
न्यूज डेस्क
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने चुनावी बॉन्ड से जुड़ी खबर का हवाला देते हुए मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। प्रियंका ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि आरबीआई की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए चुनावी बॉन्ड लाया गया ताकि कालाधन भाजपा के खजाने में पहुंच सके।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने 18 नवंबर को ट्वीट करते हुए लिखा, ”आरबीआई को दरकिनार कर और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को खारिज करते हुए चुनावी बॉन्ड को मंजूरी दी गई ताकि भाजपा के पास कालाधन पहुंच सके।”
प्रियंका गांधी ने जिस मीडिया खबर का हवाला दिया उसमें दावा किया गया है कि चुनावी बॉन्ड की व्यवस्था की आधिकारिक घोषणा से पहले रिजर्व बैंक ने इस कदम का विरोध किया था।

प्रियंका ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि भाजपा को कालाधान खत्म करने के नाम पर चुना गया था, लेकिन यह उसी से अपना खजाना भरने में लग गई। यह भारत की जनता के साथ शर्मनाक विश्वासघात है।’’
वहीं बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सवाल किया कि सत्तारूढ़ पार्टी को बताना चाहिए कि चुनावी बॉन्ड के माध्यम से उसे कितने हजार करोड़ रुपये का चंदा मिला।
सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘‘आरबीआई ने चुनावी बॉन्ड का विरोध किया कि इससे गुमनाम चंदा व धनधोधन में बढ़ोतरी होगी। अब मोदी सरकार बताए कि कितने हजार करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड जारी हुए?’’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजीव गौड़ा के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने दावा किया, ”चुनाव आयोग एवं भारतीय रिजर्व बैंक दोनों ने इलेक्टरल बॉण्ड स्कीम पर गंभीर आपत्ति जताई थी, उसके बावजूद सरकार ने न केवल यह लागू किया बल्कि प्रक्रिया को ताक पर रखते हुए इस संशोधन एवं चुनावी बॉन्ड योजना को धन विधेयक के तहत कानूनी दर्जा दे दिया। इस तरह से राज्यसभा की भूमिका को अनावश्यक बना दिया।”
उन्होंने सवाल किया, ”ऐसा क्या कारण है कि जो योजना चुनावी चंदे को पारदर्शी बनाने के लिए लाई गई थी, चंदा देने वाले का नाम गुप्त रखकर एक तरह से उसे विरोधी दलों के बदला लेने की कार्यवाही से सुरक्षा देने की बात की गई थी, उसके माध्यम से अर्जित चंदे का 95 प्रतिशत भारतीय जनता पार्टी को प्राप्त हुआ?”
कांग्रेस के नेताओं ने जिस मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया उसमें दावा किया गया है कि चुनावी बॉन्ड की व्यवस्था की आधिकारिक घोषणा से पहले रिजर्व बैंक ने इस कदम का विरोध किया था।
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