जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ. कानपुर के बहुचर्चित बिकरू काण्ड के चार महीने बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने डीआईजी अनंत देव तिवारी को सस्पेंड कर दिया. गृह विभाग ने उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश भी दिए हैं. कानपुर के तत्कालीन एसएसपी दिनेश पी. से भी स्पष्टीकरण माँगा गया है.
कानपुर के बिकरू गाँव में माफिया विकास दुबे के घर दबिश देने गई पुलिस टीम पर दो जुलाई 2020 की रात को ताबड़तोड़ फायरिंग की गई थी. इस फायरिंग में डिप्टी एसपी देवेन्द्र मिश्र समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे.
इस बड़ी वारदात के बाद सक्रिय हुई पुलिस ने विकास दुबे के कई साथियों को ढेर कर दिया था. विकास दुबे ने इंदौर में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. इंदौर से विकास दुबे को वापस ला रही पुलिस ने कानपुर पहुँचने के बाद एक कथित मुठभेड़ में विकास दुबे को मार गिराया था.
विकास दुबे काण्ड के बाद पुलिस विभाग में पुलिस और माफियातन्त्र के बीच मिलीभगत के आरोप लगे थे. इसी बीच शहीद सीओ देवेन्द्र मिश्र और एसपी ग्रामीण के बीच फोन पर हुई बातचीत का आडियो वायरल हुआ था. इस आडियो में शहीद सीओ ने डीआईजी अनंत देव को कटघरे में खड़ा कर दिया था.
शहीद सीओ के इस आडियो और उनकी एक चिट्ठी के आधार पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जांच एसआईटी को सौंप दी थी. एसआईटी ने डीआईजी अनंत देव के खिलाफ जांच की सिफारिश की थी. यह सिफारिश थानेदारों के ट्रांसफर पोस्टिंग मामले को लेकर की गई थी. एसआईटी ने पुलिस विभाग के 80 अधिकरियों और कर्मचारियों को जांच में दोषी पाया था.
शहीद सीओ देवेन्द्र मिश्र और एसपी ग्रामीण के बीच बातचीत का जो आडियो वायरल हुआ था दरअसल वह बातचीत उस समय की थी जब सीओ पुलिस टीम के साथ विकास दुबे के घर दबिश के लिए जा रहे थे. इस बातचीत में देवेन्द्र मिश्र ने चौबेपुर के एसओ विनय तिवारी और डीआईजी अनंत देव तिवारी पर गंभीर आरोप लगाये थे.
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सीओ ने एसपी ग्रामीण से कहा था कि एसओ विनय तिवारी अनंत देव की वजह से बोलना सीख गया है. सीओ ने कहा कि विनय तिवारी डेढ़ लाख रुपये महीना लेकर जुआ खिलवाता है. इसकी शिकायत करने पर भी न जुआ रुका न विनय तिवारी के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई क्योंकि पांच लाख रुपये अनंत देव को भी मिले थे.