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इस राजा में कई राजाओं की रूहें सांस लेती हैं

शबाहत हुसैन विजेता

राजा का दरबार सजा था. राजा अपनी प्रजा का बहुत ध्यान रखने वाला था. प्रजा भी उसे देखते ही उसकी जय-जयकार के नारे लगाने लगती थी. राजा का शासन ऐसा था कि कोई भी उसके खिलाफ कुछ बोलता नहीं था.

इस राजा से कई सदी पहले एक और राजा हुआ था. उस राजा के दरबार में नौ रत्न हुआ करते थे. अपने इन नौ रत्नों के दम पर वह राजा अपनी प्रजा के सुख-दुःख का पूरा ध्यान रखता था.

नौ रत्न रखने वाला राजा यह बात बहुत अच्छी तरह से जानता था कि प्रजा सुखी रहेगी तो राजा भी सुखी रहेगा. प्रजा राजा के साथ खड़ी होगी तो पड़ोसी राजा उसकी तरफ आँख नहीं उठा पाएंगे. पड़ोसी डर कर रहेंगे तो उसके शासन पर कभी कोई खतरा नहीं मंडराएगा.

राजा ने अपना शासन अच्छा चलाने के लिए खुद से पहले के सारे राजाओं की कुंडलियाँ पढ़ रखी थीं. यह राजा बड़ा जिज्ञासु राजा था. वह अब भी अपने से पहले के राजाओं के क्रियाकलापों के बारे में लगातार पढ़ता रहता था.

राजा ने पढ़ा कि अपने साथ कम से कम एक रत्न ऐसा होना चाहिए जिससे जनता के मन में डर का माहौल बना रहे और दूसरा रत्न ऐसा होना चाहिए जो दिखने में तो राजा की तरह से हो लेकिन उसका व्यवहार जनता जैसा हो. उसके कामों पर जनता आँख बंद करके भरोसा करती हो.

राजा चौंका. आखिर यह विपरीत ध्रुवी रत्न एक साथ क्यों रहें. यह विपरीत ध्रुवी रत्न कहीं आपस में न टकरा जाएं. राजा ने विस्तार से पढ़ा. जिस रत्न से प्रजा में भय फैलता हो उसे हर फैसले में आगे रखो. यह रत्न ज़्यादातर काम निबटा देगा. प्रजा जैसे व्यवहार वाले रत्न से ज्यादा काम मत लो. जब प्रजा के मन में राजा को लेकर संदेह जागने लगे तो इस रत्न को सक्रिय कर दो. यह प्रजा के बीच में जाएगा और आक्रोश को शांत कर देगा. इधर आक्रोश शांत हुआ यह रत्न फिर सो जाएगा. राजा को अच्छा शासन चलाने का एक ज़रूरी सूत्र हाथ लग गया था.

राजा ने एक और राजा की कुंडली उठाई. यह राजा गीत-संगीत का शौक़ीन था. वह प्रजा का पूरा ध्यान रखता था लेकिन वह शानदार महल बनवाने का शौक़ीन था. उसके दरबार में रास-रंग के सारे सामान मौजूद थे. खूबसूरत रानियां उसके दरबार का हिस्सा थीं. वह तरह-तरह के खेलों का शौक़ीन था.

वह राजा यह शो करता था कि उसे सब काम आते हैं. वह यह भी शो करता था कि वह किसी से डरता नहीं है. उसके पास अच्छी खासी मज़बूत सेना थी लेकिन सेना के कौशल के बारे में जानने वाला कोई मंत्री उसके पास नहीं था.

रास-रंग में डूबा राजा अपने बिस्तर पर आराम करता रहा. पड़ोसी देशों की सेनाएं उसके राज्य को रौंदती हुई आगे बढ़ती रहीं. वह अपने महल में शान से सोता रहा. जब पड़ोसी राज्य की सेना उसके बिस्तर तक आ गईं तब उस राजा ने चिल्लाकर अपनी उस कनीज़ को पुकारा जो उसे चप्पल पहनाती थी. कनीज़ तो नहीं आयी मगर उसके हाथ-पैर में जंजीरें ज़रूर जकड़ गईं.

इस राजा के बारे में पढ़कर नये राजा के माथे पर पसीना आ गया. उसने नया पाठ सीखा कि जैसे ही पड़ोसी राज्य की सेना अपने राज्य के थोड़ा अंदर आये वैसे ही शोर मचाना शुरू कर दो. थोड़ी बहुत ज़मीन चली जाए तो पुराने राजाओं पर दोष मढ़ दो.

राजा ने एक और राजा का इतिहास उठाया. यह राजा बहुत धूर्त था. इसकी सोच यह थी कि अपनी प्रजा को डराकर रखो. अपने राज्य में आन्दोलनों को मत पनपने दो. राजा ने कुछ सालों के शासन में सीखा कि लोकतंत्र बहुत अच्छी चीज़ होती है लेकिन लोकतंत्र की लगाम को अपने हाथों में रखो.

राजा ने महसूस किया कि लोकतंत्र एक घोड़े की तरह होता है. लगाम खींचकर रखोगे तभी यह बना भी रहेगा और नियंत्रित भी रहेगा. राजा ने सीखा कि अपनी प्रजा को इतना डराकर रखो कि यह अपनी चलती साँसों को ही लोकतंत्र मानें. बंद दरवाज़े के भीतर खामोशी से जीने को ही अपनी आजादी मानें.

नये राजा ने कुछ दिन सरकार चलाई तो उसे सरकार चलाने का चस्का लग गया. उसे सरकार चलाना ठीक वैसा काम ही लगा जैसे किसी अमीर बाप के बेटे को रेसिंग मोटरसाइकिल मिल जाए. अमीर बाप का बेटा बार-बार कोशिश करता है कि मोटरसाइकिल को एक पहिये पर चलाने की कोशिश करे. इसमें हालांकि उसे खुद भी खतरा होता है लेकिन उसने कई बार देखा है कि उस अमीर बाप का बेटा जैसे ही अपनी मोटरसाइकिल पर सवार होकर बाहर निकलता है सड़क बिलकुल खाली हो जाती है.

राजा को बताया गया था कि अपने से पहले वाले राजा को इतना अपमानित कर दो कि वह बोलने से भी शर्माए. अपनी कुर्सी पर नज़र रखने वालों को इतना डराओ कि वह उस रास्ते पर आने से भी घबराए. राजा को बताया गया था कि आये दिन नये-नये क़ानून बनाते रहो ताकि प्रजा समझती रहे कि काम हो रहा है. भले ही वह क़ानून खुद को भी समझ में न आये लेकिन बनाते रहो.

राजा ने पुराने राजाओं के इतिहास को पढ़कर सीखा कि ज़मीन से अनाज उगाने वाला मजदूर जिसे किसान भी कहा जाता है उसे पुचकारते रहना चाहिए. अपनी प्लेट में बच गई रोटी उसकी तरफ फेंकते रहना चाहिए ताकि तुम्हारी जूठन खाते-खाते किसान यह समझता रहे कि तुम उसे खिला रहे हो, क्योंकि अगर वह यह समझने लगा कि वह तुम्हें खिला रहा है तुम्हारी कुर्सी खतरे में पड़ जायेगी.

राजा ने हैरत के साथ विद्वानों से पूछा कि खेती करने वाले मजदूर को आखिर किसान क्यों कहें? विद्वान ने समझाया ठीक वैसे जैसे ग्राम सेवक को ग्राम विकास अधिकारी कहने से वह खुश हो जाता है और ज्यादा काम करने लगता है. ठीक वैसे जैसे बड़े बाबू को प्रशासनिक अधिकारी कहने भर से वह ऐंठ कर चलने लगता है.

 

यही काम तो गांधी जी भी करते थे. जो छोटी जातियां थीं उन्हें एक नया नाम दे दिया. उस नए नाम से छोटी जातियां खुश हो गईं. उन्हें यह बात समझ आने में सत्तर साल लग गए कि चमचे को स्पून कहने से उसकी औकात नहीं बदलती है.

राजा ने फ़ौरन खेती करने वालों के लिए नया क़ानून बना दिया. वह नया क़ानून किसानों को पसंद नहीं आया मगर राजा चिल्लाता रहा कि तुम बेवकूफ हो. यही क़ानून तुम्हें तुम्हारे अधिकार दिलाएगा. किसानों ने भी चिल्लाकर कहा कि हमें अधिकार नहीं चाहिए तुम अपना क़ानून वापस ले लो. अब राजा ने अपने उस रत्न को आगे किया जो सबको डरा देता था.

किसानों के सामने वह रत्न ज्यादा कुछ कर नहीं पाया. वह रत्न थोड़ा नरम हुआ. उसने किसानों को बताया कि तुम तो मजदूर थे, मजदूर ही हो. हमने तुम्हारे कर्जे माफ़ किये. हम तुम्हारी फसलें खरीद लेते हैं. हमने तुम्हारे लिए मंडियां बनाईं जहाँ तुम अपना अनाज बेच लेते हो.

किसान चिल्लाया हम मजदूर ही भले थे. तुम्हारी मंडियों में दरोगा को घूस देनी पड़ती है. पुराना राजा लगान लेता था लेकिन हर जगह एक जैसी लगान थी. तुम्हारी मंडी में जो दाम मिलते हैं ना उससे पेट भर ज़हर भी नहीं मिलता है.

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किसान चिल्लाता रहा. राजा दूसरे कामों में लगा रहा. उसे अपने राज्य की जनसँख्या नियंत्रित करनी थी. कुछ अनचाहे नागरिकों को इधर से उधर फेंकना था. कुछ लोगों में डर का भाव पैदा करना था. जिन धर्मों से नफरत थी उनके गुरुओं को कुछ धन-दौलत देकर अपना यशगान करवाना था. कुछ और क़ानून बनाने थे जिनसे लोकतंत्र का अहसास बना रहे. पड़ोसी देशों को अहसास कराना था कि जब हम अपनी प्रजा को ऐसे रखते हैं तो तुम आये तो तुम्हारा क्या हाल करेंगे.

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राजा अपने तमाम कामों को अंजाम दे रहा था. किसानों की आवाज़ तूती बनकर गुम हो रही थी. प्रजा जैसा दिखने वाला रत्न अभी भी सो रहा था. डराने वाला रत्न अपने काम में जुटा हुआ था. राजा पड़ोसी राजा को अपनी शान दिखाने को बुलाने वाला था इसलिए उस रत्न के सिरहाने बैठा धीरे-धीरे उठाने की कोशिश कर रहा था कि उठो. किसानों को समझाओ कि हमने उनके लिए क्या-क्या किया? उन्हें बताओ कि तुम मजदूर थे तुम्हें इतना दिया कि तुम मशीनों को खरीद पाए. हमने तुम्हारी ज़मीन तुम्हारी रहने दी. हमने तुम्हारी फसल को तुम्हारी ही रहने दिया. वह रत्न जो प्रजा जैसा दिखता है नींद में कुनमुना रहा है. उठ जायेगा. तो वह अपने काम पर लग जाएगा. वैसे भी राजा को अभी बहुत से काम करने बाकी हैं.

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