Friday - 5 January 2024 - 10:20 PM

भारत को उकसाने की कैसी कीमत चुका रहा चीन !

जुबिली न्यूज़ डेस्क

नई दिल्ली। भारत को उकसाने की चीन को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार जून में पीएलए द्वारा लद्दाख की गैलवान घाटी में भारतीय सैनिकों की हत्या के बाद चीन की वैश्विक मंच पर बहुत किरकिरी हुई और यह अलग- थलग पड़ता नजर आ रहा है।

इसके अलावा कोरोना को लेकर भी चीन अपनी विश्वसनीयता खो चुका है। अपनी आक्रामक नीतियों के चलते ही चीन का क्वाड देशों के अलावा एशियाई देशों में भी विरोध शुरू हो चुका है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने हाल ही में कहा था कि आक्रामकता और विस्तारवाद चीनी राष्ट्र के ‘जीन’ में कभी नहीं रहा है।

उन्होंने कहा कि आक्रामकता और विस्तारवाद स्पष्ट रूप से आनुवंशिक लक्षण नहीं हैं, लेकिन वे राष्ट्रपति शी जिनपिंग के कार्यकाल को परिभाषित करते हुए दिखाई देते हैं।

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शी, जिन्होंने कुछ मायनों में माओत्से तुंग के विस्तारवादी पदभार को संभाल लिया है, वे सहायक व्यवस्था के आधुनिक संस्करण को लागू करने का प्रयास कर रहे हैं, जिसका इस्तेमाल चीनी सम्राट जागीरदार राज्यों पर अधिकार स्थापित करने के लिए करते थे। कोरोना महामारी जिसने दुनिया की सरकारों को महीनों तक व्यस्त रखा लेकिन चीन अपने एजेंडे पर त्वरित प्रगति करने के लिए एक आदर्श अवसर की तरह लग रहा।

अप्रैल और मई में उन्होंने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को भारत के लद्दाख क्षेत्र के बर्फीले सीमावर्ती इलाकों में उग्र घुसपैठ शुरू करने का निर्देश दिया । जैसा कि शी ने शायद सोचा था यह इस योजना को अंजान देने सही समय नहीं निकला और चीन चारों तरफ से घिर गया।

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चीन को विस्तारवाद से दूर करने के लिए इंडो-पैसिफिक शक्तियों ने इसका विरोध तेज कर दिया है और इसमें चीन का सबसे शक्तिशाली प्रतियोगी अमेरिका शामिल है जिससे उसका द्विपक्षीय रणनीतिक टकराव बढ़ रहा है। इस टकराव में तकनीकी, आर्थिक, राजनयिक और सैन्य आयाम शामिल हैं। अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग पड़े चीन को अब इसका असर भी साफ दिखने लगा है।

आश्चर्य की बात नहीं है कि चीन PLA के अवतरण के लिए प्रतिबद्ध है, जिसे वह रक्षात्मक कवच के रूप में दिखाता है। यही वजह हैकि पिछले महीने के अंत में, शी ने वरिष्ठ अधिकारियों की हिमालयी क्षेत्र में घुसपैठ को “सीमा सुरक्षा को मजबूत करना” और “सीमा सुरक्षा सुनिश्चित करना” बताया था।

पूर्वी लद्दाख के चूशुल में हुई सातवें दौर की बातचीत में भारत ने एक बार फिर पूर्वी लद्दाख क्षेत्र से चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को पूरी तरह हटाने की अपनी मांग दोहराई लेकिन बातचीत का नतीजा भी कुछ नहीं निकला।

अप्रैल-मई के बाद से ही भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव बना हुआ है। अमरीका का दावा है कि अब चीन ने सीमा के निकट स्थायी स्ट्रक्चर बनाना शुरू कर दिया है जबकि चीन ये आरोप लगाता है कि सीमावर्ती इलाक़ों में भारत निर्माण कार्य कर रहा है। इसका मतलब ये हुआ कि अब एलएसी भी भारत-पाकिस्तान के बीच एलओसी की तरह हो सकता है, जहाँ दोनों तरफ़ स्थायी सैन्य पोस्ट हैं और जहाँ आए दिन झड़पें होती रहती हैं।

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