Sunday - 7 January 2024 - 2:32 AM

इन संस्थानों के स्टाफ की सैलरी काट पीएम केयर फंड में पहुंचाए गए 205 करोड़ रुपए

जुबिली न्यूज डेस्क

कोरोना महामारी में मदद के लिए सरकार द्वारा बनाए गए पीएम केयर फंड शुरु से विवादों में है। सरकार द्वारा पारदर्शिता न बरते जाने की वजह से इस पर सवाल उठ रहा है। आरटीआई द्वारा पीएमओ से कई बार इसके बारे में जानकारी मांगी गई कि इसमें किन-किन लोगों ने कितने पैसे दिए पर पीएमओ ने जानकारी नहीं दी।

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फिलहाल अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा आरटीआई रिकॉर्ड्स की पड़ताल के दौरान सामने आया है कि Prime Minister’s Citizen Assistance and Relief in Emergency Situations (PM CARES) Fund  में न सिर्फ केंद्रीय शिक्षा संस्थानों से बल्कि कम से कम सात पब्लिक सेक्टर बैंकों, सात अन्य प्रमुख वित्तीय संस्थानों व बीमा कंपनियों और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मिलकर 204.75 करोड़ रुपए जुटाए। ये बड़ी रकम इन सभी के स्टाफ की सैलरी काटकर इस फंड में पहुंचाई गई।

आरटआई रिकॉर्ड्स के अनुसार एलआईसी, जनरल इंसोरेंस कार्पोरेशनल ऑफ इंडिया और नेशनल हाउसिंग बैंक ने लगभग 144.5 करोड़ रुपए के आसपास की रकम इस फंड के लिए दिया। ये रुपए इन्होंने अपने Corporate Social Responsibility (CSR)  आवंटन और अन्य प्रावधानों से इतर दिए।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’  की आरटीआई का जवाब देने वाले 15 सरकारी बैंकों और संस्थानों द्वारा फंड में कुल सहयोग की यह रकम 349.25 करोड़ रुपए हो जाती है।

आरटीआई का जवाब देने वाले पब्लिक सेक्टर बैंकों और संस्थानों की लिस्ट में PM CARES को सबसे अधिक रकम अकेले LIC की ओर से दी गई। यह 113.63 करोड़ रुपए है। हालांकि, यह रकम विभिन्न श्रेणियों के तहत दी गई, जिसमें 8.64 करोड़ रुपए स्टाफ की सैलरी से, 100 करोड़ रुपए ‘कॉरपोरेट कम्युनिकेशन’  के तहत और पांच करोड़ रुपए ‘गोल्डन जुब्ली फाउंडेशन’  के अंतर्गत दिए गए।

रिकॉर्ड्स के मुताबिक एलआईसी ने 100 करोड़ की सहयोग राशि 31 मार्च को दी थी, जबकि पांच करोड़ का दान भी मार्च में ही किया गया, पर वह किस तारीख को किया गया? यह जवाब में स्पष्ट नहीं किया गया।

सात पब्लिक सेक्टर बैंकों द्वारा फंड को भेजी गई रकम में सर्वाधिक SBIसे है। आरटीआई के जवाब में बताया गया कि पहली खेप में 100 करोड़ रुपए 31 मार्च को पहुंचाए गए थे। देश के सबसे बड़े बैंक ने यह भी बताया कि यह पूरी सहयोग राशि उसके कर्मचारियों की सैलरी में दी गई थी। वहीं, RBIने कहा कि 7.34 करोड़ रुपए उसके ‘कर्मचारियों की ओर से सहयोग में’  दिए गए थे।

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इसके अलावा कुछ और बैंकों ने बताया है कि उन्होंने कितनी रकम पीएम केयर फंड में दिया है। इनमें कैनरा बैंक ने 15.53 करोड़, यूनियन बैंक ने कर्मचारियों के एक दिन की प्रिवलेज लीव के एनकैशमेंट से 14.81 करोड़ रुपए का योगदान दिया तो सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने अपने कर्मियों के दो दिन की प्रिवलेज लीव एनकैशमेंट से 11.89 करोड़ रुपए का सहयोग दिया।

बाकी अन्य बैंकों में बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने पांच करोड़ रुपए, सिडबी ने 80 लाख रुपए, जीआईसी ने 14.51 लाख रुपए, आईआरडीएआई ने 16.08 लाख रुपए पीएम केयर फंड में जमा किए हैं। इन बैंकों में किसी ने यह रकम कर्मचारियों के एक दिन की सैलरी और दो दिन के लीव एनकैशमेंट से जुटाया तो किसी ने कर्मचारियों की सैलरी से वॉलंटियरी कंट्रीब्यूशन के तौर पर काटे। गए।

मालूम हो कि पीएम केयर्स फंड का गठन कोरोना वायरस संकट के मद्देनजर इसी साल 28 मार्च को हुआ था। 31 मार्च तक इस फंड में 3,076.62 करोड़ रुपए आ गए थे, जो कि पीएम केयर्स फंड की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक ‘वॉलंटियरी कंट्रीब्यूशंस’ थे।

प्रधानमंत्री कार्यालय यानी क्करूह्र इस फंड का प्रबंधन करता है, जो पूर्व में विभिन्न जगहों से मिली सहयोग राशि का विवरण देने से इन्कार कर चुका है। तर्क दे चुका है- PM CARES सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत एक सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं है।

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