- वायु प्रदूषण : यूपी के मेरठ और लखनऊ देश के तीन सबसे प्रदूषित शहरों में आ गए हैं
- मेरठ दूसरे और राजधानी लखनऊ तीसरे पायदान पर है
जुबिली स्पेशल डेस्क
पूरे देश में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। आलम तो यह है जहरीली हवा में सांस लेने लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है। दिल्ली के बाद यूपी की हवा भी खराब हो चुकी है। जानकारी के मुताबिक यूपी के दो शहर की हवा सांस लेने लायक नहीं रही। प्रदेश की राजधानी लखनऊ पूरे देश में तीसरे नंबर पर है और यूपी का ही मेरठ प्रदूषण के मामले में दूसरे पायदान पर है।
इसके पीछे मौसम वैज्ञानिकों ने बड़ा तर्क दिया है और बताया कि ऐसा क्यों हो रहा है। मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि लॉकडाउन के बाद सरकारी और निजी स्तर पर रूके निर्माण कार्य शुरू हो गया है।
इसमें सावधानी न बरते जाने की वजह से हवा में धूल बढ़ रही है। वैज्ञानिकों ने बताया कि अनलॉक के बाद वाहनों के आगमन से भी हवा खराब हो रही है। इसके अलावा हवा कम चलने और रात में पारा गिरने से भी प्रदूषण बढ़ रहा है। सी-कार्बन्स संस्था ने बढ़ते वायु प्रदूषण पर गहरी चिंता जतायी है।
इसके लिए सी-कार्बन्स संस्था ने एक मुहिम चलायी है और वायु प्रदूषण रोकने के लिए मुख्यमंत्री को ऑनलाइन पब्लिक पेटीशन भेजी है। इसके साथ इसमें सीएम से प्रदूषण से कोरोनाकोविड 19 बीमारी को बढने से रोकने की गुहार लगायी है।
संस्था के अध्यक्ष वीपी श्रीवास्तव ने कहा उत्तर प्रदेश के शहरों की हालत भी खराब है। मेरठ 339 वायु गुणवत्ता सूचकांक के साथ दूसरे नंबर पर है और राजधानी लखनऊ 328 एक्यूआई के साथ वायु प्रदूषण के मामले में दूसरे पायदान पर है।
उन्होंने बताया कि हाल में एक रिपोर्ट सामने आई जिसे देखकर हर कोई परेशान हो सकता है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में आज मौत का सबसे बड़ा कारण वायु प्रदूषण है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के वायु प्रदूषण बढऩे से सबसे अधिक प्रभावित सांस के रोगी होते हैं और जैसा कि सर्वविदित है कोविड 19 सांस की बीमारी है तथा प्रदूषण बढऩे से बीमारों की संख्या और उनकी स्थिति और खराब हो सकती है।
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ऐसे में सी-कार्बन्स संस्था द्वारा वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए चलाये जा रहे अभियान के अन्तर्गत ऑन लाइन पब्लिक पेटीशन डालकर लखनऊ वासियों से अनलाइन हस्ताक्षर प्राप्त किये गए।
पेटीशन मुख्य मंत्री को संबोधित था तथा उनसे वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए तत्काल कठोर कदम उठाने का अनुरोध किया गया है।
ऐसे कदमों में डीजी सेट्स पर रोक लगाना,पराली तथा सूखे कचरे,टायर आदि के जलाने पर रोक,निर्माण गतिविधियों पर नियंत्रण, प्रदूषणकारी वाहनों की जांच तथा उन पर रोक, शहर में केवल सी एन जी चालित व्यावसायिक व यात्री वाहनों के संचालन का उपयोग, सड़क की झाडू से सफाई के स्थान पर मैकेनिकल/ वैक्यूम सफाई कराना, घरेलू कचरे तथा लैंडफिल्स का समुचित प्रबंधन, शादियों उत्सवों में आतिशबाजी पर रोक, पब्लिक ट्रांसपोर्ट के उपयोग को बढ़ावा देना, प्रचार प्रसार आदि प्रमुख हैं ।
इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार हाई पावर कमेटी का गठन कर ग्रैप(ग्रेडेड रिस्पांस ऐक्शन प्लान)की तरह योजना बना कर प्रभावी कदम उठासकते हैं। पेटीशन में इन सभी बिन्दुओं का उल्लेख किया गया है।
एक सप्ताह में पटीशन पर 232 लोगों ने हस्ताक्षर करके पटीशन की गंभीरता को समझा और उसे उच्च स्तर पर पहुंचाने का विचार साझा किया। पेटीशन को मुख्यमंत्री को भेज दिया गया है और आशा की जाती है कि समुचित कार्रवाई होगी जिससे लखनऊ सहित प्रदेश वासियों को राहत मिल सकेगी ।