Saturday - 6 January 2024 - 4:11 AM

भूख से बच्चे की हुई मौत, तीन दिन तक अपने बच्चे का लाश पोछती रही मां

जुबिली न्यूज डेस्क

तमिलनाडु की राजधानी चेन्नै से कुछ दूरी पर स्थित तिरुनिंद्रावूर में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां एक सात के बच्चे की भूख से मौत हो गई। बच्चे की लाश को चीटियां न लगे इसके लिए मां तीन दिन तक शव के पास बैठी उसे पोछती रही।

यह मामला तब सामने आया जब सरस्वती के घर से पड़ोसियों को बदबू आनी शुरू हुई। पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस सरस्वती के घर पहुंची और बच्चे की लाश को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा।

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पुलिस इंस्पेक्टर गुनासेकरन ने बताया कि वह दृश्य देखकर उनकी टीम भी दहल गई। पुलिस के मुताबिक सरस्वती के घर जब पुलिस पहुंची तो सरस्वती ने दरवाजा खोला। वह पुलिस को बच्चे के शव के पास ले गई। उन्होनें पुलिस को बताया कि उसने अपने बेटे की लाश को थोड़ी देर के लिए भी नहीं छोड़ा क्योंकि उसे चीटियां खा सकती थीं। पुलिस ने बताया कि बच्चे का शरीर भूख के कारण कंकाल सा दिख रहा था।

पुलिस के मुताबिक सरस्वती के अन्य परिजनों से बातचीत में पता चला कि वह मानसिक रूप से बीमार हैं। सात साल पहले वह अपने पति जोस से अलग हो गई थी। वह तिरुनिंद्रावूर में सीटीएच रोड पर बने घर की दूसरी मंजिल पर रहती है जबकि पहली मंजिल और ग्राउंड फ्लोर पर उसके अन्य रिश्तेदार रहते हैं। वह ज्यादा किसी से मतलब नहीं रखती थी।

क्लीनिक बंद होने से आई भुखमरी की कगार पर

सरस्वती होम्योपैथिक डॉक्टर हैं। उनका अपना एक क्लीनिक था, वह लोगों का इलाज करती थी। तालाबंदी मेें उनका क्लीनिक बंद हो गया जिसके बाद से उन्हें पैसे की किल्लत हो गई। उनके पास खाने के लिए भी पैसे नहीं थे। चूंकि वह मानसिक रूप से बीमार थीं इसलिए किसी से मदद की भी गुहार नहीं लगाया।

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सरस्वती का अपने पति से अलग होने के बाद से ही मानसिक स्थिति खराब हो गई। उनका रिश्तेदारों से प्रॉपर्टी को लेकर विवाद भी चल रहा था। वह बेंगलुरु में रहने वाले अपने भाई से भी संपत्ति का एक केस लड़ रही है। वह अपने काम पर ध्यान नहीं दे पाती थी।

दो हफ्ते से नहीं खोला घर का दरवाजा

पुलिस के मुताबिक सरस्वती के ससुर और कुछ रिश्तेदार कभी-कभी उसके घर आते थे। उन्होंने बताया कि लगभग चार महीने पहले मां-बेटा दोनों अपने घर में बेहोश पाए गए थे। तब रिश्तेदारों ने दोनों का इलाज करवाया था। उस समय उनके इलाज में डेढ़ लाख रुपये खर्च हुए थे। बीते दो हफ्तों से सरस्वती अपने घर के अंदर ही बंद थी। उन्होंने घर का दरवाजा नहीं खोला था।

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