Wednesday - 10 January 2024 - 7:01 AM

देश में चीतों को लाने वाले वैज्ञानिक के साथ केंद्र सरकार ने किया ये काम

जुबिली न्यूज डेस्क 

भारतीय वन्य जीव संस्थान के डीन और मशहूर जीव वैज्ञानिक यादवेंद्रदेव विक्रम सिंह झाला बीते करीब 13 साल से भारत के चीता प्रोजेक्ट को पूरा कराने में सबसे आगे रहे हैं। पिछले महीने नामीबिया से चीतों के पहले जत्थे को भारत भी ला चुके हैं। मगर उन्हें सरकार की ओर से बनाई गई नई चीता टास्क फोर्स में जगह नहीं मिली है। इस बात से केन्द्र सरकार पर  कई सवाल उठ रहे हैं।

झाला ने इस बारे में बात करने से किया इनकार

बता दें कि झाला संरक्षणवादी एमके रंजीत सिंह के तहत  2010 में स्थापित चीता टास्क फोर्स के सदस्य थे। तब से परियोजना की तकनीकी टीम का नेतृत्व वही कर रहे थे। बीते 16 सितंबर को जब चीतों का पहला जत्था आखिरकार नामीबिया से रवाना हुआ तो यह झाला ही थे, जो धरती के इस सबसे तेज धावक के साथ मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क गए थे। यहां उनक चीतों को रखने वाले बाड़े, जिसे बोमास भी कहते हैं, की देखरेख के लिए नियुक्त किया गया था। छुट्टी पर जाने से पहले उन्होंने कूनो नेशनल पार्क में एक हफ्ते तक चीतों की निगरानी भी की थी। हालांकि, झाला ने इस बारे में अभी कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है।

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जयराम रमेश ने सौंपा था सर्वेक्षण का काम 

टास्क फोर्स में वैज्ञानिक यादवेंद्रदेव विक्रम सिंह झाला को जगह नहीं मिलने पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इसकी बड़ी वजह बताई जा रही कि झाला 2009 से लगातार विभिन्न सरकारों महत्वाकांक्षी चीता प्रोजेक्ट के लिए तकनीकी आधार तैयार कर रहे थे। रंजीत सिंह के साथ झाला ने संभावित चीता रिलीज साइटों पर पहली रिपोर्ट तैयार की थी। तब तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने उन्हें 2009 में सर्वेक्षण का काम सौंपा था। जनवरी 2022 में उन्होंने इस पर रिपोर्ट तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।  वहीं, अब एनटीसीए के सदस्य सचिव एसपी यादव भी झाला को टास्क फोर्स से बाहर किए जाने पर किसी तरह की टिप्पणी करने से बच रहे हैं।

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