Wednesday - 10 January 2024 - 6:46 AM

विशेषज्ञ क्यों कह रहे हैं कि कोरोना वैक्सीन नहीं होगी कारगर

जुबिली न्यूज डेस्क

कोरोना वायरस हर दिन पूरी दुनिया में सैकड़ों जिंदगियां निगल रहा है। यह सिलसिल पिछले छह माह से चल रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिलसिला तभी रूकेगा जब इसका स्थायी इलाज वैक्सीन आ जायेगा।

वैसे तो दुनिया के कई मुल्कों में कोरोना वैक्सीन पर काम चल रहा है। कई जगह तो वैक्सीन का ट्रायल अंतिम चरण में है। वैज्ञानिक कह चुके हैं कि साल के अंतिम महीने में आम लोगों के लिए टीका उपलब्ध हो जायेगा। इस सबके बीच अब विशेषज्ञ कह रहे हैं कि कोरोना वायरस को नष्ट करने के लिए तैयार हो रहीं वैक्सीन भी वायरस पर शायद ही काम कर पाए।

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दरअसल कोरोना के चरित्र पर अब तक रिसर्च चल रहा है। हर दिन इसके चरित्र को लेकर कोई न कोई खुलासा होता रहा है। इसी बदलते चरित्र की वजह से विशेषज्ञ चिंतित हैं।

कोरोना वायरस ने 83 से ज्यादा बार बदला अपना स्वरूप

भारत के एम्स भोपाल सहित दूसरे कई देशों के विशेषज्ञों के रिसर्च में सामने आया है कि चीन से जो वायरस फैला था उसका स्वरूप डी 614जी था। उसके बाद अब तक लगभग 83 बार इस वायरस का म्यूटेशन हो चुका है, यानी वायरस 83 से ज्यादा बार अपने स्वरूप को बदल चुका है।

इस रिसर्च में हर देश के एक्सपर्ट ने भाग लिया था। प्रो. सरमन सिंह का कहना है कि इस मामले पर एम्स भोपाल की टीम ने भी स्टडी की है। इस स्टडी के आधार पर ये कहना मुश्किल है कि वायरस के बदले स्वरूप पर वैक्सीन कितनी प्रभावी होगी।

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वैक्सीन बनने से पहले ही बदल जाता है स्वरूप

रिसर्च के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि अमेरिका में सबसे ज्यादा लगभग 60 बार कोरोना वायरस का म्यूटेशन हुआ। मलेशिया में 8 बार वायरस ने अपना स्वरूप बदला है। वहीं भारत में लगभग 5 बार इस वायरस के बदलते हुए स्वरूप को देखा गया है। ऐसे में जब वैज्ञानिकों को यह लगता है कि कोरोना की वैक्सीन बन गई है तब तक ये वायरस अपना स्वरूप बदल लेता है।

कोरोना तीन गुना तेजी से बदल रहा स्वरूप

शोधकर्ताओं के अनुसार कोरोना वायरस के म्यूटेशन की रफ्तार इसे खत्म करने के लिए किए जा रहे उपायों से तीन गुना तेज है। जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए ये पता चला है कि वायरस का रूप बदलने के कारण प्लाज्मा थैरेपी भी कारगर नहीं हो पाती। अब तो यह भी नहीं कहा जा सकता है कि जो वैक्सीन आएगी, वह इसके बदले हुए स्वरूप पर असरदार होगी या नहीं। वायरस व्यक्ति के शरीर में एंटीबॉडी भी नहीं बनने दे रहा है।

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