जुबिली न्यूज डेस्क
पुलिस द्वारा हाथरस गैंगरेप पीडि़ता का आधी रात में शव जलाए जाने के बाद से राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। यूपी से निकलकर यह मामला अब राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गया है। पुलिस की लापरवाही की वजह से अब योगी सरकार घिरती नजर आ रही है।
इस मामले में कांग्रेस ने योगी सरकार का जबर्दस्त घेराव किया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने बुधवार को योगी सरकार पर सवाल उठाया था तो वहीं इस मामले में अब यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने योगी सरकार से सवाल किया है।
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हाथरस गैंगरेप पीडि़ता के शव को आधी रात जलाए जाने के मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने न्याय की मांग की है और कहा है कि “हाथरस की निर्भया की मृत्यु नहीं हुई है, उसे मारा गया है।”
सोनिया गांधी ने सरकार से सवाल किया है कि “मरने के बाद भी इंसान की एक गरिमा होती है। हमारा हिन्दू धर्म उसके बारे में भी कहता है, मगर उस बच्ची को अनाथों की तरह पुलिस की ताकत के जोर से जला दिया गया।”
हाथरस में मासूम लड़की के साथ जो हैवानियत हुई, वो हमारे समाज पर कलंक है।
हाथरस की निर्भया की मृत्यु नहीं हुई है, उसे मारा गया है- एक निष्ठुर सरकार द्वारा, उसके प्रशासन द्वारा, उत्तरप्रदेश सरकार की उपेक्षा द्वारा।
कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी का वक्तव्य:- pic.twitter.com/1ER1DpCWYP
— Congress (@INCIndia) September 30, 2020
इधर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग ने उत्तर प्रदेश पुलिस को हाथरस गैंगरेप मामले और आधी रात में अंतिम संस्कार कराए जाने को लेकर नोटिस भेजा है। मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस से चार सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए कहा है।
यूपी पुलिस विपक्षी दलों से लेकर पूर्व पुलिस अधिकारियों की ओर से भी आलोचना का सामना कर रही है। पूर्व आईपीएस अधिकारी वीएन राय ने कहा कि पुलिस ने एक बेव पोर्टल से बातचीत में कहा कि पुलिस ने जो किया, उसमें संवेदनशीलता बरतनी चाहिए थी।
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वहीं, उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व डीजी दिलीप त्रिवेदी ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा है कि “जिस तरह से बॉडी को डिस्पोज़ किया गया है, उसे कोई डिफेंड नहीं कर सकता है। ये बिलकुल नहीं होना चाहिए था। कभी कभी लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति में ये देखा जाता है कि परिवार के मानने के बाद इस तरह की बातें कभी कभी देखने में आती हैं। हाथरस एक बहुत छोटा सा क़स्बा सा ही है। कोई शहर नहीं है। वहां ये संभव था कि जब परिवार माँग कर रहा है, और आपको भी लग रहा है कि कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है तो आप अतिरिक्त पुलिस बल मंगाकर उसका बंदोबस्त करते।”
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लेकिन इन सबके बीच पुलिस की ओर से बयान आया है कि पुलिस द्वारा अंतिम संस्कार कराए जाने की खबरें फर्जी हैं और अंतिम संस्कार परिवार द्वारा पुलिस की देखरेख में कराया गया है।