Monday - 15 January 2024 - 9:51 AM

संतों ने ही उठा दिया राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट की वैधता पर सवाल

जुबिली न्यूज डेस्क

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता भले ही साफ हो गया है लेकिन मंदिर निर्माण के लिए बना ट्रस्ट विवादों में आ गया है। इस ट्रस्ट के खिलाफ गृहमंत्रालय को एक नोटिस भेजा गया है।

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का कामकाज श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट देख रहा है। इस ट्रस्ट को निर्वाणी अखाड़े के प्रमुख महंत धर्म दास गैरकानूनी बताया है। इसको लेकर उन्होंने गृह मंत्रालय को एक लीगल नोटिस भेजा है।

अयोध्या के निर्वाणी अखाड़े के प्रमुख महंत धर्म दास ने इस ट्रस्ट को गैरकानूनी बताकर फिर से गठन की मांग की है और साथ उन्होंने ऐसा न करने पर कानूनी कार्यवाही की चेतावनी दी है।

‘इंडियन एक्सप्रेस’  की रिपोर्ट के अनुसार ये नोटिस 12 नवंबर को भेजा गया। भेजे गए नोटिस में महंत धर्म दास ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंन कहा है कि मौजूदा ट्रस्ट गैर-कानूनी, मनमाना है। यह ट्रस्ट सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल नवंबर में दिए आदेश के भी खिलाफ है।

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अपने आरोपों में महंत धर्मदास ने यह भी कहा हे कि ट्रस्ट के गठन में कई बिंदुओं पर कानूनी, वैधानिक और प्रथागत प्रक्रियाओं का पालन नहीं हुआ है। उन्होंने मांग की है कि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का निर्माण और रेगुलेशन ‘सुप्रीम कोर्ट के फैसलेÓ के अनुसार किया जाए।

धर्म दास ने ये भी आरोप लगाया है कि रामलला जितने समय रिसीवर की कस्टडी में रहे, उस दौरान जो चढ़ावा और दान मिला, वह राशि रामलला को हैंडओवर नहीं किया गया।

उन्होंने कहा है कि ट्रस्ट की स्थापना के समय ट्रस्ट की प्रॉपर्टी को शामिल करने के संबंध में भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया गया।

भेजे गए नोटिस में महंत ने कहा है कि दो महीने के भीतर अगर केंद्र सरकार कोई एक्शन लेने में नाकाम रही तो कानून का सहारा लिया जाएगा।

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हिंदुओं के बांटने का लगाया है आरोप

महंत धर्म दास ने गृह मंत्रालय पर ‘हिंदुओं को बांटने’  का आरोप भी लगाया गया है। एक अनुसूचित जाति के व्यक्ति को ट्रस्ट का ऑल-टाइम ट्रस्टी बनाया गया है, जिसको लेकर महंथ ने आरोप लगाया है कि ऐसा पॉलिटिकल एजेंडा हासिल करने के लिए मकसद से किया गया है।

उन्होंने नोटिस में यह भी सवाल किया है कि वैष्णव संप्रदाय के अखाड़ों में से किसी को ट्रस्ट में जगह क्यों नहीं दी गई?

इतना ही नहीं उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि जो लोग 1949 से इसका केस लड़ रहे थे, उन्हें ट्रस्ट के गठन में उचित स्थान नहीं दिया गया, जबकि जो लोग 1989 के बाद से इस केस में शामिल हुए, उन्हें अहमियत दी गई।

निर्वाणी अखाड़े के प्रमुख महंत धर्म दास ने आरोप लगाते हुए कहा है कि “ये यही दिखाता है कि वो लोग जिनकी सरकार तक राजनीतिक पहुंच है, उन्हें ही ट्रस्ट में अहम रोल दिए गए है।”

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