Friday - 12 January 2024 - 2:39 PM

…तो महिलाओं को हर महीने मिलेगी चार दिन की एक्स्ट्रा छुट्टी

जुबिली न्यूज डेस्क

सितंबर महीने में फूड डिलीवरी सर्विस जोमैटो ने भारत में अपनी महिला कर्मचारियों को साल में दस दिन की “पीडियस लीव्स” देने का फैसला किया था तो एक उम्मीद जगी थी कि अन्य कंपनियां भी इस ओर ध्यान देंगी।

लंबे समय से देश में कामकाजी महिलाएं पीरियड्स के दौरान पेड लीव की मांग करती आ रही है। अब इस दिशा में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी सोमवार को केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी इस ओर ध्यान देने के लिए कहा है।

हाई कोर्ट ने यह नोटिस दायर एक पीटिशन पर दिया है। पीटिशन में कामकाजी महिलाओं को पीरियड्स के दौरान महीने में चार दिन की पेड छुट्टी की मांग की गई है।

ये भी पढ़े:   महाराष्‍ट्र की राजनीति में क्‍या बड़ा होने वाला है

ये भी पढ़े:   गौरवशाली अतीत और निराशा के अंधकार में फंसी कांग्रेस

 

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की खंडपीठ ने कहा कि दिल्ली लेबर यूनियन द्वारा याचिका में उठाए गए मुद्दों पर केंद्र व दिल्ली सरकार द्वारा निर्णय लिया जाना चाहिए।

याचिका में मांग की गई है कि हर क्लास की महिला कर्मचारियों को हर माह पीरियड्स के दौरान चार दिन की पेड लीव दी जाए। इसके अलावा यह भी मांग की गई है कि यदि महिला कर्मचारी छुट्टïी नहीं लेती है तो ओवरटाइम के रूप में इस दौरान काम करने का उसे अतिरिक्त वेतन दिया जाए। दिल्ली हाईकोर्ट भी इस तरह की छुट्टी के हक में है।

भारत में कुछ गिनी चुनी कंपनियां ही है जो अपनी महिला कर्मचारियों को पीरियड््स के दौरान छुट्टी देती हैं। इसके अलावा बिहार में 1992 से प्रावधान है कि सरकारी महिला कर्मचारी हर महीने दो दिन छुट्टी ले सकती हैं।

नहीं होती है खुलकर बात

भारतीय समाज में माहवारी जैसे विषयों पर आज भी बहुत कम बात होती है। देश में बहुत ही कम लोग होंगे जो दफ्तर में इस बारे में बात करने में सहज महसूस करेंगे।

कई स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि भारत में 71 प्रतिशत लड़कियों को तब तक माहवारी के बारे में कुछ नहीं पता होता जब तक वे खुद पहली बार इस अनुभव से ना गुजरें।

ये भी पढ़े: तेजस्वी के बयान पर क्या बोले ओवैसी

ये भी पढ़े: वायरल हो रहा 1 दिसंबर से बंद हो रही ट्रेनों का मैसेज, जाने क्या है सच्चाई

पीरियड्स की वजह से बहुत ही महिलाओं और लड़कियों को कई बार पढ़ाई और रोजगार के पूरे मौके नहीं मिल पाते। भारत में 20 प्रतिशत से भी कम महिलाओं को सैनिटरी पैड्स उपलब्ध होते हैं।

लैंगिक बराबरी के लिए काम करने वाली शालिनी श्रीनेत कहती हैं, “हम में से ज्यादातर को बताया जाता है कि माहवारी एक बीमारी है और इसे दूसरों से छिपाना चाहिए। दफ्तर में ऐसा माहौल बनाना बहुत अच्छी पहल है जहां लोग इसे लेकर शर्माएं ना, इसके बारे में बात कर सकें। अब देखते है हाईकोर्ट की नोटिस पर सरकार क्या कदम उठाती है।”

कई देशों में दी जाती है “पीरियड लीव्स”

जहां दुनिया के कई देशों में माहवारी जैसी बड़ी समस्या पर बातचीत नहीं होती वहीं जापान, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया और जाम्बिया जैसे देशों में “पीरियड लीव्स” दी जाती हैं। हालांकि विशेषज्ञों की राय इस बारे में बंटी हुई है कि यह नीति फायदेमंद है या नहीं। इसके पीछे उद्देश्य तो अच्छा है, लेकिन बहुत से लोगों को चिंता है कि इस कदम की वजह से महिलाओं को बड़ी प्रशासनिक भूमिकाओं के हाथ धोना पड़ सकता है।

ये भी पढ़े: हाईकोर्ट ने कहा- जीवन साथी चुनने में सरकार नहीं दे सकती दखल

ये भी पढ़े:  शादी के नाम पर जबरन धर्म परिवर्तन करवाया तो होगी 10 साल की सजा

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com