुंचाता है। इसके अलावा, कई वायरस ऊपरी श्वसन मुद्दों जैसे कि भरी हुई नाक या नाक में बाधा से सूंघने के अस्थायी नुकसान का कारण बनते हैं। हालांकि कुछ कोविड-19 रोगी बिना किसी अवरोध के सूंघ नहीं पाते हैं।

कैसे सूंघने की क्षमता होती है बंद

प्रोफेसर संदीप रॉबर्ट दत्ता ने कहा हम अभी तक पूरी तरह से समझ नहीं पाए है कि किस तरह के बदलाव अभी तक आएं हैं। कुछ महत्वपूर्ण (सुस्टेंटाकुलर) कोशिकाओं को काफी हद तक नजरअंदाज कर दिया गया है, ऐसा लगता है कि हमें उन पर ध्यान देने की जरूरत है। ग्लियाल कोशिकाएं मस्तिष्क में किस तरह महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाती हैं?

यह निष्कर्ष भी कोविड-19 से जुड़े मस्तिष्क (न्यूरोलॉजिकल) संबंधी मुद्दों में पेचीदा जानकारी प्रदान करते हैं। अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि अवलोकन, परिकल्पनाओं से पता चलता हैं कि सार्स-सीओवी-2 सीधे न्यूरॉन्स को संक्रमित नहीं करता है, बल्कि मस्तिष्क तंत्रिकाओं के संवहनी कोशिकाओं को प्रभावित कर सकता है।

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