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महिलाओं ने एक सुर में कहा, लव-जिहाद पर कानून नहीं जागरूकता की जरूरत

प्रीति सिंह

पूरे देश में शादी के लिए धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून बनाने की तैयारियों पर बहस तेज हो गई है। पांच बीजेपी शासित राज्यों में लव-जिहाद के खिलाफ कानून बनाने की पूरी तैयारी की जा रही है। यूपी में लव जिहाद को लेकर कानून के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। सरकार विधेयक लाने की भी तैयारी कर रही है। यह भी कहा जा रहा है कि सरकार इस पर अध्यादेश भी ला सकती है।

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक और असम, इन पांच बीजेपी शासित राज्यों में लव-जिहाद पर कानून बनाने की पूरी तैयारी चल रही है। ऐसा आरोप है कि मुस्लिम नौजवान हिंदू लड़कियों से धर्म परिवर्तन कराने की नियत से शादी कर रहे हैं। इसे हिंदुत्ववादी संगठनों ने लव-जिहाद का नाम दिया है।

एक ओर कानून बनाने वाले राज्यों के मुख्यमंत्री बेटियों के लिए कानून जरूरी मान रहे हैं तो वहीं महिलाओं का कहना है कि इसकी कहीं से जरूरत नहीं है। देश में पहले से ही बहुत सारे कानून है जो महिलाओं और बेटियों के मान-सम्मान की रक्षा करते हैं। उनका कहना है कि कानून नहीं बेटियों को जागरूक करने की जरूरत है।

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लव-जिहाद को लेकर कानून बनाने की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार काफी आगे बढ़ गई है। योगी सरकार ने न्याय विधि आयोग को प्रस्ताव भेजा है। यूपी लॉ कमीशन की एक तीन साल पुरानी रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के कानून मंत्रालय के पास आई है। कानून मंत्रालय के अनुसार योगी सरकार चाहती है कि इस मुद्दे पर विधेयक लाया जाए। बताया जा रहा है कि विधान सभा सत्र नहीं होने की हालत में सरकार इस पर अध्यादेश भी ला सकती है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों हुए उपचुनावों के दौरान एक रैली में लव-जिहाद पर चेतावनी भी दी थी। उन्होंने कहा था कि इससे बचे नहीं तो राम नाम सत्य हो जायेगा। योगी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का हवाला भी दिया था, जिसमें अदालत ने कहा था कि शादी के लिए धर्म बदलने की जरूरत नहीं है।

इससे पहले शादी और धर्म परिवर्तन पर कानून बनाने वाला पहला राज्य बनने की बात मध्य प्रदेश की सरकार भी कह चुकी है। वो लव-जिहाद शब्द का प्रयोग नहीं कर रही लेकिन शादियों के नाम पर बेटियों को धोखा, बरगलाने और उनका धर्म परिवर्तन पर पांच साल की सजा दी जायेगी। शादी के लिए उकसाने वालों को भी सजा दी जायेगी। इनके पहलुओं के कानून का मसौदा तैयार हो रहा है। ये बाते एमपी सरकार ने कही थी।

एमपी सरकार के मुताबिक अगर धर्म बदलना है तो डीएम के दफ्तर को एक महीने पहले अर्जी देनी होगी। इससे संबंधित विधेयक अगले विधानसभा सत्र में पेश हो जायेगा। ऐसी जानकारी भी सामने आई है। इससे पहले हरियाणा के बल्लभगढ़ में एक युवती की हत्या को लव-जिहाद से जोड़ा गया और इसे लेकर कानून बनाने की मांग ने तेजी पकड़ी।

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एक तरफ बीजेपी शासित राज्य सरकारें कानून बनाने की तैयारी कर रही हैं तो वहीं अदालतों का रूख इससे बिल्कुल जुदा है। आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कथित लव-जिहाद के एक मामले में सुनवाई करते हुए यूपी के कुशीनगर के सलामत अंसारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा, “एक व्यक्तिगत संबंध में हस्ताक्षेप करना दो लोगों की पंसद की स्वतंत्रता के अधिकार पर गंभीर अतिक्रमण होगा।”

अदालत ने यह भी कहा, “हम प्रियंका खरवार और सलामत अंसारी को हिंदू और मुस्लिम के रूप में नहीं देखते हैं, बल्कि वे दोनों अपनी मर्जी और पसंद से एक साल से ज्यादा समय से खुशी और शांति से रह रहे हैं। न्यायालय और संवैधानिक अदालतें भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 9 अप्रैल 2018 को केरल के हादिया और सफीन जहां के बीच हुई अंतर धर्म की शादी को सही ठहराते हुए एक विस्तृत फैसला दिया था। उच्चतम अदालत ने कहा था कि किसी व्यक्ति का अपनी मर्जी से शादी करना अर्टिकिल 21 का अभिन्न अंग है। आर्टिकिल 21 जीवन और स्वतंत्रा का अधिकार देता है।

तो सवाल है कि क्या लव-जिहाद शब्द का इस्तेमाल सियासी मकसद के लिए हो रहा है? क्या ये धर्म और निजी जीवन में हस्तक्षेप करने की कोशिश है?

इस मामले में लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति व महिला अधिकार कार्यकर्ता डॉ. रूपरेखा वर्मा कहती है लव-जिहाद को लेकर बीजेपी शासित राज्यें जो करने जा रही हैं वह गलत है। बेहद भयानक फैसला है। यह फैसला पूरी तरह से साम्प्रदायिक भावना से जुड़ा हुआ है। यह देश को बांटने वाला फैसला है। यह सिर्फ पीछे जहालत की तरफ लोगों को ले जाने की मुहिम है।

वह कहती हैं,  ये सरकार पूरी तरह से हिंदुस्तान को ऐसे युग में घसीट कर पीछे ले जाना चाहती है, जबकि न तो विज्ञान ठीक से पनप पाया थाश् न ही जीवन की जानकारी ठीक से हो पायी थी। पिछड़े युग में जिसमें कि बहुत सारे अंधविश्वास थे, आपस में समाज बेहद बटा हुआ था छोटे-छोटे कबीलों में, ये उस वक्त में हम लोगों को वापिस घसीट कर ले जाना चाहती है। और ये वास्तव में हिंदू-मुस्लिम की बात नहीं है, प्रेम ये सबकुछ नहीं देखता है।

वहीं इस मामले में लखनऊ की वीमेन एक्टिविस्ट ताहिरा हसन कहती हैं पहली बात तो मुझे लव-जिहाद शब्द से ऐतराज है। लव और जिहाद एक साथ कैसे हो सकता है। दूसरी बात हमारा संविधान जीवन साथी चुनने का अधिकार देता है। हमारा संविधान बहुत प्रोग्रेसिव है। उसमें स्पेशल मैरिज एक्ट है। स्पेशल मैरिज एक्ट में कही भी धर्म परिवर्तन की बात नहीं कही गई है। अगर कोई खुद से करता है तो ये उसका व्यक्तिगत मामला है। संविधान ऐसा अधिकार देता है।

वह कहती हैं,  रहा सवाल बरगलाने का तो उसके लिए भी हमारे यहां कानून है। उसके तहत कार्रवाई होगी। अगर शादी के बाद लड़की को प्रताडि़त किया जाता है तो उसके लिए भी कानून है। डोमेस्टिक वायलेंस के तहत कार्रवाई हो सकती है। ये सब करने की कोई जरूरत नहीं।

महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली दिल्ली की शालिनी श्रीनेत कहती हैं, महिलाओं के हित में हमारे यहां बहुत कानून है। जरूरत है महिलाओं को जागरूक करने की। शादी जैसा फैसला निहायत ही व्यक्तिगत है। यह सरासर निजी जीवन में हस्तक्षेप करने की कोशिश है।

शालिनी कहती हैं, सिर्फ मुस्लिम लड़के ही लड़कियों को नहीं बरगलाते, बल्कि हिंदू लड़के भी शादी के नाम पर लड़कियों को बरगलाते हैं और धोखा देते हैं। मैं सिर्फ इतना कहना चाहती हूं कि बेटियों  को जागरूक करने की जरूरत है।

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