Tuesday - 9 January 2024 - 4:05 PM

RSS का स्वदेशी जागरण मंच क्यों है आरोग्य सेतु एप के खिलाफ

स्पेशल डेस्क

सरकार का आरोग्य सेतु एप लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे और जोखिम का आकलन करने में मदद कर रहा है। ऐसे में लोगों से इस एप को डाउनलोड करने के लिए कहा जा रहा है लेकिन कुछ लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं।

कांग्रेस के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए संगठन स्वदेशी जागरण मंच के लोगों इस ऐप के खिलाफ नजर आ रहे हैं। सरकार के अनुसार यह एप आसपास मौजूद कोरोना पॉजिटिव लोगों के बारे में पता लगाने में मदद करेगा लेकिन स्वदेशी जागरण मंच ने इसे गैरकानूनी बता डाला है और कहा है कि यह एप विदेशी कंपनियों को मदद देता है।

दूसरी बीजेपी की सरकार ने कोरोना को लेकर इस एप को सामने लेकर आई है और जानकारी के मुताबिक दो करोड़ से ज्यादा लोगों इसे डाउनलोड़ किया है। इतना ही नहीं यूपी की योगी सरकार ने नोएडा और ग्रेटर नोयडा में सबके मोबाइल में होना अनिवार्य किया है। इसके साथ यह भी कहा है कि स्मार्ट फ़ोन में यह ऐप न होना क़ानूनी अपराध है।

दूसरी ओर इस ऐप के खिलाफ स्वदेशी जागरण मंच ने मोर्चा खोल दिया और इसकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत की शिकायत की है।

स्वदेशी जागरण मंच के अनुसार इस एप से अमिताभ कांत इस ऐप के ज़रिए विदेशी ई-मेडिसिन कंपनियों की ग़ैरक़ानूनी तरीके से मदद कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री और वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल से भी इसकी शिकायत की है।

स्वदेशी जागरण मंच के संयोजक अश्विनी महाजन ने द प्रिंट से कहा कि अमिताभ कांत ग़ैरक़ानूनी तरीके से विदेशी ई-फ़ार्मेसी की मदद कैसे कर सकते हैं? करोड़ों भारतीयों ने इस ऐप को डाउनलोड कर लिया है और उन तक इन विदेशी कंपनियों की पहुँच हो गई है।  आरएसएस से जुड़ी एक और संस्था लघु उद्योग भारती भी आरोग्य सेतु ऐप और नीति आयोग प्रमुख अमिताभ कांत के विरोध में है।

लघु उद्योग भारती का कहना है कि भारतीय कंपनियों और लघु, छोटे और सूक्ष्म उद्यमों की मदद की जानी चाहिए, इसके उलट विदेशी कंपनियों की मदद इस ऐप के ज़रिए की जा रही है।

बता दें कि इससे पहले कांग्रेस ने इसका कड़ा विरोध किया था। राहुल गांधी कुछ दिन पहले इसका विरोध करते हुए एक ट्वीट किया और कहा था कि यह ऐप निगरानी करने वाली काफ़ी उन्नत प्रणाली है जिसे आउटसोर्स कर निजी ऑपरेटर के हाथों में दे दिया गया है और इस पर कोई संस्थागत निरीक्षण नहीं है। इससे डाटा और लोगों की गोपनीय जानकारियों की सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरा की आशंका है। प्रौद्योगिकी हमें सुरक्षित रखने में मदद कर सकती है; लेकिन नागरिकों की सहमति के बिना भय का लाभ उठाने के लिए उनको ट्रैक नहीं किया जाना चाहिए। अब देखना होगा सरकार इस ऐप को लेकर कोई प्रतिक्रिया देती है या नहीं।

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