डा. रवीन्द्र अरजरिया सामाजिक प्राणी के रूप में मनुष्य के दायित्वों का अनुशासनात्मक स्वरूप बेहद पेचीदा होता है। व्यक्तिगत रिश्तों से लेकर व्यवसायिक संबंधों तक की दुहाई पर कार्य करने की बाध्यता होती है। समय के विभाजन को लचीला बनाना पडता है। इसी अनुबंध के अनुपालन में मां चंद्रिका महिला …
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