Thursday - 11 January 2024 - 7:51 AM

तो क्या यह खट्टर सरकार का राजनैतिक पैतरा है?

जुबिली न्यूज डेस्क

हर बार हरियाणा के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा की जमीनों का मामला उछाला जाता है। जोर-शोर इस मामले को मुद्दा बनाने की कोशिश की जाती है लेकिन चुनाव खत्म होते ही मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। आज तक खट्टर सरकार वाड्रा के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर सकी है।

एक बार फिर नेहरू-गांधी परिवार चर्चा में हैं। हरियाणा की बीजेपी सरकार ने राज्य में गांधी-नेहरू परिवार द्वारा कथित रूप से जब्त की गई संपत्तियों की जांच का आदेश दिया है। खट्टर सरकार के इस फैसले के बाद से यह सवाल एक बार फिर खड़ा हुआ है कि क्या गांधी-नेहरू परिवार बीजेपी शासित केंद्र और राज्य सरकारों के निशाने पर है।

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हरियाणा सरकार ने अपने विभागों से कहा है कि वे इस संबंध में जांच शुरू करें और गांधी-नेहरू परिवार की संपत्तियों की सूची तैयार करें।

चुनावी मुद्दा बनकर रह गया है यह मामला

अक्टूबर 2019 में हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुआ। चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर आयी लेकिन कुछ सीटों से बहुमत से दूर रही। लेकिन बीजेपी ने नई नवेली जननायक जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बना लिया। सरकार ने गांधी-नेहरू परिवार की सम्पत्ति की जांच का जो आदेश दिया है उसे राजनैतिक पैतरा माना जा रहा है।

दरअसल हरियाणा में उपचुनाव होने वाला है। सरकार के इस कदम को उसी से जोड़ कर देखा जा रहा है। बहुमत के लिए दूसरी पार्टियों के विधायकों पर डोरे डाल रही बीजेपी ने सोनीपत जिले की बरौदा सीट पर होने वाले उपचुनाव को देखते हुए यह दांव खेला है।

ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि हरियाणा में रॉबर्ट वाड्रा की जमीनों को लेकर बीजेपी की ओर से लगाए जाने वाले तमाम आरोप राजनीतिक बयानबाजियों तक ही सिमटे रह गए।

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राजस्थान में 2018, नवंबर तक बीजेपी की सरकार रहने के दौरान भी रॉबर्ट वाड्रा की जमीनों के मामले को लेकर तमाम खबरें आती रहीं लेकिन वहां भी सरकार इस मामले में सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी तक ही सीमित रह गई।

इसके अलावा केंद्र सरकार प्रियंका गांधी को सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस जारी कर चुकी है। एक अगस्त के पहले प्रियंका को सरकारी बंगला खाली करना है। इतना ही नहीं पिछले साल सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका की एसपीजी सुरक्षा भी वापस ले ली गई थी।

वहीं एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को गुडग़ांव में अलॉट किया गया एक और प्लॉट भी हरियाणा सरकार की जांच के घेरे में है। ईडी पहले ही हरियाणा के पंचकुला में एक विवादित प्लॉट को जब्त कर चुकी है। एजेएल का नियंत्रण गांधी परिवार के हाथ में है।

आरोप है कि हुड्डा ने यह प्लॉट एजेएल को 23 साल पुरानी कीमतों पर 2005 में मुख्यमंत्री रहते हुए दिया था। हालांकि हुड्डा ने कीमतों में गड़बड़ी के आरोपों से इनकार किया था।

इससे पहले सीबीआई, ईडी जैसी बड़ी एजेंसियां वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के पीछे लगी रहीं और उन्हें कई दिन जेल में गुजारने पड़े।

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गांधी परिवार के करीबी नेता भी निशाने पर

बीजेपी के निशाने पर केवल गांधी-नेहरू परिवार ही नहीं है, बल्कि गांधी परिवार के करीबी नेता भी हैं। पिछले दिनों ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई के कई ठिकानों पर छापेमारी हुई थी। इसके अलावा कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार, वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ भी जांच एजेंसियां समय-समय पर छापेमारी करती रही हैं।

कांग्रेस के इन तमाम पुराने नेताओं और गांधी-नेहरू परिवार के करीबी समझे जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर तमाम सवाल भी उठते रहे हैं।

राजीव गांधी फाउंडेशन की जांच

गृह मंत्रालय ने इसी महीने की शुरुआत में राजीव गांधी फाउंडेशन (आरजीएफ़) और गांधी परिवार से जुड़े दो अन्य ट्रस्ट को हुई फंडिंग की जांच में सहायता के लिए एक कमेटी बनाई थी। केंद्र सरकार ने कहा था कि यह कमेटी आरजीएफ के अलावा राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा भी प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए), इनकम टैक्स एक्ट और फॉरेन कांट्रीब्यूशन रेग्युलेशन एक्ट (एफ़सीआरए) के कथित रूप से कानूनी प्रावधानों के उल्लंघन के आरोपों की जांच करेगी।

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